द हेग/नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) ने बुधवार को पाकिस्तान को भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को सुनाई गयी फांसी की सजा पर प्रभावी तरीके से फिर से विचार करने और राजनयिक पहुंच प्रदान करने का आदेश दिया है. इसे भारत के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है.
भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव (49) को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में सुनवाई के बाद जासूसी और आतंकवाद के आरोपों पर फांसी की सजा सुनाई थी. इस पर भारत में काफी गुस्सा देखने को मिला था.
अदालत के अध्यक्ष और सोमालिया के जज अब्दुलकावी अहमद यूसुफ की अगुवाई वाली 16 सदस्यीय पीठ ने एक के मुकाबले 15 मतों से कुलभूषण सुधीर जाधव को दोषी ठहराये जाने और उन्हें सुनाई गयी सजा की 'प्रभावी समीक्षा करने और उस पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया.
बहुमत से दिये गये आदेश में चीन के एक न्यायाधीश भी शामिल थे, वहीं पाकिस्तान के एक जज ने असहमति जताई.
पीठ ने कहा कि उसने पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठाने का निर्देश दिया था कि मामले में अंतिम फैसला जब तक नहीं आता, तब तक जाधव को सजा नहीं दी जाए. पीठ ने कहा कि वह मानती है कि सजा पर लगातार रोक जाधव की सजा की प्रभावी समीक्षा के लिए अपरिहार्य स्थिति है.
हालांकि पीठ ने भारत की अधिकतर मांगों को खारिज कर दिया जिनमें जाधव को दोषी ठहराने के सैन्य अदालत के फैसले को रद्द करने, उन्हें रिहा करने और भारत तक सुरक्षित तरीके से पहुंचाना शामिल है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा, 'सच और न्याय की जीत हुई है.
वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसे भारत के लिए बड़ी जीत करार दिया है.
मोदी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि जाधव को न्याय मिलेगा.
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि उन्होंने जाधव के परिवार से बात की और उनके साहस की सराहना की. उन्होंने ट्वीट किया, 'सत्यमेव जयते.'
विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह ऐतिहासिक फैसला इस मामले में पूरी तरह भारत के रुख का समर्थन करता है. पाकिस्तान को तत्काल ICJ के निर्देश का पालन करना चाहिए.
विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'हम कुलभूषण जाधव की जल्द रिहाई और भारत वापसी के लिए लगातार प्रयास करते रहेंगे.'
कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने भी ICJ के फैसले की तारीफ की. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि वह फैसले से खुश हैं.
पाकिस्तान ने इस घटनाक्रम पर कहा कि वह कानून के अनुसार आगे बढ़ेगा. मुंबई में जाधव के बचपन के दोस्तों ने खुशी जताते हुए रंग-बिरंगे गुब्बारे छोड़े.
दक्षिण मुंबई के परेल में जाधव के दोस्तों ने टीवी पर आईसीजे की कार्यवाही का सीधा प्रसारण देखा और वे प्रार्थना करते हुए दिखे. फैसले के बाद उनके चेहरों पर राहत साफ दिख रही थी.
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जजों ने कहा, 'पाकिस्तान ने भारत को कुलभूषण सुधीर जाधव से संवाद करने और उन तक पहुंच के अधिकार से, हिरासत के दौरान उनसे मिलने और उनका कानूनी पक्ष रखने की व्यवस्था करने के अधिकार से वंचित रखा.'
जज यूसुफ ने व्यवस्था दी कि पाकिस्तान वियना समझौते के तहत जाधव की गिरफ्तारी और उसे हिरासत में रखने के बारे में भारत को सूचित करने के लिए बाध्य था.
पीठ ने कहा कि भारत को तीन मार्च, 2016 को जाधव की गिरफ्तारी के बारे में सूचित करने में तीन सप्ताह की देरी हुई और इस तरह समझौते के तहत पाकिस्तान की बाध्यता को तोड़ा गया.
अदालत ने कहा कि भारत ने कई बार राजनयिक पहुंच का अनुरोध किया जिससे पाकिस्तान ने इनकार कर दिया. उसने कहा कि यह निर्विवाद तथ्य है कि पाकिस्तान ने भारत की अपीलों को नहीं माना.
अदालत ने कहा कि पाकिस्तान ने इस बात को स्पष्ट नहीं किया कि भारत द्वारा कथित तौर पर किया गया कोई भी गलत काम पाकिस्तान को उसकी बाध्यता के तहत काम पूरा करने से कैसे रोक सकता है.
पाकिस्तान की इस दलील कि भारत जाधव की राष्ट्रीयता साबित नहीं कर सका है, पर अदालत ने कहा कि वह इस बात से संतुष्ट है कि उसके समक्ष जो साक्ष्य हैं वो जाधव की भारतीय नागरिकता पर संदेह करने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ते.
ICJ के जज यूसुफ के नेतृत्व में पीठ ने भारत और पाकिस्तान की मौखिक दलीलों को सुनने के बाद 21 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. मामले की कार्यवाही पूरी होने में दो साल दो महीने का समय लगा.
भारत ने जाधव तक बार-बार राजनयिक पहुंच से इनकार किये जाने पर पाकिस्तान द्वारा वियना समझौते के प्रावधानों का जबरदस्त उल्लंघन करने के लिए आठ मई, 2017 को आईसीजे का रुख किया था.
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय विवादों का निस्तारण करने के लिए गठित ICJ की पीठ ने 18 मई, 2017 को पाकिस्तान को मामले में फैसला आने तक जाधव को सजा देने से रोका था.
पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षा बलों ने जाधव को तीन मार्च, 2016 को अशांत बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया था. उन पर ईरान से यहां आने के आरोप लगे थे.
हालांकि भारत का मानना है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया था जहां वह नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद कारोबार के सिलसिले में थे.
पाकिस्तान ने आईसीजे में जाधव तक राजयनियक पहुंच की भारत की याचिका खारिज कर दी थी. उसने दावा किया था कि नई दिल्ली उसके जासूस द्वारा एकत्रित सूचनाओं को पाने के लिए ऐसा चाहती है.
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हालांकि पाकिस्तान ने जाधव की मुलाकात उनकी मां और पत्नी से 25 दिसंबर, 2017 को इस्लामाबाद में कराई थी.
इस मामले में फरवरी में चार दिन की सार्वजनिक सुनवाई हुई थी. इसी दौरान पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा जम्मू कश्मीर में 14 फरवरी को किये गये आतंकी हमले और इसमें सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था.
ICJ में सुनवाई के दौरान भारत और पाकिस्तान दोनों ने अपनी विस्तृत याचिकाएं और जवाब दाखिल किये.
मामले में भारत का पक्ष रख रहे अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पाकिस्तान की सैन्य अदालतों के कामकाज पर सवाल उठाया था और संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत से जाधव को सुनाई गयी मौत की सजा को रद्द करने का अनुरोध किया था.
सुनवाई के आखिरी दिन ICJ में अपनी दलील में पाकिस्तान के वकील खावर कुरैशी ने कहा था, 'भारत के राहत के दावे को खारिज कर देना चाहिए या अस्वीकार्य घोषित करना चाहिए.