कोकराझार: असम के बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र के विभिन्न स्थानों से तकनीकी रूप से उन्नत अवैध हथियार बरामद किए गए हैं. हालांकि, असम पुलिस के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि इन जगहों पर अवैध हथियार कैसे और कहां से आए हैं.
साल 2003 में बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद द्वारा समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद, इस वर्ष ऐतिहासिक बोडो समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे ताकि बोडोलैंड में शांति कायम हो सके. एक लंबे सशस्त्र आंदोलन के बाद एनडीएफबी के अध्यक्ष बी. सौरीगव्रा और महासचिव बी.आर. फेरेंगा इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के अपने मुख्य उद्देश्य पर लौट आए हैं.
आखिकार केंद्र सरकार, राज्य सरकार और एनडीएफबी के बीच इस समझौते पर नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए गया. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोडोलैंड पहुंचे और यहां के लोगों को गर्मजोशी से संबोधित किया, फिर भी बोडोलैंड में शांति बहाल नहीं हुई.
भले ही मुख्य लड़ाई BPF और UPP के बीच हो लेकिन वर्तमान में बोडोलैंड में विधानसभा चुनाव का माहौल देखने का मिल रहा है.
नाबा सरानिया की पार्टी भी दोनों पार्टियों के लिए एक प्रतियोगी साबित हो रही है. तीसरे शांति समझौते के बाद, कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदलगुरी जिलों में विभिन्न स्थानों से अवैध हथियार बरामद किए जा रहे हैं.
इस साल मार्च से अब तक पुलिस ने एम 16 और H&K के राइफलों को बरामद किया है, जिसमें 40 एके सीरीज राइफलें, 17 पिस्तौल, 174 ग्रेनेड, 1510 जिंदा कारतूस, भारी मात्रा में विस्फोटक और वॉकी टॉकी शामिल हैं. पुलिस ने अभी तक यह खुलासा नहीं किया है कि ये हथियार किस संगठन या व्यक्ति के हैं.
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एनडीएफबी कैडरों ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले आत्मसमर्पण करते हुए कथित तौर पर अपने सभी हथियार और गोला-बारूद पुलिस को जमा कर दिए थे. अब सवाल यह उठता है कि इन अवैध हथियारों के पीछे कौन है. अलग-अलग जगहों पर इन हथियारों को छिपाने का क्या मकसद हो सकता है? क्या ऐसे माहौल में बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र में शांतिपूर्ण चुनाव संभव है?
यह स्पष्ट है कि तीन शांति समझौतों पर हस्ताक्षर करने के बाद भी, बोडोलैंड में एक शांतिपूर्ण माहौल स्थापित नहीं हो पाया.