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लॉकडाउन : हजारों किलोमीटर चलकर अपनी मंजिल पर पहुंचे प्रवासी मजदूर

राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बाद सड़कों पर एक ऐसा भी दृश्य था, जिसने लोगों में जेहन में सिहरन पैदा कर दी थी. प्रवासी कामगार जीवनयापन के सभी संसाधन बंद होने पर हजारों किलोमीटर दूर अपने गांव की तरफ पैदल ही निकल पड़े. आइए जानते हैं अपनी मंजिल की ओर बढ़ी इन कदमों की दास्तान...

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फाइल फोटो
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Published : Apr 13, 2020, 5:45 PM IST

हैदराबाद : राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण एका-एक ट्रेनों और बसों का संचालन रुक गया. यातायात के साधन नहीं होने के कारण दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों ने अपने घर कस्बों तक पहुंचने के लिए हजारों किलोमीटर तक पैदल यात्राएं कीं. वहीं कुछ लोग साइकिल, ठेला चलाकर और रेलवे पटरियों के किनारे चलकर अपने गांव तक पहुंचे. युवाओंं से लेकर बूढ़े, यहां तक कि गर्भवती महिलाएं भी ऐसी भीड़ में दिखाई दीं.

नजर डालते हैं पैदल चलकर अपने घर तक पहुंचे लोगों पर :

  • 26.03.2020 : एक 26 साल का दिहाड़ी कामगार महाराष्ट्र के नागपुर से बिना भोजन के 135 किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर चंद्रपुर पहुंचा.

नरेन्द्र शेल्के पुणे में एक मजदूर के रूप में काम करते हैं. उन्होंने चंद्रपुर जिले की साओली तहसील में अपने पैतृक जाम्भ गांव में वापस जाने का फैसला किया. वह पुणे से नागपुर तक आखिरी ट्रेन में सवार होने में कामयाब रहे, लेकिन वह नागपुर में फंस गए. फिर वह दो दिनों तक बिना भोजन किए केवल पानी पर ही जीवित रहे. उन्हें नागपुर से 135 किलोमीटर दूर सिंधेवही तहसील में शिवाजी पार्क में पुलिस ने देखा. पुलिस ने तब एक व्यक्ति को सिंधेवही से 25 किलोमीटर दूर स्थित जाम्भ गांव ले जाने के लिए एक वाहन की व्यवस्था की.

  • 26.03.2020: असम के लखीमपुर जिले में अपने घर तक पहुंचने के लिए एक 80 वर्षीय व्यक्ति को 100 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की.

लखीमपुर जिले में ललुक क्षेत्र के खगेन बरुआ का व्यक्ति था. तालाबंदी की घोषणा से पहले वह गुवाहाटी गए थे. वह गुवाहाटी से ट्रेन के माध्यम से नागांव जिले के कलियाबोर क्षेत्र में पहुंचे, लेकिन आगे कोई भी सार्वजनिक परिवहन नहीं मिला. उन्होंने कलियाबोर से लगभग 215 किमी दूर अपने घर तक पहुंचने के लिए चलना शुरू कर दिया. कलियाबोर से 100 किमी से अधिक पैदल चलने के बाद वह बिश्वनाथ चाराली पहुंचे. कुछ लोगों ने उन्हें देख लिया, फिर स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया और पुलिस को सूचित किया.

