चेन्नई: आज मकर संक्रांति के अवसर पर जल्लीकट्टू का धूम पूरे तमिलनाडु में है. खेल में सुरक्षा व्यवस्था को देख के लिए मद्रास उच्च न्यायालय ने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है, जोकि जल्लीकट्टू के आयोजन स्थल की जांच करेंगे.
दरअसल पर्यवेक्षक खेल स्थल की व्यवस्था नियम के अनुसार रहे इसे सुनिश्चित करेंगे. बता दें कि सदियों से चले आ रहे इस परंपरागत खेल में कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं.
हालांकि जल्लीकट्टू का मदुरै में बड़े स्तर पर आयोजन किया जा रहा है. इस दौरान मदुरै में 730 बैल, अलंगनल्लूर में 700 बैल और पलामेडु में 650 बैल इस साल प्रतियोगिताओं में भाग ले रहे हैं.
मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै बेंच द्वारा नियुक्त सेवानिवृत्त प्रधान जिला न्यायाधीश सी मणिकम भी आयोजन स्थल पर उपस्थित रहे. वह मदुरै के सभी आयोजन स्थल का दौरा कर रहे हैं.
हालांकि खेल के समय किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पुलिस के आला अधिकारी मौके पर मौजूद हैं. घायल खिलाड़ियों को चिकित्सा सुविधा देने के लिए इक्कीस 108 एम्बुलेंस तैयार हैं.
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विवादित रहा है जल्लीकट्टू
गौरतलब है कि जल्लीकट्टू का पशुप्रेमी द्वारा काफी विरोध किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे एक याचिका पर साल 2014 में प्रतिबंध लगा दिया था. इस फैसले का काफी विरोध हुआ था. लोग सड़क पर उतर आए थे और बाद में सरकार ने एक अध्यादेश पास करके इसके आयोजन को अनुमति दे दी थी.
कैसे खेला जाता है जल्लीकट्टू
बता दें कि जल्लीकट्टू का आयोजन पोंगल के अवसर पर किया जाता है. इस प्रतियोगिता में लोग सांड के साथ खेलते है. इस खेल में लोग सांड के सींग को पकड़कर उसे काबू में करने की कोशिश करते हैं. इस खेल को यारू थाजुवुथल भी कहा जाता है. इस खेल में एक छोटी सी गली में दोनों तरफ स्टैंड लगाए जाते हैं और गली में जुती हुई मिट्टी होती है. सांड को भगाया जाता है. यहां पर प्रतिभागी सांड को कुछ सेकेंड के लिए पकड़ने की कोशिश करते हैं.अभी सांड को पकड़ने के लिए कम से कम सात सेकेंड का समय तय किया गया है.
दरअसल पूरे भारत में कृषि परंपराओं के साथ तमिल संस्कृति में गाय, सांड और घरेलू मुर्गी का काफी महत्व है. सांड के ब्रीड में से जो सबसे अच्छा होता है, उसे जल्लीकट्टू खेल के लिए तैयार किया जाता है