नई दिल्ली : राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने कहा कि पिछले महीने दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात के मरकज में शामिल धार्मिक मण्डली अत्यधिक निंदनीय है. लेकिन इस मसले को लेकर पूरे मुस्लिम समुदाय को उनके कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराना गलत है.
निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज में शामिल रहे लोगों के कोरोना वायरस से पॉजिटिव पाए जाने के बाद से देशभर में हड़कंप मच गया.
इस पर सरकार की जनसंपर्क इकाई ‘पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) के प्रधान महानिदेशक केएस धतवालिया को लिखे पत्र में, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के संयुक्त सचिव डैनियल ई रिचर्ड्स ने कहा कि आयोग को लगता है कि मीडिया में इसकी सही तस्वीर पेश करने की तत्काल आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्टों में अक्सर यह देखा जाता है कि कोविड-19 के फैलने में मरकज में शामिल लोगों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. आयोग ने पीआईबी से कहा कि वह खबरों में तबलीगी जमात प्रकरण से पूरे मुस्लिम समुदाय नहीं जोड़ना और सही तस्वीर पेश करना सुनिश्चित करे.
पीआईबी को लिखे पत्र में आयोग ने यह भी कहा गया कि तबलीगी जमात के लोगों पर प्रशासन की तरफ से कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन इस प्रकरण को मुसलमानों से जोड़ना और पूरे मुस्लिम समुदाय को जिम्मेदार ठहराना गलत और अवांछित है. अल्पसंख्यक आयोग ने कहा, मुस्लिम समुदाय के लोग शेष नागरिकों की तरह लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने भी इस बात पर जोर दिया कि कोविड-19 एक राष्ट्रव्यापी आपदा है और यह जाति या धर्म से इतर किसी को भी नुकसान पहुंचा सकती है.
आयोग ने पीआईबी से कहा, हमारा मानना है कि मीडिया में यह सही से पेश करने की तत्काल आवश्कता है कि तबलीगी जमात के लोगों ने जो किया उससे मुस्लिम समुदाय को नहीं जोड़ा जाना चाहिए और जिम्मेदार भी नहीं ठहराया जाना चाहिए.
उन्होंने आग्रह किया कि यह संदेश मीडिया में भेजने के लिए कदम उठाए जाएं.