नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने मलयाली भाषा के दो समाचार चैनलों के प्रसारण पर शुक्रवार को लगाया गया 48 घंटे का प्रतिबंध हटा लिया है. दरअसल यह प्रतिबंध ऐसी खबरें कथित तौर पर प्रसारित करने के लिए लगाया गया था जो देश में 'सांप्रदायिक विद्वेष' को बढ़ा सकती हैं.
इस मुद्दे पर बात करते हुए केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हमने दोनों समाचार चैनलों पर लगाया गया प्रतिबंध हटा लिया है. मोदी सरकार हमेशा से प्रेस स्वतंत्रता का समर्थन करती है. इसके साथ जावड़ेकर ने कहा कि दोनों चैनलों का प्रसारण तुरंत शुरू कर दिया गया है इसके बारे में प्रधानमंत्री ने भी पूछताछ की, चिंता जताई. ये कैसे हुआ हम इसकी जांच करेंगे,संबंधी अधिकारियों से पूछताछ करेंगे. मोदी सरकार हमेशा प्रेस स्वतंत्रता की हिमायती रही है. दिल्ली जाने के बाद मैं इसकी जांच करूंगा.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि एशियानेट न्यूज पर लगा प्रतिबंध देर रात डेढ़ बजे जबकि मीडिया वन पर लगी रोक को शनिवार की सुबह साढ़े नौ बजे हटा लिया गया.
सूत्रों ने बताया कि दोनों चैनलों ने मंत्रालय को पत्र लिखकर प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया था जिसके बाद रोक हटाई गई.
दिल्ली में पिछले महीने हुए सांप्रदायिक दंगों पर दी गई खबरों को लेकर इन चैनलों के प्रसारण पर 48 घंटे की रोक लगाई गई थी. आधिकारिक आदेशों में कहा गया कि इन चैनलों ने 25 फरवरी की घटनाओं की रिपोर्टिंग इस तरह से की जिसमें 'उपासना स्थलों पर हमले का विशेष रूप से जिक्र किया गया और किसी खास धर्म का पक्ष लिया गया.'
मीडिया वन को लेकर दिए गए मंत्रालय के आदेश में कहा गया, 'दिल्ली हिंसा पर चैनल की रिपोर्टिंग पक्षपातपूर्ण लगती है क्योंकि इसमें संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के समर्थकों द्वारा की गई तोड़-फोड़ पर जानबूझकर सारा ध्यान केंद्रित किया गया.'
आदेश में कहा गया, 'इसने आरएसएस पर भी सवाल उठाए और दिल्ली पुलिस पर निष्क्रियता के आरोप लगाए. चैनल दिल्ली पुलिस और आरएसएस की आलोचना करने वाला प्रतीत हुआ.'
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मंत्रालय ने देशभर में किसी भी प्लेटफार्म से एशियानेट न्यूज और मीडिया वन के प्रसारण एवं पुनर्प्रसारण पर छह मार्च (शुक्रवार) शाम साढ़े सात बजे से आठ मार्च (रविवार) शाम साढ़े सात बजे तक के लिए रोक लगा दी थी.
कांग्रेस और भाकपा ने चैनलों के प्रसारण पर रोक लगाने के लिए सरकार की कड़ी निंदा की थी और इस कार्रवाई को 'मीडिया स्वतंत्रता पर हमला' बताया.
दोनों चैनलों को 28 फरवरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और उनके जवाब दाखिल करने के बाद मंत्रालय ने पाया कि उन्होंने केबल टीवी नेटवर्क (नियमन) कानून, 1995 के तहत निर्धारित कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन किया है.
कारण बताओ नोटिस के जवाब में मीडिया वन चैनल के प्रबंधन ने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप 'मनमाने एवं बेबुनियाद हैं.'
एशियानेट न्यूज की खबर पर आदेश में कहा गया कि ऐसी संवेदनशील घटना की रिपोर्टिंग करते वक्त चैनल को बहुत ख्याल रखना चाहिए था और इसकी रिपोर्ट संतुलित तरीके से देनी चाहिए थी.
चैनल ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि उनके द्वारा प्रसारित खबरें तथ्यों पर आधारित थी और उनकी मंशा शब्दों या भाव के जरिए कभी भी किसी धर्म या समुदाय पर निशाना साधने की नहीं थी.