नई दिल्ली/गाजियाबाद : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने गाजियाबाद में एक श्मशान घाट की छत गिरने की घटना को लेकर आज उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य के पुलिस महानिदेशक को नोटिस भेजा. बता दें कि मानवाधिकार आयोग में अधिवक्ता विष्णु गुप्ता ने बताया कि उनकी याचिका पर आयोग द्वारा संज्ञान ले लिया गया है. विष्णु कुमार गुप्ता ने आयोग में दायर अपनी याचिका में लिखा था कि यह हादसा लापरवाही से हुआ है.
नोटिस जारी करते हुए आयोग ने यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि ठेकेदार और संबंधित विभाग ने 'लापरवाही' से काम किया, जिससे कई लोगों के जीवन जीने के अधिकार का हनन हुआ.
चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी
मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेश को नोटिस भेजकर कहा है कि इस मामले में चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट दी जाए. आयोग के अनुसार, मीडिया में आई खबरों से पता चलता है कि मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है और पीड़ितों के परिवारों को वित्तीय सहयोग देने की भी घोषणा की गई है.
10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की मांग
दायर याचिका में मांग की गई थी कि उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को आदेश दिया जाए कि मृतकों के परिवार को कम से कम 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता मिले. इस हादसे में घायल हुए व्यक्तियों को भी तत्काल बेहतर चिकित्सा सुविधा दी जाए ताकि वे जल्द ठीक हो सकें. घटना की उच्चस्तरीय जांच मंडलायुक्त एवं आईजी जोन मेरठ से निश्चित समय में एक सप्ताह के अंदर कराई जाए और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए.
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मुरादनगर हादसे के मुख्य आरोपी ठेकेदार अजय त्यागी को पुलिस ने घटना के बाद 36 घंटे बाद गिरफ्तार कर लिया है. अजय त्यागी पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर लगातार फरार चल रहा था. सोमवार की शाम उस पर 25,000 रुपये का इनाम घोषित किया गया था. देर रात उसकी गिरफ्तारी की गई.
उल्लेखनीय है कि मुरादनगर में रविवार को एक श्मशान घाट में छत ढह जाने से 24 लोगों की मौत हो गई थी और 17 अन्य व्यक्ति घायल हो गये थे. पीड़ितों में से अधिकतर लोग एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट आए थे.