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आतंकवादी समूहों के लिए कोरोना वायरस बन सकता है जैविक हथियार

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने अंदेशा जताया है कि आतंकवादी समूह कोरोना वायरस फैलाने की योजना बना सकते हैं. नस्लवादियों से लेकर इस्लामिक आतंकवादियों तक की व्यापक विचारधारा वाले लोगों भी इस तरह के जैविक युद्ध में शामिल हो सकते है. एक खुफिया रिपोर्ट से पता चला कि एक आतंकवादी समूह पहले ही इस तरह के हमलों का सहारा ले चुका है. अगर एक बार कोरोना वायरस के मामलों की संख्या बढ़ जाती है, तो सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली ध्वस्त हो जाएगी. इससे सरकार असहाय हो जाएगी.

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प्रतीकात्मक चित्र
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Published : May 21, 2020, 8:53 PM IST

हैदराबाद : कोरोना संक्रमण को लेकर चीन पर इस बात का आरोप लग रहा है कि उसने विश्व महाशक्ति बनने के लिए कोरोना वायरस का निर्माण कर षड़यंत्र रचा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति का आरोप है चीनी सरकार ने वुहान के प्रयोगशाला से छिपा कर इस वायरस के प्रसार का समर्थन किया है. हालांकि वैज्ञानिक और खुफिया समूह अमेरिका के आरोपों को निराधार बता रहे हैं.

उनके अनुसार वायरस पशु-मानव संचरण के माध्यम से विकसित हुआ है. एक और तर्क है कि अमेरिकी नेता चीन पर महामारी का जवाब मांगकर अपनी विफलता को ढक रहे हैं. इसके अलावा तथ्य यह है कि अमेरिका ने वुहान में विवादास्पद चीनी प्रयोगशाला के लिए वित्त पोषण में 37 लाख रुपये दिए थे.

दरअसल एशियाई देशों में 2002-03 सार्स प्रकोप के दौरान चीन ने भविष्य की तैयारी के लिए वुहान में एक वायरोलॉजी प्रयोगशाला स्थापित करने का निर्णय किया था. चीनी सरकार को उम्मीद थी कि विषाणु विज्ञान अध्ययन एंटीवायरल ड्रग्स विकसित करने में योगदान देगा. कई स्रोतों ने कहा कि कोई सबूत नहीं है कि चीन ने लैब-निर्मित वायरस विकसित करके दुनिया के देशों के खिलाफ साजिश रची है.

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने अंदेशा लगाया है कि आतंकवादी समूह कोरोना वायरस फैलाने की योजना बना सकते हैं. नस्लवादियों से लेकर इस्लामिक आतंकवादियों तक की व्यापक विचारधारा वाले लोगों भी इस तरह के जैविक युद्ध में शामिल हो सकते हैं. एक खुफिया रिपोर्ट से पता चला कि एक आतंकवादी समूह पहले ही इस तरह के हमलों का सहारा ले चुका है. अगर एक बार कोरोना वायरस के मामलों की संख्या बढ़ जाती है, तो सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली ध्वस्त हो जाएगी. इससे सरकार असहाय हो जाएगी.

खुफिया सूत्रों का सुझाव है कि आतंकवादी हमलों को रोकने के लिए सरकार को तीन चरणों वाली रणनीति को लागू करना चाहिए.

सबसे पहले सरकार को आतंकवादी हमलों से संबंधित किसी भी वार्तालाप के लिए सोशल मीडिया, ईमेल, एसएमएस, इंटरनेट चैटरूम और संदेश बोर्डों को ट्रैक करना चाहिए. ऐसी विचारधारा वाले लोगों को निगरानी में रखा जाना चाहिए. उनके निवास स्थान निरंतर स्कैनर के अधीन करना चाहिए. कोई जानबूझकर छूता है, तो दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए. दूसरे चरण में जानबूझकर संक्रमण फैलना वालों को पहचाना चाहिए और उन्हें दंडित किया जाना चाहिए. यद्यपि वायरस के प्रारंभिक चरण में संक्रमण को रोकना प्रभावी है, लेकिन संक्रमण के स्रोत का पता लगाना मुश्किल है, क्योंकि संचरण तीसरे चरण तक बढ़ता है.

प्रारंभ में भारत में कोरोना वायरस की जड़ें चीन और इटली में थीं. इसी तरह वायरस चीन, इटली, फ्रांस के यात्रियों के माध्यम से अमेरिका में प्रवेश किया. किसी विशेष क्षेत्र में वायरस की तुलना और संक्रमण का आकलन कर अधिकारी जान सकते हैं कि क्या यह जानबूझकर फैलाया गया है. खुफिया स्रोतों ने सरकार को लॉकडाउन, परीक्षण, संगरोध और अलगाव रणनीतियों की मदद से विदेशी वायरस के खिलाफ स्थानीय आबादी की रक्षा करने की सलाह दी.

