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महबूबा मुफ्ती की रिहाई के लिए बेटी इल्तिजा पहुंचीं सुप्रीम कोर्ट

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा ने मां की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है. उन्होंने कहा कि मां की नजरबंदी गैरकानूनी है.

iltija moves supreme court
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Published : Sep 23, 2020, 6:28 PM IST

Updated : Sep 23, 2020, 6:35 PM IST

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी मां की रिहाई के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है.

ईटीवी भारत से फोन पर बात करते हुए इल्तिजा ने कहा कि मेरी मां की नजरबंदी गैरकानूनी है. उसकी दुनिया के बाहर बहुत कम पहुंच है और यहां तक ​​कि उसका लैंडलाइन फोन भी गैरकानूनी और अनुचित तरीके से काट दिया गया है. वह एक साल से ज्यादा समय तक बिना किसी रोक-टोक के हिरासत में रहीं.

उन्होंने बताया कि याचिका पिछले हफ्ते दायर की गई है. मैं इस ताजा रिट याचिका के माध्यम से शीर्ष अदालत के जानकारी में लाना चाहती हूं कि फरवरी में आदेश के बावजूद जम्मू-कश्मीर प्रशासन को अबतक जवाब दाखिल नहीं किया है. यह अदालतों और सुप्रीम कोर्ट के लिए उनके सम्मान को दर्शाता है.

उन्होंने अपनी मां महबूबा मुफ्ती के इलाज के लिए नाराजगी भी जताई, जहां उन्हें पीडीपी के सदस्यों से जान बूझकर मिलने नहीं दिया जा रहा जिसकी वह अध्यक्ष हैं.

मेरी मां को बार-बार एक बांड पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा जा रहा है, जिसमें यह शामिल है कि नजरबंदी से रिहा होने के बाद वह जम्मू और कश्मीर राज्य में हाल की घटनाओं से संबंधित सार्वजनिक सभाओं में कोई टिप्पणी नहीं करेंगी या बयान जारी नहीं करेंगी या सार्वजनिक भाषण नहीं देंगी.

महबूबा को सरकार ने फरवरी में पीएसए कानून के तहत हिरासत में लिया था और वह अभी तक हिरासत में ही हैं. गौरतलब है कि पिछले साल पांच अगस्त को सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटा दिए थे.

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी मां की रिहाई के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है.

ईटीवी भारत से फोन पर बात करते हुए इल्तिजा ने कहा कि मेरी मां की नजरबंदी गैरकानूनी है. उसकी दुनिया के बाहर बहुत कम पहुंच है और यहां तक ​​कि उसका लैंडलाइन फोन भी गैरकानूनी और अनुचित तरीके से काट दिया गया है. वह एक साल से ज्यादा समय तक बिना किसी रोक-टोक के हिरासत में रहीं.

उन्होंने बताया कि याचिका पिछले हफ्ते दायर की गई है. मैं इस ताजा रिट याचिका के माध्यम से शीर्ष अदालत के जानकारी में लाना चाहती हूं कि फरवरी में आदेश के बावजूद जम्मू-कश्मीर प्रशासन को अबतक जवाब दाखिल नहीं किया है. यह अदालतों और सुप्रीम कोर्ट के लिए उनके सम्मान को दर्शाता है.

उन्होंने अपनी मां महबूबा मुफ्ती के इलाज के लिए नाराजगी भी जताई, जहां उन्हें पीडीपी के सदस्यों से जान बूझकर मिलने नहीं दिया जा रहा जिसकी वह अध्यक्ष हैं.

मेरी मां को बार-बार एक बांड पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा जा रहा है, जिसमें यह शामिल है कि नजरबंदी से रिहा होने के बाद वह जम्मू और कश्मीर राज्य में हाल की घटनाओं से संबंधित सार्वजनिक सभाओं में कोई टिप्पणी नहीं करेंगी या बयान जारी नहीं करेंगी या सार्वजनिक भाषण नहीं देंगी.

महबूबा को सरकार ने फरवरी में पीएसए कानून के तहत हिरासत में लिया था और वह अभी तक हिरासत में ही हैं. गौरतलब है कि पिछले साल पांच अगस्त को सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटा दिए थे.

Last Updated : Sep 23, 2020, 6:35 PM IST
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