नई दिल्ली : नौसेना के उप प्रमुख जी अशोक कुमार ने आज कहा कि डिफेंस एक्विजिशन प्रोसीजर (डीएपी 2020) में लीजिंग मॉडल पेश करना एक प्रक्रियात्मक बदलाव है. यह जहाज निर्माण अनुबंधों की लंबी अवधि को देखते हुए अल्पकालिक क्षमता अंतराल को कम करने का विकल्प प्रदान करता है.
फिक्की की ओर से आयोजित लेवरेज लीजिंग फॉर फोर्स लेवल मेंटेनेंस एंड मॉडर्नाइजेशन पर ई-सेम्पोसियम को संबोधित करते हुए नौसेना उप प्रमुख ने कहा कि इंडियन नेवी के लिए हम अपनी ऑपरेशनल क्षमताओं को बढ़ाने और मेंटेनेंस में भारी निवेश से बचने के लिए ऑपरेशनल सपोर्ट एसेट्स और ऑक्जिलरीज को लीज पर लेंगे. उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना मध्यम अवधि में कुछ परिसंपत्तियों को लीज पर देने की भी योजना बना रही है, ताकि महत्वपूर्ण परिचालन क्षमताओं पर ध्यान दिया जा सके.
नौसेना के उप प्रमुख ने आगे कहा कि भारतीय नौसेना हेलीकॉप्टरों और मानवरहित विमानों के लिए भी ऐसा कर सकती है. वाइस एडमिरल कुमार ने कहा कि हमारी भविष्य की आवश्यकताओं में अंतरिक्ष आधारित निगरानी, एआई, आधुनिक विमानों के साथ मजबूत संचार नेटवर्क आदि हैं.
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क्षमता निर्माण एक दीर्घकालिक विकसित करने वाली प्रक्रिया है. लीजिंग मॉडल की खूबियों के बारे में बताते हुए वाइस एडमिरल कुमार ने कहा कि यह कोर क्षमता पर और अधिक ध्यान केंद्रित करने में सक्षम बनाता है. तकनीकी जटिलताओं को दूर करता है और रखरखाव के लिए मैनपावर लागत को कम करता है.