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तमिलनाडु में जल्लीकट्टू की धूम, मद्रास हाईकोर्ट ने नियुक्त किए पर्यवेक्षक

तमिलनाडु में जल्लीकट्टू प्रतियोगिताओं की शुरुआत हो गई है. राज्य के विभिन्न स्थानों पर यह प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है. हालांकि खेल में खतरे को देखते हुए जल्लीकट्टू प्रतियोगिता के लिए मद्रास उच्च न्यायालय ने पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. इसमें मदुरै बेंच ने सेवानिवृत्त प्रधान जिला न्यायाधीश सी मणिकम को पर्यवेक्षक के तौर पर मदुरै के लिए नियुक्त किया है. पर्यवेक्षक खेल स्थल पर व्यवस्थाओं की जांच करने के लिए दौरा कर रहे हैं. जानें विस्तार से...

jallikattu competitions 700 bulls and 730 bull catchers are participating in tamilnadu
तमिलनाडु में जल्लीकट्टू की धूम
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Published : Jan 15, 2020, 1:42 PM IST

Updated : Jan 15, 2020, 3:35 PM IST

चेन्नई: आज मकर संक्रांति के अवसर पर जल्लीकट्टू का धूम पूरे तमिलनाडु में है. खेल में सुरक्षा व्यवस्था को देख के लिए मद्रास उच्च न्यायालय ने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है, जोकि जल्लीकट्टू के आयोजन स्थल की जांच करेंगे.

दरअसल पर्यवेक्षक खेल स्थल की व्यवस्था नियम के अनुसार रहे इसे सुनिश्चित करेंगे. बता दें कि सदियों से चले आ रहे इस परंपरागत खेल में कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं.

तमिलनाडु में जल्लीकट्टू की धूम

हालांकि जल्लीकट्टू का मदुरै में बड़े स्तर पर आयोजन किया जा रहा है. इस दौरान मदुरै में 730 बैल, अलंगनल्लूर में 700 बैल और पलामेडु में 650 बैल इस साल प्रतियोगिताओं में भाग ले रहे हैं.

मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै बेंच द्वारा नियुक्त सेवानिवृत्त प्रधान जिला न्यायाधीश सी मणिकम भी आयोजन स्थल पर उपस्थित रहे. वह मदुरै के सभी आयोजन स्थल का दौरा कर रहे हैं.

jallikattu competitions 700 bulls and 730 bull catchers are participating in tamilnadu
पर्यवेक्षक सेवानिवृत्त प्रधान जिला न्यायाधीश सी मणिकम

हालांकि खेल के समय किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पुलिस के आला अधिकारी मौके पर मौजूद हैं. घायल खिलाड़ियों को चिकित्सा सुविधा देने के लिए इक्कीस 108 एम्बुलेंस तैयार हैं.

तमिलनाडु में जल्लीकट्टू की धूम

इसे भी पढ़ें- मकर संक्रांति आज : स्नान के लिए गंगासागर में जुटे लाखों श्रद्धालु

विवादित रहा है जल्लीकट्टू

गौरतलब है कि जल्लीकट्टू का पशुप्रेमी द्वारा काफी विरोध किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे एक याचिका पर साल 2014 में प्रतिबंध लगा दिया था. इस फैसले का काफी विरोध हुआ था. लोग सड़क पर उतर आए थे और बाद में सरकार ने एक अध्यादेश पास करके इसके आयोजन को अनुमति दे दी थी.

कैसे खेला जाता है जल्लीकट्टू

बता दें कि जल्लीकट्टू का आयोजन पोंगल के अवसर पर किया जाता है. इस प्रतियोगिता में लोग सांड के साथ खेलते है. इस खेल में लोग सांड के सींग को पकड़कर उसे काबू में करने की कोशिश करते हैं. इस खेल को यारू थाजुवुथल भी कहा जाता है. इस खेल में एक छोटी सी गली में दोनों तरफ स्टैंड लगाए जाते हैं और गली में जुती हुई मिट्टी होती है. सांड को भगाया जाता है. यहां पर प्रतिभागी सांड को कुछ सेकेंड के लिए पकड़ने की कोशिश करते हैं.अभी सांड को पकड़ने के लिए कम से कम सात सेकेंड का समय तय किया गया है.

