हैदराबाद : भारत में नागरिक उड्डयन उद्योग कोरोना वायरस महामारी के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. प्रारंभ में महामारी का प्रभाव केवल अंतर्राष्ट्रीय यातायात पर ही महसूस किया गया था. जनवरी 2020 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यात्रियों की संख्या में 0.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि जनवरी 2019 में 5.7 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी. जनवरी 2020 की शुरुआत में सरकार ने देश के सात प्रमुख हवाई अड्डों पर चीन या हांगकांग से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू की. तब तक घरेलू उड़ानों पर कोई व्यवधान नहीं था.
फरवरी 2020 में घरेलू उड़ानों पर असर नहीं पड़ा. उनमें 9.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. इस महीने में पिछले तीन महीने के मुकाबले घरेलू उड़ानों में ज्यादा वृद्धि देखी गई. फरवरी 2020 के महीने में अंतर्राष्ट्रीय यात्री उड़ानों में 3.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. अप्रैल 2002 से अंतर्राष्ट्रीय यात्री उड़ानों में अबतक की सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई.
फरवरी मध्य से ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन ने कोरोना प्रभावित देशों से भारत में आने वाले यात्रियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की सलाह जारी की थी. 6 मार्च, 2020 तक, भारत सरकार ने देश भर के 30 विभिन्न हवाई अड्डों पर पहुंचने वाले सभी अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी. 22 मार्च, 2020 से किसी भी अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक उड़ानों को भारतीय हवाई अड्डों पर उतरने की अनुमति नहीं थी. मार्च 2020 के दौरान, फरवरी 2017 से हवाई अड्डों पर अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों की आवाजाही हर महीने 5 मिलियन से ऊपर रही है.अंतर्राष्ट्रीय यात्री यातायात में 56.2 प्रतिशत की गिरावट आई और संख्या घटकर 2.6 मिलियन हो गई.
बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते केंद्र ने 24 मार्च 2020 से देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की. 24 मार्च, 2020 से सभी घरेलू वाणिज्यिक उड़ानों का परिचालन पूरी तरह से बंद हो गया. अक्टूबर 2017 से हवाई अड्डों पर घरेलू यात्रियों की आवाजाही हर महीने 20 मिलियन से ऊपर रही है. लेकिन मार्च 2020 के दौरान, घरेलू यात्रियों की आवाजाही घटकर 32.9 यानि 15 मिलियन हो गई. अप्रैल 2020 के महीने में घरेलू यात्री उड़ानों में 100 प्रतिशत और अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानों में 99.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.
7 मई, 2020 को, भारत सरकार ने लोगों को भारत से ले जाने और भारत में वापस लाने के लिए वंदे भारत मिशन शुरू किया. वंदे भारत मिशन ने पूरे मई में दो चरणों में काम किया. 31 मई, 2020 तक, 274 इनबाउंड उड़ानें संचालित की गईं, जिसमें 50,989 यात्रियों को वापस लाया गया और 13,298 यात्रियों को ले जाने वाली 276 आउटबाउंड उड़ानों को वंदे भारत मिशन के चरण 1 और चरण 2 के तहत पूरा किया गया. भारत ही नहीं, अन्य देशों ने भी अपने देश के नागरिकों को वापस लाने की व्यवस्था की है.
वापस लाने और ले जाने के मिशनों के अलावा, अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक उड़ानें अप्रैल और मई 2020 तक बंद रहीं और उम्मीद है कि जून 2020 तक भी यह बंद ही रहेगी. अब तक, सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को फिर से शुरू करने की किसी तारीख की घोषणा नहीं की है. रिपोर्टों के अनुसार, नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत अगस्त या सितंबर 2020 से पहले अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानों को फिर से शुरू करने की कोशिश करेगा. इस वजह से अंतर्राष्ट्रीय यात्री उड़ान में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में गिरावट की उम्मीद है.
25 मई, 2020 से, घरेलू एयरलाइनों को कम संख्या में उड़ानों का परिचालन शुरू करने की अनुमति दी गई. रिपोर्टों के अनुसार प्री-लॉकडाउन अवधि में भारतीय हवाई अड्डों से लगभग 3,000 दैनिक घरेलू उड़ानों का संचालन हुआ. 25 मई को भारत में 428 घरेलू उड़ानें संचालित की गईं. 1 जून, 2020 को फ्लाईट का आवागमन 692 उड़ानों तक पहुंच गया. 25 मई से लगभग 30,000 घरेलू यात्रियों का आवागमन नियंत्रित किया गया.
वहीं, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और तमिलनाडु में यात्रियों की भारी भीड़ से बचने के लिए इन हवाई अड्डों को सीमित संख्या में उड़ानें संचालित करने की अनुमति है. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने अपनी एडवाइजरी में घरेलू एयरलाइंस में बीच की सीटें खाली रखने की सलाह दी है. घरेलू यात्री उड़ान पूरे जून 2020 तक कम रहने की उम्मीद है. बताया जा रहा है कि धीरे-धीरे लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील देने और परिचालन को फिर से शुरू करने के बाद घरेलू यात्री उड़ान इस साल धीमी गति से आगे बढ़ेगी.