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कोरोना संकट : 55 देशों को एचसीएल दवा निर्यात करेगा भारत

कोरोना संकट के बीच भारत ने 55 देशों को वाणिज्यिक आधार पर और मदद के रूप में मलेरिया रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन की आपूर्ति करने का फैसला किया है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Apr 16, 2020, 9:09 PM IST

Updated : Apr 28, 2020, 8:21 PM IST

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नई दिल्ली : कोरोना संकट के बीच भारत ने 55 देशों को वाणिज्यिक आधार पर और मदद के रूप में मलेरिया रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन की आपूर्ति करने का फैसला किया है.

इनमें वैसे 21 देश भी शामिल हैं, जिन्हें पहले भी दवा निर्यात की जा चुकी है. कुछ वैसे भी देश हैं, जिन्हें भारत ने मानवीय आधार पर मदद की थी. कुछ प्रमुख देशों के नाम हैं - अमेरिका, ब्राजील, अफगानिस्तान, जर्मनी और नेपाल. इन सभी देशों को दूसरी खेप भेजी जाएगी.

विदेश मंत्रालय ने तीसरी सूची भी तैयार की है. इसमें यूएई जैसे देश शामिल हैं. विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है. कोरोना संकट के बीच भारत सरकार अन्य देशों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के प्रयासों में सबसे आगे रही है. कोरोना ​​के खिलाफ लड़ाई में विदेशों से महत्वपूर्ण आपूर्ति सुनिश्चित करती है.

सरकार की ओर से बताया गया कि यह एक सतत जारी प्रक्रिया के तहत चालू है. किसी अन्य देशों से जब अनुरोध आता है, तो इसे फिर से संबंधित समिति के पास रखा जाएगा. हालांकि, विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने पाकिस्तान को लेकर कुछ नहीं कहा. यह नहीं बताया गया है कि पाकिस्तान ने इस दवा के लिए भारत से अनुरोध किया है या नहीं.

भारतीय दूतावासों और मिशनों के माध्यम से विदेश मंत्रालय भी आपूर्तिकर्ताओं की पहचान कर रहा है, कोटेशन प्राप्त कर रहा है, समय पर चिकित्सा वितरण सुनिश्चित करने के लिए आपूर्तिकर्ताओं, समाशोधन एजेंटों, एयरलाइंस के साथ जमीन पर निकट समन्वय कर रहा है. बीजिंग में भारतीय दूतावास और चीन से एक बड़ी खेप किट आ चुका है. इसमें 6.5 लाख परीक्षण किट शामिल हैं,

दोषपूर्ण चीनी परीक्षण किट की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर सरकार ने बताया कि निर्यात मानकों को पूरा करने वाली कंपनियों से ही आयात किए जाते हैं.

दक्षिण कोरिया से परीक्षण किटों की आपूर्ति के लिए विदेश मंत्रालय सभी आवश्यक सहायता प्रदान कर रहा है. यूके, मलेशिया, फ्रांस, कनाडा और यूएस की कंपनियों से फर्म कोटेशन प्राप्त किए गए हैं. सूत्रों ने बताया कि भारत ने जर्मनी और जापान की कंपनियों से भी लीड हासिल की है. एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि पीपीई की बड़ी खेप के जल्द ही भारत पहुंचने की उम्मीद है.

सूत्रों ने आज जानकारी दी कि कोरोना वायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण करने वाले विदेशों में कुल भारतीयों की संख्या 3,336 है. 25 भारतीयों की जान जा चुकी है. हालांकि, भारत ने बाहर फंसे हुए नागरिकों को यह सलाह देना जारी रखा है कि वे अभी तक कोई बड़ी निकासी की योजना नहीं बना रहे हैं, क्योंकि 48 देशों के 35 हजार विदेशी नागरिक अब तक भारतीय सहायता से वापस घर जा चुके हैं. इसमें 41 पाकिस्तानी नागरिक भी शामिल हैं, जिन्हें आज अटारी-वाघा बॉर्डर के जरिए 145 बचे हुए फंसे हुए पाकिस्तानियों को वापस जाने का इंतजार था.

सूत्रों के अनुसार, अतिरिक्त सचिव दम्मू रवि की अध्यक्षता में एमईए में 24/7 कोविड अफेयर्स इमरजेंसी सेल ने अब तक स्वास्थ्य संकट से संबंधित कुछ पांच हजार फोन कॉल, दो हजार सार्वजनिक शिकायतें और 18 हजार संकट ईमेल को संबोधित किया है. 'उन देशों में रिकवरी दर सौभाग्य से अच्छी रही है, जहां भारतीयों ने सकारात्मक परीक्षण किया है और पर्याप्त सावधानी बरत रहे हैं.' एक अधिकारी ने फंसे हुए भारतीयों को दूतावासों, वाणिज्य दूतावासों और सामुदायिक संगठनों के साथ संपर्क में रहने के लिए कहा ताकि उन्हें सर्वोत्तम स्थानीय चिकित्सा और अन्य सहायता मिल सके.

इस बीच सूत्रों ने कहा कि ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, दक्षिण अफ्रीका, चीन) देशों के विदेश मंत्रियों की एक ऑनलाइन बैठक इस महीने के कुछ समय बाद पाइपलाइन में है.

सूत्रों ने कहा कि विदेशों में फंसे भारतीयों को संयम रखना होगा क्योंकि सरकार देश में कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के व्यापक नीतिगत फैसले के तहत उन्हें वहां से स्वदेश नहीं ला रही है.

विदेशों से मेडिकल उपकरण मंगाने के विषय पर मंत्रालय ने कहा कि भारत दक्षिण कोरिया और चीन से कोविड-19 जांच किट खरीद रहा है.

