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जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ रही घरेलू हिंसा पर स्वतः संज्ञान लिया

जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय ने शनिवार को आदेश दिया कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में सभी अदालतें घरेलू दुरुपयोग के मामलों की तत्काल सुनवाई करें. इस दौरान अदालत में सोशल डिस्टेंसिंग भी सुनिशिचित की जाएगी.

जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय
जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय
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Published : Apr 19, 2020, 5:23 PM IST

Updated : Apr 19, 2020, 6:31 PM IST

श्रीनगर : लॉकडाउन के दौरान महिलाओं पर हो रही घरेलू हिंसा की घटनाओं का जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सख्त रुख अख्तियार किया है. कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख की सभी अदालतों को निर्देश दिया कि घरेलू हिंसा की घटनाओं पर तुरंत सुनवाई की जाए.

कोर्ट ने अधिवक्ता मोनिका कोहली को इस मामले में न्यायमित्र नियुक्त किया है. हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल तथा न्यायाधीश रजनीश ओसवाल ने अपने अपने घर से वीडियो कांफ्रेंसिंग से मामले की सुनवाई की.

न्यायालय ने इस बिंदु पर प्रकाश डाला कि विश्व स्तर पर यह देखा गया है कि महिलाओं और लड़कियों के लिए यह महामारी के सामाजिक और आर्थिक रूप से विनाशकारी है.

हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के समाज कल्याण विभाग के सचिव और जम्मू-कश्मीर स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के सदस्य सचिव को नोटिस जारी किया.

कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगली तारीख से पहले इसके उपायों की एक रिपोर्ट, कदम उठाए जा रहे हैं और उन पर विचार किया जाना चाहिए.

पढ़ें- कोरोना वायरस: महाराष्ट्र में घर-घर जाकर अखबार पहुंचाने से बचने को कहा गया

इसके अलावा, सचिव, जम्मू और कश्मीर कानूनी सेवा प्राधिकरण को घरेलू हिंसा के मामलों से संबंधित सभी मामलों की सूची के बनाने के लिए निर्देशित किया गया है, जो केंद्र शासित प्रदेशों या अदालतों में पुलिस स्टेशनों के साथ शिकायत के रूप में लंबित हैं और सुरक्षा और कल्याण का पता लगाते हैं.

श्रीनगर : लॉकडाउन के दौरान महिलाओं पर हो रही घरेलू हिंसा की घटनाओं का जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सख्त रुख अख्तियार किया है. कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख की सभी अदालतों को निर्देश दिया कि घरेलू हिंसा की घटनाओं पर तुरंत सुनवाई की जाए.

कोर्ट ने अधिवक्ता मोनिका कोहली को इस मामले में न्यायमित्र नियुक्त किया है. हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल तथा न्यायाधीश रजनीश ओसवाल ने अपने अपने घर से वीडियो कांफ्रेंसिंग से मामले की सुनवाई की.

न्यायालय ने इस बिंदु पर प्रकाश डाला कि विश्व स्तर पर यह देखा गया है कि महिलाओं और लड़कियों के लिए यह महामारी के सामाजिक और आर्थिक रूप से विनाशकारी है.

हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के समाज कल्याण विभाग के सचिव और जम्मू-कश्मीर स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के सदस्य सचिव को नोटिस जारी किया.

कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगली तारीख से पहले इसके उपायों की एक रिपोर्ट, कदम उठाए जा रहे हैं और उन पर विचार किया जाना चाहिए.

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इसके अलावा, सचिव, जम्मू और कश्मीर कानूनी सेवा प्राधिकरण को घरेलू हिंसा के मामलों से संबंधित सभी मामलों की सूची के बनाने के लिए निर्देशित किया गया है, जो केंद्र शासित प्रदेशों या अदालतों में पुलिस स्टेशनों के साथ शिकायत के रूप में लंबित हैं और सुरक्षा और कल्याण का पता लगाते हैं.

Last Updated : Apr 19, 2020, 6:31 PM IST
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