  • 29.03.2020: दिल्ली के तुगलकाबाद में 39 वर्षीय रणवीर सिंह एक रेस्तरां में डिलीवरी बॉय के रूप में काम कर रहा था. मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के अम्बा के निवासी का है. रेस्तरां बंद होने के बाद कोई चारा नहीं बचा. वह शुक्रवार को चला और शनिवार की सुबह आगरा लगभग 200 किमी तक चलकर पहुंचा.
  • 29.03.2020: पिछले 10 वर्षों से दिल्ली में काम कर रहे एक राजमिस्त्री ने 800 किमी से अधिक की पदयात्रा की और अंतत: 29 मार्च को उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में अपने गांव नदवा पहुंचने में सफल रहे. ओम प्रकाश (38) पांच रात और छह दिन चलकर अपने गंतव्य तक पहुंचे. वह पहले बाराबंकी तक 580 किलोमीटर तक चले फिर एक एलपीजी डिलीवरी वैन से बलरामपुर पहुंचे और फिर बाकी 240 किमी की पैदल यात्रा की. घर पहुंचने पर ओम प्रकाश के परिवार को बहुत राहत मिली.
  • 29.03.2020: एक गर्भवती महिला और उसका पति पांच साल से नोएडा में एक निर्माणाधीन जगह पर मजदूरी कर रहे थे. उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के राठ क्षेत्र में अपने गांव औंटा तक पहुंचने के लिए आठ महीने की गर्भवती 25 वर्षीय अंजू देवी ने दो दिनों और दो रातों में 200 किलोमीटर दूरी तय की. 28 साल के रथ और अंजू अशोक ने फिर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाकर अपना मेडिकल चेकअप कराया.
  • 31.03.2020: दीपक ने आगरा से शालीमार गार्डन, दिल्ली 200 किलोमीटर की दूरी तय की. परिवार में गर्भवती पत्नी, डेढ़ साल की बेटी और बीमार मां की चिंता उन्हें खींच लाई.
  • 01.04.2020: गुजरात के सूरत से उत्तर प्रदेश के बांदा जाने के लिए एक गर्भवती महिला, उसका पति और दो साल का बच्चा रेलवे लाइन और सड़क के रास्ते चल पड़ा. उत्तर प्रदेश में अपने घर आने के लिए उन्होंने 1066 किलोमीटर की दूरी तय की.
  • 02.04.2020: उत्तर प्रदेश के मथुरा से पन्ना तक एक 24 वर्षीय गरीब महिला ने 500 किलोमीटर से अधिक दूरी तय की. पन्ना जिले की रहने वाली कल्ली बाई ने 29 मार्च को अपनी यात्रा शुरू की और 31 मार्च को अपने गांव पहुंची. उसने दो अप्रैल को एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया.
  • 02.04.2020: तमिलनाडु के नामक्कल जिले के रहने वाला 23 साल का युवा महाराष्ट्र के वर्धा से लगभग 454 किलोमीटर पैदल अपने घर जा रहा था. हैदराबाद के मर्रेडपल्ली पुलिस सीमा में एक अस्थायी आश्रयगृह में दस्त और थकावट के कारण उसकी मृत्यु हो गई. वह 30 मार्च को नागपुर पहुंचा था.
  • 04.04.2020: महाराष्ट्र में फंसे तमिलनाडु के तिरुवरुर जिले के रहने वाले सात युवक तालाबंदी के बाद लगभग 1,000 किमी की दूरी तय करने के बाद त्रिची शहर पहुंचे.
  • 09.04.2020 : निजामाबाद के बोधन की एक शिक्षिका अपने बेटे को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर से वापस लाई. उन्होंने नेल्लोर से 1400 किलोमीटर की कठिन यात्रा तय करने के बाद मंजिल पूरी की.

हैदराबाद : राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण एका-एक ट्रेनों और बसों का संचालन रुक गया. यातायात के साधन नहीं होने के कारण दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों ने अपने घर कस्बों तक पहुंचने के लिए हजारों किलोमीटर तक पैदल यात्राएं कीं. वहीं कुछ लोग साइकिल, ठेला चलाकर और रेलवे पटरियों के किनारे चलकर अपने गांव तक पहुंचे. युवाओंं से लेकर बूढ़े, यहां तक कि गर्भवती महिलाएं भी ऐसी भीड़ में दिखाई दीं.

नजर डालते हैं पैदल चलकर अपने घर तक पहुंचे लोगों पर :

  • 26.03.2020 : एक 26 साल का दिहाड़ी कामगार महाराष्ट्र के नागपुर से बिना भोजन के 135 किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर चंद्रपुर पहुंचा.

नरेन्द्र शेल्के पुणे में एक मजदूर के रूप में काम करते हैं. उन्होंने चंद्रपुर जिले की साओली तहसील में अपने पैतृक जाम्भ गांव में वापस जाने का फैसला किया. वह पुणे से नागपुर तक आखिरी ट्रेन में सवार होने में कामयाब रहे, लेकिन वह नागपुर में फंस गए. फिर वह दो दिनों तक बिना भोजन किए केवल पानी पर ही जीवित रहे. उन्हें नागपुर से 135 किलोमीटर दूर सिंधेवही तहसील में शिवाजी पार्क में पुलिस ने देखा. पुलिस ने तब एक व्यक्ति को सिंधेवही से 25 किलोमीटर दूर स्थित जाम्भ गांव ले जाने के लिए एक वाहन की व्यवस्था की.

  • 26.03.2020: असम के लखीमपुर जिले में अपने घर तक पहुंचने के लिए एक 80 वर्षीय व्यक्ति को 100 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की.