सूत्रों ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये भारत मेडिकल उपकरण जर्मनी, अमेरिका, ब्रिटेन, मलेशिया, जापान और फ्रांस से खरीदने पर विचार कर रहा है.

(वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा)

नई दिल्ली : कोरोना संकट के बीच भारत ने 55 देशों को वाणिज्यिक आधार पर और मदद के रूप में मलेरिया रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन की आपूर्ति करने का फैसला किया है.

इनमें वैसे 21 देश भी शामिल हैं, जिन्हें पहले भी दवा निर्यात की जा चुकी है. कुछ वैसे भी देश हैं, जिन्हें भारत ने मानवीय आधार पर मदद की थी. कुछ प्रमुख देशों के नाम हैं - अमेरिका, ब्राजील, अफगानिस्तान, जर्मनी और नेपाल. इन सभी देशों को दूसरी खेप भेजी जाएगी.

विदेश मंत्रालय ने तीसरी सूची भी तैयार की है. इसमें यूएई जैसे देश शामिल हैं. विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है. कोरोना संकट के बीच भारत सरकार अन्य देशों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के प्रयासों में सबसे आगे रही है. कोरोना ​​के खिलाफ लड़ाई में विदेशों से महत्वपूर्ण आपूर्ति सुनिश्चित करती है.

सरकार की ओर से बताया गया कि यह एक सतत जारी प्रक्रिया के तहत चालू है. किसी अन्य देशों से जब अनुरोध आता है, तो इसे फिर से संबंधित समिति के पास रखा जाएगा. हालांकि, विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने पाकिस्तान को लेकर कुछ नहीं कहा. यह नहीं बताया गया है कि पाकिस्तान ने इस दवा के लिए भारत से अनुरोध किया है या नहीं.

भारतीय दूतावासों और मिशनों के माध्यम से विदेश मंत्रालय भी आपूर्तिकर्ताओं की पहचान कर रहा है, कोटेशन प्राप्त कर रहा है, समय पर चिकित्सा वितरण सुनिश्चित करने के लिए आपूर्तिकर्ताओं, समाशोधन एजेंटों, एयरलाइंस के साथ जमीन पर निकट समन्वय कर रहा है. बीजिंग में भारतीय दूतावास और चीन से एक बड़ी खेप किट आ चुका है. इसमें 6.5 लाख परीक्षण किट शामिल हैं,

दोषपूर्ण चीनी परीक्षण किट की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर सरकार ने बताया कि निर्यात मानकों को पूरा करने वाली कंपनियों से ही आयात किए जाते हैं.

दक्षिण कोरिया से परीक्षण किटों की आपूर्ति के लिए विदेश मंत्रालय सभी आवश्यक सहायता प्रदान कर रहा है. यूके, मलेशिया, फ्रांस, कनाडा और यूएस की कंपनियों से फर्म कोटेशन प्राप्त किए गए हैं. सूत्रों ने बताया कि भारत ने जर्मनी और जापान की कंपनियों से भी लीड हासिल की है. एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि पीपीई की बड़ी खेप के जल्द ही भारत पहुंचने की उम्मीद है.

सूत्रों ने आज जानकारी दी कि कोरोना वायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण करने वाले विदेशों में कुल भारतीयों की संख्या 3,336 है. 25 भारतीयों की जान जा चुकी है. हालांकि, भारत ने बाहर फंसे हुए नागरिकों को यह सलाह देना जारी रखा है कि वे अभी तक कोई बड़ी निकासी की योजना नहीं बना रहे हैं, क्योंकि 48 देशों के 35 हजार विदेशी नागरिक अब तक भारतीय सहायता से वापस घर जा चुके हैं. इसमें 41 पाकिस्तानी नागरिक भी शामिल हैं, जिन्हें आज अटारी-वाघा बॉर्डर के जरिए 145 बचे हुए फंसे हुए पाकिस्तानियों को वापस जाने का इंतजार था.

सूत्रों के अनुसार, अतिरिक्त सचिव दम्मू रवि की अध्यक्षता में एमईए में 24/7 कोविड अफेयर्स इमरजेंसी सेल ने अब तक स्वास्थ्य संकट से संबंधित कुछ पांच हजार फोन कॉल, दो हजार सार्वजनिक शिकायतें और 18 हजार संकट ईमेल को संबोधित किया है. 'उन देशों में रिकवरी दर सौभाग्य से अच्छी रही है, जहां भारतीयों ने सकारात्मक परीक्षण किया है और पर्याप्त सावधानी बरत रहे हैं.' एक अधिकारी ने फंसे हुए भारतीयों को दूतावासों, वाणिज्य दूतावासों और सामुदायिक संगठनों के साथ संपर्क में रहने के लिए कहा ताकि उन्हें सर्वोत्तम स्थानीय चिकित्सा और अन्य सहायता मिल सके.

इस बीच सूत्रों ने कहा कि ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, दक्षिण अफ्रीका, चीन) देशों के विदेश मंत्रियों की एक ऑनलाइन बैठक इस महीने के कुछ समय बाद पाइपलाइन में है.

सूत्रों ने कहा कि विदेशों में फंसे भारतीयों को संयम रखना होगा क्योंकि सरकार देश में कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के व्यापक नीतिगत फैसले के तहत उन्हें वहां से स्वदेश नहीं ला रही है.

विदेशों से मेडिकल उपकरण मंगाने के विषय पर मंत्रालय ने कहा कि भारत दक्षिण कोरिया और चीन से कोविड-19 जांच किट खरीद रहा है.

सूत्रों ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये भारत मेडिकल उपकरण जर्मनी, अमेरिका, ब्रिटेन, मलेशिया, जापान और फ्रांस से खरीदने पर विचार कर रहा है.

(वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा)

Last Updated : Apr 28, 2020, 8:21 PM IST
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