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हिमाचल में 40 साल बाद बजेगी क्राइस्ट चर्च की ऐतिहासिक बेल, क्रिसमस पर आगाज

राजधानी के ऐतिहासिक रिज मैदान पर स्थित क्राइस्ट चर्च में लगी ऐतिहासिक बेल की आवाज अब शिमला के लोगों को सुनाई देगी. खास बात ये है कि 40 सालों के बाद ये खास आवाज ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च में 25 दिसंबर यानि क्रिसमस से सुनाई देगी. पढे़ं पूरा विवरण..

Christ Church of shimla
क्राइस्ट चर्च
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Published : Dec 21, 2019, 11:03 AM IST

शिमला: राजधानी के ऐतिहासिक रिज मैदान पर स्थित क्राइस्ट चर्च में लगी ऐतिहासिक बेल की आवाज अब शिमला के लोगों को सुनाई देगी. खास बात ये है कि 40 सालों के बाद ये खास आवाज ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च में 25 दिसंबर यानि क्रिसमस से सुनाई देगी.

बता दें कि शिमला के ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च में 150 साल पुरानी एक वार्निंग बेल है. ये बेल ब्रिटिश काल के दौरान बनाई गई थी और बेल को इंग्लैंड से शिमला लाया गया था. जब इस बेल को यहां लाया गया तो उसके बाद 1982 तक लगातार इसकी आवाज ऐतिहासिक चर्च और राजधानी शिमला में गूंजती थी, लेकिन उसके बाद इस बेल में आई तकनीकी खामियों के चलते ये बेल खराब हो गई थी. पिछले 40 सालों से ना इसे ठीक किया गया और ना ही इसे ठीक करने को लेकर कोई प्रयास किए गए. ऐसे में अब इस बेल को शिमला निवासी मिस्टर विक्टर डीन ठीक कर रहे हैं. उन्होंने इस बेल के पूरे सिस्टम को स्टडी करने के बाद ही इसे ठीक करने का काम शुरू किया है.

40 साल बाद क्राइस्ट चर्च की ऐतिहासिक बेल से गूंजेगी राजधानी

चर्च के फादर मोहन लाल ने कहा कि मिस्टर विक्टर डीन इस बेल को ठीक कर रहे हैं और अपना पूरा समय इस काम के लिए दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस बेल के जो पार्ट्स गुम हो गए थे उन्हें नए सिरे से बनाया गया है और साथ ही जो पुराने पार्ट्स खराब हो गए थे उन्हें दोबारा ठीक किया गया है. साथ ही इसमें पेंट करके नए नट बोल्ट, हैमर, वायर, रस्सा लगाया गया है.

चर्च के फादर मोहन लाल ने कहा कि बेल के कुछ पार्ट्स चंडीगढ़ से लाए गए हैं, तो कुछ शिमला में ही तैयार किए गए हैं. शिमला के ओल्ड बसस्टैंड के पास एक सरदार जी ने इस बेल के पार्ट्स देखकर लोहे को हूबहू ढांचे में डाल कर पार्ट्स तैयार किए हैं. उन्होंने बताया कि लकड़ी का सांचा भी इस बेल के लिए नया बनाकर तैयार किया गया है.

पढे़ं : नलिनी श्रीहरण की याचिका पर तमिलनाडु सरकार को मद्रास उच्च न्यायालय का नोटिस

बता दें कि इस बेल को चर्च में शुरू होने वाली प्रार्थना सभा से 5 मिनट पहले बजाया जाता है. जिससे लोगों को इस बात की जानकारी मिल सके की चर्च में प्रार्थना सभा शुरू होने वाली है. 150 साल पुरानी क्रिसमस बेल को ठीक करने के बाद 25 दिसंबर को चर्च होने वाली प्रार्थना सभा से 5 मिनट पहले बजाया जाएगा. इसके बाद हर रविवार को ये बेल चर्च में बजाई जाएगी.

