नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को विदेश मंत्रालय के समन्वय से उमंग एप का अंतरराष्ट्रीय संस्करण लॉन्च किया. यह संस्करण अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड, सिंगापुर और न्यूजीलैंड में उपलब्ध होगा. इसकी मदद से अनिवासी भारतीय, भारतीय छात्र एवं पर्यटक किसी भी समय पर भारत सरकार और राज्य सरकार की सेवाओं का उपयोग कर पाएंगे.
उमंग एप की तीसरी वर्षगांठ के मौके पर सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री रविशंकर ने एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित किया. प्रसाद ने कहा कि डिजिटल इंडिया में डिजिटल समावेश का नेतृत्व होना चाहिए. डिजिटल इंडिया को डिजिटल डिवाइड को पाटना होगा और यह प्रौद्योगिकी द्वारा प्राप्त किया जाना चाहिए, जो स्वदेशी और समावेशी भी है.
उन्होंने कहा कि इसका विचार तब आया था, जब प्रधानमंत्री ने कहा था कि शासन हर भारतीय की हथेली पर उपलब्ध हो. इसके बाद हमने इस कार्यक्रम को शुरू किया और जो बात मुझे आकर्षित की कि मार्च 2020 तक उमंग की लगभग 643 सेवाएं थीं और आज उमंग पर 2000 से ज्यादा सेवाएं उपलब्ध हैं.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री की सोच के कारण आज प्रत्येक भारतीय के हाथ में शासन है. यह ई-गवर्नेंस से एम-गवर्नेंस तक का कायापलट है. यह उमंग की वास्तविक सफलता है.
आधार, जीएसटीएन, आयुष्मान भारत, यूपीआई और यूएमएआईएन का हवाला देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि घरेलू उद्यम के कारण डिजिटल बदलाव भारत में तेजी से बढ़ रहा है. यह तकनीकी क्षेत्र में भारत के विशेषज्ञों का योगदान है.
प्रसाद ने कहा कि देश में 3.75 लाख साझा सेवा केंद्रों (सीएससी) के माध्यम से उमंग एप पर सेवाएं नागरिकों को उपलब्ध हैं. कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस-एआई) के माध्यम से इसे ऐसे लोगों तक पहुंचाया जा सकता है, जो डिजिटल दुनिया की भाषा को आसानी से नहीं समझते हैं.
पढ़ें- पीएलआई योजना से मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक के क्षेत्र में आएगी क्रांतिः रविशंकर प्रसाद
उन्होंने कहा कि उमंग एप को आवाज के निर्देश पर काम करने वाली एप के तौर पर विकसित करने के लिए एआई प्रौद्योगिकी के उपयोग की संभावना पर ध्यान देना चाहिए.
प्रसाद ने कहा कि क्या उमंग को आवाज के निर्देश पर काम करने वाली एप बनाने के लिए एआई का कुछ उपयोग किया जा सकता है, क्योंकि आज यह सीएससी से जुड़ी है. देश के सुदूरतम इलाकों में आम लोग इसका उपयोग कर रहे हैं. उमंग एप ने वहां तक पहुंच बनाई है जो यह अहम है कि इसे आवाज के निर्देश पर काम करने वाला एप बनाने पर ध्यान दिया जाए और इसके लिए एआई की संभावनाओं को तलाशा जाए.
उन्होंने कहा कि इसे करने में ध्यान रखा जाए कि यह उन लोगों की भाषा समझने में सक्षम हो जो डिजिटल दुनिया की भाषा के साथ सहज नहीं है.