कोरोना वायरस फैलाने के लिए भारत के जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों का खतरा बढ़ गया है. आतंकवादी रोग को भारतीय सशस्त्र बलों तक पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं, जो सामाजिक दूरी और व्यक्तिगत स्वच्छता को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं. इसे बाधित करने के लिए आतंकवादी सीमाओं पर हमला कर रहे हैं. लॉकडाउन मानदंडों को लागू करने के अलावा, सेना आतंकवादी हमलों से भी निपटने की कोशिश कर रही है. इसके अलावा, सेना नागरिकों में वायरस के प्रसार को रोकने में सरकार का समर्थन कर रही है.

आपको बता दें कि भारतीय सैन्य बलों ने कोरोना संदिग्धों के लिए 48 घंटे के भीतर मानेसर में एक संगरोध केंद्र बनाया है.

भारतीय वायु सेना विदेशों में फंसे भारतीयों को एयरलिफ्ट कर रही है. भारतीय सेना में 13,000 से अधिक डॉक्टर, विशेषज्ञ और नर्स हैं. इसके अतिरिक्त, 1,00,000 सहायक चिकित्सा कर्मचारी हैं. सेना के एक पूर्व कमांडर ने सुझाव दिया है कि इस सैन्य बल के एक तिहाई को पूरे देश में कोरोना गतिविधियों में तैनात किया जा सकता है. सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी उनकी मदद के लिए तैयार हैं. भारत में 130 सैन्य अस्पताल हैं. यदि आवश्यक हो, तो सैन्य इंजीनियर 100 क्षेत्र-स्तरीय अस्पतालों की स्थापना के लिए नागरिक भवनों, कारखानों और शेड को कोरोना केयर सेंटर में बदल सकते हैं. यदि तीसरे चरण का प्रसारण शुरू होता है, तो केंद्र लॉकडाउन को लागू करने के लिए सशस्त्र बलों को तैनात कर सकता है.

वायरस को फैलाने के लिए कोरोना पीड़ितों को जैविक युद्ध में इस्तेमाल करने की आतंकवादियों की तरफ से संभावना है. संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अगर आतंकवादी गुटों को खतरनाक वायरस की पकड़ है, तो दुनिया एक महान संकट का गवाह बनेगी. कोविड-19 राष्ट्रों और अर्थव्यवस्थाओं को समान रूप से नष्ट कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक तालाबंदी के परिणामस्वरूप सामाजिक अशांति और आतंकवादी हमले हो सकते हैं. गुटेरेस ने कहा कि अगर विभिन्न आतंकवादी समूहों ने कोरोनोवायरस की आड़ में अशांति और हिंसा पैदा करने का फैसला किया तो महामारी अनियंत्रित हो जाएगी. चूंकि सरकारें महामारी को नियंत्रित करने में व्यस्त हैं, इसलिए आतंकवादी समूह इसे अवसर के रूप में ले सकते हैं.

हैदराबाद : कोरोना संक्रमण को लेकर चीन पर इस बात का आरोप लग रहा है कि उसने विश्व महाशक्ति बनने के लिए कोरोना वायरस का निर्माण कर षड़यंत्र रचा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति का आरोप है चीनी सरकार ने वुहान के प्रयोगशाला से छिपा कर इस वायरस के प्रसार का समर्थन किया है. हालांकि वैज्ञानिक और खुफिया समूह अमेरिका के आरोपों को निराधार बता रहे हैं.

उनके अनुसार वायरस पशु-मानव संचरण के माध्यम से विकसित हुआ है. एक और तर्क है कि अमेरिकी नेता चीन पर महामारी का जवाब मांगकर अपनी विफलता को ढक रहे हैं. इसके अलावा तथ्य यह है कि अमेरिका ने वुहान में विवादास्पद चीनी प्रयोगशाला के लिए वित्त पोषण में 37 लाख रुपये दिए थे.

दरअसल एशियाई देशों में 2002-03 सार्स प्रकोप के दौरान चीन ने भविष्य की तैयारी के लिए वुहान में एक वायरोलॉजी प्रयोगशाला स्थापित करने का निर्णय किया था. चीनी सरकार को उम्मीद थी कि विषाणु विज्ञान अध्ययन एंटीवायरल ड्रग्स विकसित करने में योगदान देगा. कई स्रोतों ने कहा कि कोई सबूत नहीं है कि चीन ने लैब-निर्मित वायरस विकसित करके दुनिया के देशों के खिलाफ साजिश रची है.

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने अंदेशा लगाया है कि आतंकवादी समूह कोरोना वायरस फैलाने की योजना बना सकते हैं. नस्लवादियों से लेकर इस्लामिक आतंकवादियों तक की व्यापक विचारधारा वाले लोगों भी इस तरह के जैविक युद्ध में शामिल हो सकते हैं. एक खुफिया रिपोर्ट से पता चला कि एक आतंकवादी समूह पहले ही इस तरह के हमलों का सहारा ले चुका है. अगर एक बार कोरोना वायरस के मामलों की संख्या बढ़ जाती है, तो सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली ध्वस्त हो जाएगी. इससे सरकार असहाय हो जाएगी.

