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पति की हत्या करने वाली पत्नी का भी पारिवारिक पेंशन पर हक : हाई कोर्ट

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि महिला ने अगर पति की हत्या की है, तो भी उसे पारिवारिक पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट ने एक मामले में महिला को पेंशन देने का आदेश जारी किया है.

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट
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Published : Jan 31, 2021, 8:20 PM IST

चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अंबाला निवासी बलजीत कौर की फैमिली पेंशन रोकने के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकारी कर्मचारी की विधवा अगर हत्या की दोषी है तो भी उसे फैमिली पेंशन देने से इनकार नहीं किया जा सकता.
बलजीत कौर के पति तरसेम सिंह हरियाणा सरकार के कर्मचारी थे. उनकी मृत्यु 2008 में हो गई थी. 2009 में पत्नी बलजीत कौर पर पति की हत्या मामला दर्ज हुआ. बलजिंदर कौर को 2011 में दोषी करार दे दिया गया. इस आधार पर हरियाणा सरकार ने उसको दिए जाने वाले वित्तीय लाभ रोक दिए थे.

हाईकोर्ट ने कहा कि हरियाणा सरकार ने गलती की है. कोर्ट ने कहा कि सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को कोई नहीं काटता. कोई पत्नी केवल वित्तीय लाभ के लिए कर्मचारी की हत्या न कर दे इसलिए नियम बनाया गया था.

फैमिली पेंशन एक कल्याणकारी नियम है जिसे कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में परिवार को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए बनाया गया है. ऐसे में पत्नी अपराधिक मामले की दोषी होकर भी फैमिली पेंशन की हकदार है. हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को 2 महीने के भीतर याचिकाकर्ता को लंबित वित्तीय लाभ तथा फैमिली पेंशन जारी करने का आदेश जारी किया है.

क्या है नियम?, सरकार की दलील
नियम के अनुसार सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी को कर्मचारी की सेवानिवृति की तिथि तक वित्तीय लाभ जारी किए जाते हैं. सेवानिवृति की आयु पूरी होने के बाद पत्नी फैमिली पेंशन की हकदार होती है. हरियाणा सरकार ने यह कहते हुए वित्तीय लाभ तथा फैमिली पेंशन से इनकार कर दिया था की पत्नी का आचरण सही नहीं है वह दोषी करार दी जा चुकी है.

कोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि आदेश नियमों के विपरीत है. यदि कर्मचारी का आचरण सही नहीं है या फिर उसे गंभीर अपराध में दंड मिला है तो उसे सजा के तौर पर पेंशन या अन्य लाभ से महरूम रखा जा सकता है.

पढ़ें- पारिवारिक पेंशन के नियमों में ढील, लंबित तलाक याचिका के बावजूद बेटी को मिलेंगे पैसे

यदि पत्नी का आचरण सही नहीं है या फिर वह गंभीर मामले में दोषी करार दी जा चुकी है तो वह फैमिली पेंशन का लाभ पाने की हकदार है.

चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अंबाला निवासी बलजीत कौर की फैमिली पेंशन रोकने के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकारी कर्मचारी की विधवा अगर हत्या की दोषी है तो भी उसे फैमिली पेंशन देने से इनकार नहीं किया जा सकता.
बलजीत कौर के पति तरसेम सिंह हरियाणा सरकार के कर्मचारी थे. उनकी मृत्यु 2008 में हो गई थी. 2009 में पत्नी बलजीत कौर पर पति की हत्या मामला दर्ज हुआ. बलजिंदर कौर को 2011 में दोषी करार दे दिया गया. इस आधार पर हरियाणा सरकार ने उसको दिए जाने वाले वित्तीय लाभ रोक दिए थे.

हाईकोर्ट ने कहा कि हरियाणा सरकार ने गलती की है. कोर्ट ने कहा कि सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को कोई नहीं काटता. कोई पत्नी केवल वित्तीय लाभ के लिए कर्मचारी की हत्या न कर दे इसलिए नियम बनाया गया था.

फैमिली पेंशन एक कल्याणकारी नियम है जिसे कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में परिवार को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए बनाया गया है. ऐसे में पत्नी अपराधिक मामले की दोषी होकर भी फैमिली पेंशन की हकदार है. हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को 2 महीने के भीतर याचिकाकर्ता को लंबित वित्तीय लाभ तथा फैमिली पेंशन जारी करने का आदेश जारी किया है.

क्या है नियम?, सरकार की दलील
नियम के अनुसार सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी को कर्मचारी की सेवानिवृति की तिथि तक वित्तीय लाभ जारी किए जाते हैं. सेवानिवृति की आयु पूरी होने के बाद पत्नी फैमिली पेंशन की हकदार होती है. हरियाणा सरकार ने यह कहते हुए वित्तीय लाभ तथा फैमिली पेंशन से इनकार कर दिया था की पत्नी का आचरण सही नहीं है वह दोषी करार दी जा चुकी है.

कोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि आदेश नियमों के विपरीत है. यदि कर्मचारी का आचरण सही नहीं है या फिर उसे गंभीर अपराध में दंड मिला है तो उसे सजा के तौर पर पेंशन या अन्य लाभ से महरूम रखा जा सकता है.

पढ़ें- पारिवारिक पेंशन के नियमों में ढील, लंबित तलाक याचिका के बावजूद बेटी को मिलेंगे पैसे

यदि पत्नी का आचरण सही नहीं है या फिर वह गंभीर मामले में दोषी करार दी जा चुकी है तो वह फैमिली पेंशन का लाभ पाने की हकदार है.

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