नई दिल्ली : नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सशर्त बातचीत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है और कहा है कि यदि सरकार बिना शर्त बातचीत का प्रस्ताव देती है तभी संवाद होगा.
ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए स्वराज इंडिया के नेता और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के सह-संयोजक योगेंद्र यादव ने कहा कि एक तरफ गृह मंत्री बातचीत का प्रस्ताव मीडिया के माध्यम से रखते हैं और दूसरी तरफ यह शर्त भी रखते हैं कि किसान हाईवे छोड़ कर बुराड़ी स्थित मैदान में चले जाएं, यह संभव नहीं है.
26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के किसानों का दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर एकत्रित होने का सिलसिला रविवार को भी जारी है और हजारों की संख्या में ट्रैक्टरों के साथ किसान दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर इकट्ठा हो चुके हैं. किसान संगठनों की स्पष्ट मांग है कि सरकार कृषि कानून वापस ले और एमएसपी को किसानों का संवैधानिक अधिकार बनाकर यह जिम्मेदारी ले कि किसानों से एमएसपी से कम पर खरीद न हो.
योगेंद्र यादव ने हरियाणा के मुख्यमंत्री के बयान की भी आलोचना करते हुए कहा कि गृह मंत्री किसान हितैषी होने का दावा करते हैं, लेकिन उन्हीं के मुख्यमंत्री किसानों के खिलाफ बयान देते हैं और किसानों के आंदोलन को खालिस्तानी आतंकवादियों से जोड़ते हैं.
किसान संगठनों ने शर्तिया बातचीत का प्रस्ताव किया खारिज
योगेंद्र यादव ने जानकारी दी कि रविवार को पंजाब के सभी तीस किसान संगठनों की एक बैठक हुई, जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय हुआ कि वह सरकार के द्वारा शर्तिया बातचीत के प्रस्ताव को खारिज करते हैं. ऐसे में अब सरकार को तय करना है कि आगे वह क्या करना चाहती है. किसान संगठनों के मुताबिक बातचीत का रास्ता खुला है, लेकिन वह सरकार के किसी भी शर्त को मानने के लिए तैयार नहीं हैं.
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बुराड़ी के संत निरंकारी समागम ग्राउंड में एकत्रित होने की बात पर किसान संगठनों के बीच दो फाड़ होने की बात भी सामने आई. बताया जा रहा है कि कुछ किसान संगठन बुराड़ी जाने को तैयार हो गए और वहां इकट्ठे भी हुए, लेकिन पंजाब के किसान संगठनों ने इससे इनकार कर दिया.
किसान संगठनों में कोई मतभेद नहीं
ऐसे में सवाल उठने लगे कि क्या किसान संगठनों में आंदोलन के बीच में ही आपसी मतभेद पैदा हो गए हैं? योगेंद्र यादव ने इस पर जवाब देते हुए कहा है कि किसान संगठनों के बीच किसी भी तरह का मतभेद नहीं है. किसान संगठन मोदी सरकार के प्रस्तावित बिजली कानून का भी विरोध कर रहे हैं और पराली जलाने पर किसान के खिलाफ सजा और जुर्माने के प्रावधान को भी वापस लेने की मांग कर रहे हैं.