दरअसल पूरे भारत में कृषि परंपराओं के साथ तमिल संस्कृति में गाय, सांड और घरेलू मुर्गी का काफी महत्व है. सांड के ब्रीड में से जो सबसे अच्छा होता है, उसे जल्लीकट्टू खेल के लिए तैयार किया जाता है

चेन्नई: आज मकर संक्रांति के अवसर पर जल्लीकट्टू का धूम पूरे तमिलनाडु में है. खेल में सुरक्षा व्यवस्था को देख के लिए मद्रास उच्च न्यायालय ने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है, जोकि जल्लीकट्टू के आयोजन स्थल की जांच करेंगे.

दरअसल पर्यवेक्षक खेल स्थल की व्यवस्था नियम के अनुसार रहे इसे सुनिश्चित करेंगे. बता दें कि सदियों से चले आ रहे इस परंपरागत खेल में कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं.

तमिलनाडु में जल्लीकट्टू की धूम

हालांकि जल्लीकट्टू का मदुरै में बड़े स्तर पर आयोजन किया जा रहा है. इस दौरान मदुरै में 730 बैल, अलंगनल्लूर में 700 बैल और पलामेडु में 650 बैल इस साल प्रतियोगिताओं में भाग ले रहे हैं.

मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै बेंच द्वारा नियुक्त सेवानिवृत्त प्रधान जिला न्यायाधीश सी मणिकम भी आयोजन स्थल पर उपस्थित रहे. वह मदुरै के सभी आयोजन स्थल का दौरा कर रहे हैं.

jallikattu competitions 700 bulls and 730 bull catchers are participating in tamilnadu
पर्यवेक्षक सेवानिवृत्त प्रधान जिला न्यायाधीश सी मणिकम

हालांकि खेल के समय किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पुलिस के आला अधिकारी मौके पर मौजूद हैं. घायल खिलाड़ियों को चिकित्सा सुविधा देने के लिए इक्कीस 108 एम्बुलेंस तैयार हैं.

तमिलनाडु में जल्लीकट्टू की धूम

इसे भी पढ़ें- मकर संक्रांति आज : स्नान के लिए गंगासागर में जुटे लाखों श्रद्धालु

विवादित रहा है जल्लीकट्टू

गौरतलब है कि जल्लीकट्टू का पशुप्रेमी द्वारा काफी विरोध किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे एक याचिका पर साल 2014 में प्रतिबंध लगा दिया था. इस फैसले का काफी विरोध हुआ था. लोग सड़क पर उतर आए थे और बाद में सरकार ने एक अध्यादेश पास करके इसके आयोजन को अनुमति दे दी थी.

कैसे खेला जाता है जल्लीकट्टू

बता दें कि जल्लीकट्टू का आयोजन पोंगल के अवसर पर किया जाता है. इस प्रतियोगिता में लोग सांड के साथ खेलते है. इस खेल में लोग सांड के सींग को पकड़कर उसे काबू में करने की कोशिश करते हैं. इस खेल को यारू थाजुवुथल भी कहा जाता है. इस खेल में एक छोटी सी गली में दोनों तरफ स्टैंड लगाए जाते हैं और गली में जुती हुई मिट्टी होती है. सांड को भगाया जाता है. यहां पर प्रतिभागी सांड को कुछ सेकेंड के लिए पकड़ने की कोशिश करते हैं.अभी सांड को पकड़ने के लिए कम से कम सात सेकेंड का समय तय किया गया है.

दरअसल पूरे भारत में कृषि परंपराओं के साथ तमिल संस्कृति में गाय, सांड और घरेलू मुर्गी का काफी महत्व है. सांड के ब्रीड में से जो सबसे अच्छा होता है, उसे जल्लीकट्टू खेल के लिए तैयार किया जाता है

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TN: Jallikattu competitions have begun in Madurai's Avaniyapuram. 700 bulls and 730 Bull Catchers are participating in it.



Tamil Nadu:  Jallikattu event begins at Avaniyapuram in Madurai. 730 bulls in Avaniyapuram, 700 bulls in Alanganallur and 650 bulls in Palamedu are participating in Jallikattu competitions this year.



Retired Principal District Judge C Manickam: who has been appointed by the Madurai Bench of the Madras High Court, visits the venue in Madurai where Jallikattu event will be held today, to examine the arrangements made. We've divided the players into a batch of 75 each, 60 bulls will be released one by one in one go. Top police officials are present at the spot to deal with any situation. District collector, along with a local minister, has examined the arrangements. Twenty one 108 ambulance are ready to provide medical facility to the injured players.


Conclusion:
Last Updated : Jan 15, 2020, 3:35 PM IST
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