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शिक्षक दिवस विशेष : डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के पूर्व बॉडीगार्ड से ईटीवी भारत की खास बातचीत - डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बाडीगार्ड से से खास बात चीत

आज भारत के पहले उपराष्ट्रपति डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन है. इस दिन को भारत के शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस विशेष दिन पर ईटीवी भारत ने राधाकृष्णन के पूर्व बाडीगार्ड रहे कर्नल धनीराम शांडिल शांडिल ने खास बातचीत की. पढ़ें पूरी खबर...

डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बाडीगार्ड कर्नल धनीराम शांडिल
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Published : Sep 5, 2019, 9:51 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 2:15 PM IST

सोलनः भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में शिक्षक दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर ईटीवी भारत ने डॉ. राधाकृष्णन के अंगरक्षक रहे कर्नल धनीराम शांडिल से खास बातचीत की. इस मौके पर कर्नल शांडिल ने डॉ. राधाकृष्णन के साथ बिताए पलों को साझा किया.

डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बाडीगार्ड से ईटीवी की खास बातचीत

विधानसभा क्षेत्र सोलन से विधायक कर्नल धनीराम शांडिल ने डॉ. राधाकृष्णन को याद करते हुए बताया कि जब आठ डोगरा रेजीमेंट 1965 में प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड फोर्स में तैनात थी, उस समय सर्वगीय डॉ. श्री सर्वपल्ली राधाकृष्णन राष्ट्रपति थे और उस समय उनकी कद काठी अच्छी होने के कारण उन्हें उनके अंगरक्षक का कार्यभार सौंपा गया था. जिससे उन्हें करीब से जानने का मौका मिला.

कर्नल धनीराम शांडिल ने बताया कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन सौम्य व्यक्तित्व के आदमी थे, जिनसे बहुत कुछ सीखने को मिला और उनका बर्ताव आज भी सभी के दिलों में अपनी जगह बनाए हुए है.

उन्होंने राधाकृष्णन को याद करते हुए कहा कि जब वे जवानों को लताड़ लगाते थे तब डॉ. राधाकृष्णन कहते थे कि प्यार से समझा कर कार्य कराना चाहिए ताकि किसी के मन को ठेस ना पहुंचे.

पढ़ें-छत्तीसगढ़: नशे के आदी थे बच्चे, गुल्लक वाली टीचर ने लगवा दी बचत की लत

कर्नल धनीराम शांडिल ने बताया कि आज जो इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी शिमला में मौजूद है और पूरी दुनिया में विख्यात है, वो डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की ही देन है.

उन्होंने बताया कि डॉ. राधाकृष्णन ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी दान के रूप में देश को दी थी.

सोलनः भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में शिक्षक दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर ईटीवी भारत ने डॉ. राधाकृष्णन के अंगरक्षक रहे कर्नल धनीराम शांडिल से खास बातचीत की. इस मौके पर कर्नल शांडिल ने डॉ. राधाकृष्णन के साथ बिताए पलों को साझा किया.

डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बाडीगार्ड से ईटीवी की खास बातचीत

विधानसभा क्षेत्र सोलन से विधायक कर्नल धनीराम शांडिल ने डॉ. राधाकृष्णन को याद करते हुए बताया कि जब आठ डोगरा रेजीमेंट 1965 में प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड फोर्स में तैनात थी, उस समय सर्वगीय डॉ. श्री सर्वपल्ली राधाकृष्णन राष्ट्रपति थे और उस समय उनकी कद काठी अच्छी होने के कारण उन्हें उनके अंगरक्षक का कार्यभार सौंपा गया था. जिससे उन्हें करीब से जानने का मौका मिला.

कर्नल धनीराम शांडिल ने बताया कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन सौम्य व्यक्तित्व के आदमी थे, जिनसे बहुत कुछ सीखने को मिला और उनका बर्ताव आज भी सभी के दिलों में अपनी जगह बनाए हुए है.

उन्होंने राधाकृष्णन को याद करते हुए कहा कि जब वे जवानों को लताड़ लगाते थे तब डॉ. राधाकृष्णन कहते थे कि प्यार से समझा कर कार्य कराना चाहिए ताकि किसी के मन को ठेस ना पहुंचे.

पढ़ें-छत्तीसगढ़: नशे के आदी थे बच्चे, गुल्लक वाली टीचर ने लगवा दी बचत की लत

कर्नल धनीराम शांडिल ने बताया कि आज जो इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी शिमला में मौजूद है और पूरी दुनिया में विख्यात है, वो डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की ही देन है.

उन्होंने बताया कि डॉ. राधाकृष्णन ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी दान के रूप में देश को दी थी.

Intro:स्लग---टीचर्स डे स्पेशल
एंकर--ज्यादातर शिक्षकों ने आजकल बच्चों को केवल किताबी ज्ञान बांटने तक सीमित कर लिया है, मगर फिर भी फिलहाल कुछ ऐसे शिक्षक मौजूद है जो बच्चों को किताबी ज्ञान के अलावा व्यवहारिक ज्ञान की शिक्षा भी दे रहे है, आज शिक्षक दिवस के अवसर पर हम एक ऐसी ही शिक्षिका के बारे में बताने जा रहे है जो ग्रामीण परिवेश के बच्चों को कुछ अलग तरह की शिक्षा देने में जुटी है।
Body:वीओ 1---आज भी आप और हम में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जिनके पास हजारों लाखों कमाने के बाद भी बचत के नाम पर एक फूटी कौड़ी नही होगी, ये बचत हम क्यों नही कर पाए इसके पीछे सबके अपने अलग अलग कारण हो सकते है मगर सबसे बड़ा कारण ये है कि बचत करना हमने कभी सीखा ही नही, वही गरियाबंद जिले के पांडुका प्रायमरी स्कूल में पढ़ने वाले ये नन्हें बच्चे है जो रोज अपनी पॉकेटमनी में से बचत करते है, स्कूल की प्रधानपाठक ने इनके लिए अलग अलग गुलक की व्यवस्था कर रखी है जिसमे ये अपनी पॉकेटमनी के बचत सिक्के डालते है ताकि पांचवी पास करने के बाद जब ये गुलक का पैसा उन्हें मिलेगा तो उससे ये अपने लिए कॉपी पुस्तक खरीद सके।
बाईट 1--निर्मला शर्मा, प्रधानपाठक--
वीओ 2--ऐसा करने के पीछे प्रधानपाठक ने बताया कि उनके स्कूल में ज्यादातर सामान्य परिवार के बच्चे पढ़ने आते है, जिनके परिवारों में शिक्षा को ज्यादा महत्व नही दिया जाता था, यही नही बच्चे खुद भी पढ़ाई की बजाय कुसंगतियो में ज्यादा ध्यान देते थे, यहां तक कि अपनी पॉकेटमनी भी ऐसे ही व्यर्थ में खर्च कर देते थे, मगर जब से उन्होंने गुलक की व्यवस्था की है तब से बच्चों में बचत करने की प्रवृति बढ़ी है, बच्चे एक दूसरे से ज्यादा बचत करने की होड़ करने लगे है।
बाईट 2--निर्मला शर्मा, प्रधानपाठक--
Conclusion:फाईनल वीओ---बचत की इस नयी शिक्षा से बच्चों को कितना फायदा होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताये मगर फिलहाल बच्चों को नयी तरह की शिक्षा देने के कारण ये स्कूल चर्चा का विषय जरुर बना हुआ है और लोग इसकी जमकर तारीफ कर रहे है।
Last Updated : Sep 29, 2019, 2:15 PM IST

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