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एससी/एसटी को प्राप्त आरक्षण बरकरार रखना चाहिए : केटीएस तुलसी

सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति संशोधन अधिनियम 2018 की संवैधानिक वैधता को सोमवार को बरकरार रखा है. कोर्ट के इस फैसले का राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने प्रतिक्रिया दी है.

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केटीएस तुलसी
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Published : Feb 10, 2020, 11:39 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 10:21 PM IST

​​​​​​नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) संशोधन अधिनियम 2018 की संवैधानिक वैधता को सोमवार को बरकरार रखा है. कोर्ट के इस फैसले का राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि आरक्षण को जारी रखा जाना चाहिए क्योंकि इन समुदायों को अतिरिक्त सुरक्षा और प्रोत्साहन की जरूरत है.

केटीएस तुलसी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा, 'मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं क्योंकि इसका उद्देश्य पिछड़े वर्ग के लोगों को अन्य वर्ग के लोगों के साथ लाना है. इसके लिए पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा और प्रोत्साहन की आवश्यकता है. पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए हमारे संविधान में कई प्रावधान हैं, बावजूद इसके आज भी उनकी स्थिति भयावह है.'

केटीएस तुलसी का बयान.

बेंच के एक सदस्य न्यायमूर्ति रवींद्र भट ने सहमति वाले एक निर्णय में कहा कि प्रत्येक नागरिक को सह नागरिकों के साथ समान बर्ताव करना होगा और बंधुत्व की अवधारणा को प्रोत्साहित करना होगा.

न्यायमूर्ति भट ने कहा कि यदि प्रथमदृष्टया एससी/एसटी अधिनियम के तहत कोई मामला नहीं बनता तो कोई अदालत प्राथमिकी को रद कर सकती है. उच्चतम न्यायालय का यह फैसला एससी/एसटी संशोधन अधिनियम 2018 को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर आया है. ये याचिकाएं न्यायालय के 2018 के फैसले को निरस्त करने के लिए दाखिल की गई थीं.

तुलसी ने इस मामले पर कहा कि यह कानून मानवीयता और अखंडता से संबंधित है. इसीलिए यह कानून बनाया गया है. इस कानून के तहत जांच प्रक्रिया के दौरान अपराधी को जमानत नहीं दी जाती क्योंकि इससे पीड़ित व्यक्ति दबाव में आ सकता है.

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए इस कानून को शिथिल किया है कि इसके तहत प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पुलिस को जांच करनी चाहिए क्योंकि अगर यह सहीं नहीं हुआ तो व्यक्ति को संकट में डाल सकता है.

इस मामले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीजेपी और आरएसएस पर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, 'बीजेपी, आरएसएस कभी नहीं चाहते कि अनुसुचित जाति (एससी) / अनुसुचित जनजाति (एसटी) प्रगति करे. आरएसएस और बीजेपी संस्थागत ढांचे को तोड़ रहे हैं. मैं एससी / एसटी / ओबीसी और दलितों को बताना चाहता हूं कि हम आरक्षण को कभी खत्म नहीं होने देंगे. चाहे वह मोदी या मोहन भागवत का सपना क्यों न हो.'

ये भी पढ़ें- इंटेलीजेंस इनपुट : आरएसएस नेताओं को निशाना बना सकते हैं आतंकी समूह

राहुल गांधी ने कहा कि आरएसएस और भाजपा की विचारधारा एससी-एसएटी आरक्षण के खिलाफ है. वह किसी ना किसी तरह हिन्दुस्तान से आरक्षण खत्म करना चाहते हैं. वह नहीं चाहते कि अनुसुचित जाति, जनजाति आगे बढ़े.

शाहीन बाग मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी अनिश्चित काल तक सड़कों को बंद नहीं कर सकते और वह दूसरों के लिए असुविधा पैदा कर रहे हैं. इस पर तुलसी ने यह कहते हुए आपत्ति जताई कि प्रदर्शनकारियों के लिए यह दुख की बात है कि कोई भी सरकार का प्रतिनिधि उनसे बात करने के लिए तैयार नहीं है.

​​​​​​नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) संशोधन अधिनियम 2018 की संवैधानिक वैधता को सोमवार को बरकरार रखा है. कोर्ट के इस फैसले का राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि आरक्षण को जारी रखा जाना चाहिए क्योंकि इन समुदायों को अतिरिक्त सुरक्षा और प्रोत्साहन की जरूरत है.

केटीएस तुलसी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा, 'मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं क्योंकि इसका उद्देश्य पिछड़े वर्ग के लोगों को अन्य वर्ग के लोगों के साथ लाना है. इसके लिए पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा और प्रोत्साहन की आवश्यकता है. पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए हमारे संविधान में कई प्रावधान हैं, बावजूद इसके आज भी उनकी स्थिति भयावह है.'

केटीएस तुलसी का बयान.

बेंच के एक सदस्य न्यायमूर्ति रवींद्र भट ने सहमति वाले एक निर्णय में कहा कि प्रत्येक नागरिक को सह नागरिकों के साथ समान बर्ताव करना होगा और बंधुत्व की अवधारणा को प्रोत्साहित करना होगा.

