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दूरदराज के क्षेत्रों से मरीजों को निकालेगा भारतीय वायुसेना का पॉड अर्पित - indian airforce inducts

भारतीय वायुसेना ने अर्पित नामक एक स्वदेशी पॉड का निर्माण किया है, जिसका प्रयोग दूरदराज के क्षेत्रों में संक्रामक रोगों से ग्रसित गंभीर रोगियों को निकालने में किया जाएगा.

भारतीय वायुसेना
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Published : Jun 9, 2020, 3:54 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने एक स्वदेशी पॉड अर्पित (एअरबोर्न रेस्क्यू पॉड्स फॉर आइसोलेटेड ट्रांसपोर्टेशन, ARPIT) को शामिल किया है. खुद से डिजाइन और विकसित किए गए इस पॉड का उपयोग ऊंचाई पर स्थित पृथक व दूरदराज क्षेत्रों से कोरोना जैसी संक्रामक बीमारियों से पीड़ित गंभीर रोगियों को निकालने के लिए किया जाएगा.

रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि कोरोना को महामारी घोषित किये जाने के बाद इंडियन एयर फोर्स को एक निकासी प्रणाली की आवश्यकता महसूस हुई जो, रोगी से दूसरे व्यक्ति में संक्रामक एरोसोल के प्रसार को रोकती है. वायुसेना ने आइसोलेटेड ट्रांसपोर्टेशन के लिए एक एयरबोर्न रेस्क्यू पॉड को डिजाइन, विकसित और शामिल किया है. इसके बाद वायुसेना ने इस एयरबोर्न रेस्क्यू पॉड को खुद डिजाइन कर उसे विकसित किया और अपने बेड़े में शामिल किया.

प्रधानमंत्री द्वारा आत्मनिर्भर भारत के आह्वान का समर्थन करते हुए, इस पॉड को बनाने में केवल स्वदेशी सामानों का उपयोग किया गया है. इसे केवल 60 हजार रुपये की लागत से विकसित किया गया है, जो आयातित सिस्टम की तुलना में काफी कम है. जिसकी 60 लाख रुपये तक की लागत आती है.

पढ़ें : आईएएफ ने पिछले दो महीनों में 7,500 करोड़ रुपये की खरीद को दिया अंतिम रूप

सिस्टम को विमानन प्रमाणित सामग्री से बने हल्के आईसोलेसन प्रणाली के रूप में विकसित किया गया है. यह चिकित्सा निगरानी उपकरणों का एकीकरण और एक उष्मायन रोगी के लिए वेंटिलेशन है.

इसके अलावा, पॉड एयर ट्रांसपोर्ट में शामिल एयर क्रू, ग्राउंड क्रू और हेल्थ केयर वर्करों को संक्रमण के जोखिम को रोकने के लिए आइसोलेशन चैंबर में उच्च निरंतर नेगेटिव दबाव उत्पन्न करता है.

नई दिल्ली : भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने एक स्वदेशी पॉड अर्पित (एअरबोर्न रेस्क्यू पॉड्स फॉर आइसोलेटेड ट्रांसपोर्टेशन, ARPIT) को शामिल किया है. खुद से डिजाइन और विकसित किए गए इस पॉड का उपयोग ऊंचाई पर स्थित पृथक व दूरदराज क्षेत्रों से कोरोना जैसी संक्रामक बीमारियों से पीड़ित गंभीर रोगियों को निकालने के लिए किया जाएगा.

रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि कोरोना को महामारी घोषित किये जाने के बाद इंडियन एयर फोर्स को एक निकासी प्रणाली की आवश्यकता महसूस हुई जो, रोगी से दूसरे व्यक्ति में संक्रामक एरोसोल के प्रसार को रोकती है. वायुसेना ने आइसोलेटेड ट्रांसपोर्टेशन के लिए एक एयरबोर्न रेस्क्यू पॉड को डिजाइन, विकसित और शामिल किया है. इसके बाद वायुसेना ने इस एयरबोर्न रेस्क्यू पॉड को खुद डिजाइन कर उसे विकसित किया और अपने बेड़े में शामिल किया.

प्रधानमंत्री द्वारा आत्मनिर्भर भारत के आह्वान का समर्थन करते हुए, इस पॉड को बनाने में केवल स्वदेशी सामानों का उपयोग किया गया है. इसे केवल 60 हजार रुपये की लागत से विकसित किया गया है, जो आयातित सिस्टम की तुलना में काफी कम है. जिसकी 60 लाख रुपये तक की लागत आती है.

पढ़ें : आईएएफ ने पिछले दो महीनों में 7,500 करोड़ रुपये की खरीद को दिया अंतिम रूप

सिस्टम को विमानन प्रमाणित सामग्री से बने हल्के आईसोलेसन प्रणाली के रूप में विकसित किया गया है. यह चिकित्सा निगरानी उपकरणों का एकीकरण और एक उष्मायन रोगी के लिए वेंटिलेशन है.

इसके अलावा, पॉड एयर ट्रांसपोर्ट में शामिल एयर क्रू, ग्राउंड क्रू और हेल्थ केयर वर्करों को संक्रमण के जोखिम को रोकने के लिए आइसोलेशन चैंबर में उच्च निरंतर नेगेटिव दबाव उत्पन्न करता है.

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