लखीमपुर जिले में ललुक क्षेत्र के खगेन बरुआ का व्यक्ति था. तालाबंदी की घोषणा से पहले वह गुवाहाटी गए थे. वह गुवाहाटी से ट्रेन के माध्यम से नागांव जिले के कलियाबोर क्षेत्र में पहुंचे, लेकिन आगे कोई भी सार्वजनिक परिवहन नहीं मिला. उन्होंने कलियाबोर से लगभग 215 किमी दूर अपने घर तक पहुंचने के लिए चलना शुरू कर दिया. कलियाबोर से 100 किमी से अधिक पैदल चलने के बाद वह बिश्वनाथ चाराली पहुंचे. कुछ लोगों ने उन्हें देख लिया, फिर स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया और पुलिस को सूचित किया.

  • 29.03.2020: दिल्ली के तुगलकाबाद में 39 वर्षीय रणवीर सिंह एक रेस्तरां में डिलीवरी बॉय के रूप में काम कर रहा था. मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के अम्बा के निवासी का है. रेस्तरां बंद होने के बाद कोई चारा नहीं बचा. वह शुक्रवार को चला और शनिवार की सुबह आगरा लगभग 200 किमी तक चलकर पहुंचा.
  • 29.03.2020: पिछले 10 वर्षों से दिल्ली में काम कर रहे एक राजमिस्त्री ने 800 किमी से अधिक की पदयात्रा की और अंतत: 29 मार्च को उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में अपने गांव नदवा पहुंचने में सफल रहे. ओम प्रकाश (38) पांच रात और छह दिन चलकर अपने गंतव्य तक पहुंचे. वह पहले बाराबंकी तक 580 किलोमीटर तक चले फिर एक एलपीजी डिलीवरी वैन से बलरामपुर पहुंचे और फिर बाकी 240 किमी की पैदल यात्रा की. घर पहुंचने पर ओम प्रकाश के परिवार को बहुत राहत मिली.
  • 29.03.2020: एक गर्भवती महिला और उसका पति पांच साल से नोएडा में एक निर्माणाधीन जगह पर मजदूरी कर रहे थे. उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के राठ क्षेत्र में अपने गांव औंटा तक पहुंचने के लिए आठ महीने की गर्भवती 25 वर्षीय अंजू देवी ने दो दिनों और दो रातों में 200 किलोमीटर दूरी तय की. 28 साल के रथ और अंजू अशोक ने फिर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाकर अपना मेडिकल चेकअप कराया.
  • 31.03.2020: दीपक ने आगरा से शालीमार गार्डन, दिल्ली 200 किलोमीटर की दूरी तय की. परिवार में गर्भवती पत्नी, डेढ़ साल की बेटी और बीमार मां की चिंता उन्हें खींच लाई.
  • 01.04.2020: गुजरात के सूरत से उत्तर प्रदेश के बांदा जाने के लिए एक गर्भवती महिला, उसका पति और दो साल का बच्चा रेलवे लाइन और सड़क के रास्ते चल पड़ा. उत्तर प्रदेश में अपने घर आने के लिए उन्होंने 1066 किलोमीटर की दूरी तय की.
  • 02.04.2020: उत्तर प्रदेश के मथुरा से पन्ना तक एक 24 वर्षीय गरीब महिला ने 500 किलोमीटर से अधिक दूरी तय की. पन्ना जिले की रहने वाली कल्ली बाई ने 29 मार्च को अपनी यात्रा शुरू की और 31 मार्च को अपने गांव पहुंची. उसने दो अप्रैल को एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया.
  • 02.04.2020: तमिलनाडु के नामक्कल जिले के रहने वाला 23 साल का युवा महाराष्ट्र के वर्धा से लगभग 454 किलोमीटर पैदल अपने घर जा रहा था. हैदराबाद के मर्रेडपल्ली पुलिस सीमा में एक अस्थायी आश्रयगृह में दस्त और थकावट के कारण उसकी मृत्यु हो गई. वह 30 मार्च को नागपुर पहुंचा था.
  • 04.04.2020: महाराष्ट्र में फंसे तमिलनाडु के तिरुवरुर जिले के रहने वाले सात युवक तालाबंदी के बाद लगभग 1,000 किमी की दूरी तय करने के बाद त्रिची शहर पहुंचे.
  • 09.04.2020 : निजामाबाद के बोधन की एक शिक्षिका अपने बेटे को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर से वापस लाई. उन्होंने नेल्लोर से 1400 किलोमीटर की कठिन यात्रा तय करने के बाद मंजिल पूरी की.
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