न्यायमूर्ति भट ने कहा कि यदि प्रथमदृष्टया एससी/एसटी अधिनियम के तहत कोई मामला नहीं बनता तो कोई अदालत प्राथमिकी को रद कर सकती है. उच्चतम न्यायालय का यह फैसला एससी/एसटी संशोधन अधिनियम 2018 को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर आया है. ये याचिकाएं न्यायालय के 2018 के फैसले को निरस्त करने के लिए दाखिल की गई थीं.

तुलसी ने इस मामले पर कहा कि यह कानून मानवीयता और अखंडता से संबंधित है. इसीलिए यह कानून बनाया गया है. इस कानून के तहत जांच प्रक्रिया के दौरान अपराधी को जमानत नहीं दी जाती क्योंकि इससे पीड़ित व्यक्ति दबाव में आ सकता है.

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए इस कानून को शिथिल किया है कि इसके तहत प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पुलिस को जांच करनी चाहिए क्योंकि अगर यह सहीं नहीं हुआ तो व्यक्ति को संकट में डाल सकता है.

इस मामले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीजेपी और आरएसएस पर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, 'बीजेपी, आरएसएस कभी नहीं चाहते कि अनुसुचित जाति (एससी) / अनुसुचित जनजाति (एसटी) प्रगति करे. आरएसएस और बीजेपी संस्थागत ढांचे को तोड़ रहे हैं. मैं एससी / एसटी / ओबीसी और दलितों को बताना चाहता हूं कि हम आरक्षण को कभी खत्म नहीं होने देंगे. चाहे वह मोदी या मोहन भागवत का सपना क्यों न हो.'

ये भी पढ़ें- इंटेलीजेंस इनपुट : आरएसएस नेताओं को निशाना बना सकते हैं आतंकी समूह

राहुल गांधी ने कहा कि आरएसएस और भाजपा की विचारधारा एससी-एसएटी आरक्षण के खिलाफ है. वह किसी ना किसी तरह हिन्दुस्तान से आरक्षण खत्म करना चाहते हैं. वह नहीं चाहते कि अनुसुचित जाति, जनजाति आगे बढ़े.

शाहीन बाग मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी अनिश्चित काल तक सड़कों को बंद नहीं कर सकते और वह दूसरों के लिए असुविधा पैदा कर रहे हैं. इस पर तुलसी ने यह कहते हुए आपत्ति जताई कि प्रदर्शनकारियों के लिए यह दुख की बात है कि कोई भी सरकार का प्रतिनिधि उनसे बात करने के लिए तैयार नहीं है.

Intro:New Delhi: Welcoming the order of Supreme Court to uphold the constitutional validity of Scheduled Castes and Scheduled Tribes (Prevention of Atrocities) Amendment Act, 2018, Rajya Sabha MP and Senior advocate KTS Tulsi said that the Congress party has always been inline with the philosophy that reservation should be continued as these communities need "extra protection and incentives."


Body:While speaking to ETV Bharat, KTS said, "I wholeheartedly welcome this judgement as it's purpose was to bring the depressed classes with other categories which is far from being released as they need extra protection and incentives. Despite that so much of efforts are being made in constitution they are still in terrible condition."

Justice Ravinder Bhat, member of the bench said my conquering birth date that every citizen means to treat fellow citizens equally and foster the concept of fraternity. He also said that a court can quash the FIR if a prima facie case is not made out under SC/ST act and the liberal use of anticipatory bail will defeat the intention of Parliament.

The Supreme Court itself earlier recalled the March 2018 judgement on October 1, 2019 in a review petition filed by the government. The judgement had diluted the original 1989 legislation saying SC/ST members were using it's provisions to file false criminal complaints against innocent persons.

KTS Tulsi said over the matter, "They are subjected to all kinds of integrities and humiliations. That's why this law was made and it provided no grant of bail during the process of Investigation because otherwise these people will came under greater pressure and they would never been able to complain. The Supreme Court has diluted that provision by saying that instead of an FIR there should be and preliminary enquiry which expresses these people into great danger."

Congress leader Rahul Gandhi, on Monday, accused BJP and RSS by saying that their ideology is against reservation and they never want SC/STs to progress and his own party will always be in support of dalits SC, ST and OBC people. Supporting his statement, Tulsi said that Congress party has always been in line to the philosophy that reservations should be continued.



Conclusion:*On Shaheen Bagh matter*
As a Supreme Court on Monday said that the NTC a protestors at Delhi Shaheen Bagh cannot block public roads for an indefinite period while creating inconvenience for others, senior advocate KTS Tulsi objected to this statement by saying that it is the protesters who are under inconvenience as no representative of the Government of India is ready to address them.

He said, "They are caused an account of worry as in the minds of these people government is doing nothing to address their concerns. More then inconvenience for others they are inconvenience in themselves. Elderly women, small children, men are sitting on roads in biting cold. there cutting themselves in 10 times greater inconvenience than the others."
Last Updated : Feb 29, 2020, 10:21 PM IST
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