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गुजरात : मंदिर में कुएं की सफाई के दौरान निकाले गए करीब 15 हजार सिक्के - Hanuman Temple

वलसाड जिले के कालगाम गांव में बरसो पुराना हनुमान मंदिर स्थापित है. जहां हर साल हजारों की संख्या में भक्त भगवान हनुमान के दर्शन के लिए आते हैं और यहां स्थापित कुएं में मान्यता के लिए सिक्के डालते हैं. इस साल इस कुएं की सफाई के दौरान लगभग 15 हजार सिक्के निकाले गए. जिसका उपयोग ट्रस्ट मंदिर निर्माण में करेगी. पढ़ें पूरी खबर...

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मंदिर के कुएं से निकाले गए हजारों सिक्के
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Published : Jul 7, 2020, 6:02 AM IST

गांधीनगर : गुजरात के वलसाड जिले में एक हनुमान मंदिर स्थापित है. जहां बरसों पुराने एक कुएं से मंदिर के ट्रस्ट ने लगभग 15,000 सिक्के निकाले हैं. मंदिर में हर साल इस कुएं से हजारों सिक्के निकालते जाते हैं, जिसका उपयोग मंदिर के निर्माण कार्यों में किया जाता है.

माना जाता है कि उमरगाम तालुका के कालगाम गांव में 600 साल पुराने इस मंदिर में हनुमान दिखाई देते हैं. इसी विश्वास के साथ यहां लाखों भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं और अपने कष्टों को दूर करने के लिए हनुमान मंदिर से प्राथर्ना करते हैं.

कुएं की सफाई के दौरान निकाले गए सिक्के

पढ़ें- सावन सोमवार : उज्जैन और झारखंड में बाबा भोलेनाथ के ऑनलाइन दर्शन का इंतजाम

इस बरसों पुराने मंदिर के आंगन में एक कुआं है. यहां कि मान्यता है कि इस कुएं को राम ने बनाया था. भक्तों का मानना ​​है कि इसका पानी कई बीमारियों के लिए एक दवा की तरह है. भक्त इस कुएं में आस्था के तौर पर सिक्के डालते हैं. इन सिक्कों को ट्रस्ट द्वारा साल के अंत में बहार निकाला जाता है. फिर इन सिक्कों का उपयोग मंदिर के निर्माण कार्य में किया जाता है.

गांधीनगर : गुजरात के वलसाड जिले में एक हनुमान मंदिर स्थापित है. जहां बरसों पुराने एक कुएं से मंदिर के ट्रस्ट ने लगभग 15,000 सिक्के निकाले हैं. मंदिर में हर साल इस कुएं से हजारों सिक्के निकालते जाते हैं, जिसका उपयोग मंदिर के निर्माण कार्यों में किया जाता है.

माना जाता है कि उमरगाम तालुका के कालगाम गांव में 600 साल पुराने इस मंदिर में हनुमान दिखाई देते हैं. इसी विश्वास के साथ यहां लाखों भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं और अपने कष्टों को दूर करने के लिए हनुमान मंदिर से प्राथर्ना करते हैं.

कुएं की सफाई के दौरान निकाले गए सिक्के

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इस बरसों पुराने मंदिर के आंगन में एक कुआं है. यहां कि मान्यता है कि इस कुएं को राम ने बनाया था. भक्तों का मानना ​​है कि इसका पानी कई बीमारियों के लिए एक दवा की तरह है. भक्त इस कुएं में आस्था के तौर पर सिक्के डालते हैं. इन सिक्कों को ट्रस्ट द्वारा साल के अंत में बहार निकाला जाता है. फिर इन सिक्कों का उपयोग मंदिर के निर्माण कार्य में किया जाता है.

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