खुफिया सूत्रों का सुझाव है कि आतंकवादी हमलों को रोकने के लिए सरकार को तीन चरणों वाली रणनीति को लागू करना चाहिए.

सबसे पहले सरकार को आतंकवादी हमलों से संबंधित किसी भी वार्तालाप के लिए सोशल मीडिया, ईमेल, एसएमएस, इंटरनेट चैटरूम और संदेश बोर्डों को ट्रैक करना चाहिए. ऐसी विचारधारा वाले लोगों को निगरानी में रखा जाना चाहिए. उनके निवास स्थान निरंतर स्कैनर के अधीन करना चाहिए. कोई जानबूझकर छूता है, तो दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए. दूसरे चरण में जानबूझकर संक्रमण फैलना वालों को पहचाना चाहिए और उन्हें दंडित किया जाना चाहिए. यद्यपि वायरस के प्रारंभिक चरण में संक्रमण को रोकना प्रभावी है, लेकिन संक्रमण के स्रोत का पता लगाना मुश्किल है, क्योंकि संचरण तीसरे चरण तक बढ़ता है.

प्रारंभ में भारत में कोरोना वायरस की जड़ें चीन और इटली में थीं. इसी तरह वायरस चीन, इटली, फ्रांस के यात्रियों के माध्यम से अमेरिका में प्रवेश किया. किसी विशेष क्षेत्र में वायरस की तुलना और संक्रमण का आकलन कर अधिकारी जान सकते हैं कि क्या यह जानबूझकर फैलाया गया है. खुफिया स्रोतों ने सरकार को लॉकडाउन, परीक्षण, संगरोध और अलगाव रणनीतियों की मदद से विदेशी वायरस के खिलाफ स्थानीय आबादी की रक्षा करने की सलाह दी.

कोरोना वायरस फैलाने के लिए भारत के जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों का खतरा बढ़ गया है. आतंकवादी रोग को भारतीय सशस्त्र बलों तक पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं, जो सामाजिक दूरी और व्यक्तिगत स्वच्छता को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं. इसे बाधित करने के लिए आतंकवादी सीमाओं पर हमला कर रहे हैं. लॉकडाउन मानदंडों को लागू करने के अलावा, सेना आतंकवादी हमलों से भी निपटने की कोशिश कर रही है. इसके अलावा, सेना नागरिकों में वायरस के प्रसार को रोकने में सरकार का समर्थन कर रही है.

आपको बता दें कि भारतीय सैन्य बलों ने कोरोना संदिग्धों के लिए 48 घंटे के भीतर मानेसर में एक संगरोध केंद्र बनाया है.

भारतीय वायु सेना विदेशों में फंसे भारतीयों को एयरलिफ्ट कर रही है. भारतीय सेना में 13,000 से अधिक डॉक्टर, विशेषज्ञ और नर्स हैं. इसके अतिरिक्त, 1,00,000 सहायक चिकित्सा कर्मचारी हैं. सेना के एक पूर्व कमांडर ने सुझाव दिया है कि इस सैन्य बल के एक तिहाई को पूरे देश में कोरोना गतिविधियों में तैनात किया जा सकता है. सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी उनकी मदद के लिए तैयार हैं. भारत में 130 सैन्य अस्पताल हैं. यदि आवश्यक हो, तो सैन्य इंजीनियर 100 क्षेत्र-स्तरीय अस्पतालों की स्थापना के लिए नागरिक भवनों, कारखानों और शेड को कोरोना केयर सेंटर में बदल सकते हैं. यदि तीसरे चरण का प्रसारण शुरू होता है, तो केंद्र लॉकडाउन को लागू करने के लिए सशस्त्र बलों को तैनात कर सकता है.

वायरस को फैलाने के लिए कोरोना पीड़ितों को जैविक युद्ध में इस्तेमाल करने की आतंकवादियों की तरफ से संभावना है. संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अगर आतंकवादी गुटों को खतरनाक वायरस की पकड़ है, तो दुनिया एक महान संकट का गवाह बनेगी. कोविड-19 राष्ट्रों और अर्थव्यवस्थाओं को समान रूप से नष्ट कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक तालाबंदी के परिणामस्वरूप सामाजिक अशांति और आतंकवादी हमले हो सकते हैं. गुटेरेस ने कहा कि अगर विभिन्न आतंकवादी समूहों ने कोरोनोवायरस की आड़ में अशांति और हिंसा पैदा करने का फैसला किया तो महामारी अनियंत्रित हो जाएगी. चूंकि सरकारें महामारी को नियंत्रित करने में व्यस्त हैं, इसलिए आतंकवादी समूह इसे अवसर के रूप में ले सकते हैं.

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