इस्लामाबाद/नई दिल्ली: पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव से इस्लामाबाद में भारत के उप उच्चायुक्त गौरव अहलूवालिया ने मुलाकात की. यह मुलाकात 'अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) द्वारा दी गई व्यवस्था के अनुपालन में' पाकिस्तान द्वारा जाधव को राजनयिक पहुंच की अनुमति दिए जाने के बाद हुई.
खबर के मुताबिक जाधव से अज्ञात जगह पर करीब ढाई घंटे तक मुलाकात हुई. शुरुआत में पाक के विदेश मंत्रालय में यह मुलाकात तय की गई थी लेकिन बाद में पाक ने स्थान बदल दिया.
बता दें, भारतीय नागरिक जाधव तीन साल से भी अधिक समय से पाक जेल में बंद हैं.
भारतीय नागरिक जाधव पाकिस्तान की जेल में बंद हैं और 'जासूसी तथा आतंकवाद के जुर्म में' पड़ोसी देश ने 2017 में उन्हें मौत की सजा सुनाई थी.
खबर के अनुसार वरिष्ठ भारतीय राजनयिक अहलूवालिया और जाधव के बीच मुलाकात समाप्त हो गई है. यह मुलाकात पाकिस्तान की एक उपजेल में हुई.
जाधव से मुलाकात करने से पहले, अहलूवालिया ने पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल से विदेश मंत्रालय में मुलाकात की.
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने रविवार को ट्वीट किया था, 'भारतीय जासूस कमांडर कुलभूषण जाधव को राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन, आईसीजे के फैसले और पाकिस्तान के कानूनों के अनुरूप राजनयिक पहुंच सोमवार (दो सितम्बर, 2019) को उपलब्ध कराई जायेगी.'
गौरतलब है कि 49 वर्षीय जाधव को 'जासूसी और आतंकवाद के जुर्म’ में पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने अप्रैल, 2017 में मौत की सजा सुनाई थी. उसके बाद भारत ने आईसीजे पहुंचकर उनकी मौत की सजा पर रोक लगाने की मांग की थी.
पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने एक अगस्त को भी कहा था कि भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी को अगले दिन राजनयिक पहुंच दी जायेगी. हालांकि, जाधव को राजनयिक पहुंच की शर्तो को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेदों के बीच दो अगस्त की अपराह्र तीन बजे प्रस्तावित यह बैठक नहीं हो सकी थी.
आईसीजे ने 17 जुलाई को पाकिस्तान को जाधव को सुनाई गयी फांसी की सजा पर प्रभावी तरीके से पुन:विचार करने और राजनयिक पहुंच प्रदान करने का आदेश दिया था.
पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षा बलों ने जाधव को तीन मार्च, 2016 को अशांत बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया था. उन पर ईरान से यहां आने के आरोप लगे थे.
हालांकि, भारत का मानना है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया था जहां वह नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद कारोबार के सिलसिले में गए थे.
जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को केंद्र सरकार द्वारा हटाये जाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की पृष्ठभूमि में पाकिस्तान की ओर से यह पेशकश की गई है.
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