इस बेल में छह सुर है और इसे रस्से से खींच कर बजाया जाता है. इसमें छह पाइप लगी है, जिसमें से छह सुर निकलते है और सरगम के सुरों की ध्वनि पैदा करते हैं. शिमला के क्राइस्ट चर्च में बजने वाली इस बेल को पहले क्रिसमस की शुरुआत पर रात 12 बजे और न्यू ईयर की शुरुआत पर रात 12 बजे बजाया जाता था. साथ ही किसी की मृत्यु होने पर शोक संदेश देने के लिए इस बेल को बजाया जाता था, लेकिन इस समय इसके बजाने में फर्क है ओर गेप में इसे बजाया जाता है.

शिमला: राजधानी के ऐतिहासिक रिज मैदान पर स्थित क्राइस्ट चर्च में लगी ऐतिहासिक बेल की आवाज अब शिमला के लोगों को सुनाई देगी. खास बात ये है कि 40 सालों के बाद ये खास आवाज ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च में 25 दिसंबर यानि क्रिसमस से सुनाई देगी.

बता दें कि शिमला के ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च में 150 साल पुरानी एक वार्निंग बेल है. ये बेल ब्रिटिश काल के दौरान बनाई गई थी और बेल को इंग्लैंड से शिमला लाया गया था. जब इस बेल को यहां लाया गया तो उसके बाद 1982 तक लगातार इसकी आवाज ऐतिहासिक चर्च और राजधानी शिमला में गूंजती थी, लेकिन उसके बाद इस बेल में आई तकनीकी खामियों के चलते ये बेल खराब हो गई थी. पिछले 40 सालों से ना इसे ठीक किया गया और ना ही इसे ठीक करने को लेकर कोई प्रयास किए गए. ऐसे में अब इस बेल को शिमला निवासी मिस्टर विक्टर डीन ठीक कर रहे हैं. उन्होंने इस बेल के पूरे सिस्टम को स्टडी करने के बाद ही इसे ठीक करने का काम शुरू किया है.

40 साल बाद क्राइस्ट चर्च की ऐतिहासिक बेल से गूंजेगी राजधानी

चर्च के फादर मोहन लाल ने कहा कि मिस्टर विक्टर डीन इस बेल को ठीक कर रहे हैं और अपना पूरा समय इस काम के लिए दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस बेल के जो पार्ट्स गुम हो गए थे उन्हें नए सिरे से बनाया गया है और साथ ही जो पुराने पार्ट्स खराब हो गए थे उन्हें दोबारा ठीक किया गया है. साथ ही इसमें पेंट करके नए नट बोल्ट, हैमर, वायर, रस्सा लगाया गया है.

चर्च के फादर मोहन लाल ने कहा कि बेल के कुछ पार्ट्स चंडीगढ़ से लाए गए हैं, तो कुछ शिमला में ही तैयार किए गए हैं. शिमला के ओल्ड बसस्टैंड के पास एक सरदार जी ने इस बेल के पार्ट्स देखकर लोहे को हूबहू ढांचे में डाल कर पार्ट्स तैयार किए हैं. उन्होंने बताया कि लकड़ी का सांचा भी इस बेल के लिए नया बनाकर तैयार किया गया है.

पढे़ं : नलिनी श्रीहरण की याचिका पर तमिलनाडु सरकार को मद्रास उच्च न्यायालय का नोटिस

बता दें कि इस बेल को चर्च में शुरू होने वाली प्रार्थना सभा से 5 मिनट पहले बजाया जाता है. जिससे लोगों को इस बात की जानकारी मिल सके की चर्च में प्रार्थना सभा शुरू होने वाली है. 150 साल पुरानी क्रिसमस बेल को ठीक करने के बाद 25 दिसंबर को चर्च होने वाली प्रार्थना सभा से 5 मिनट पहले बजाया जाएगा. इसके बाद हर रविवार को ये बेल चर्च में बजाई जाएगी.

इस बेल में छह सुर है और इसे रस्से से खींच कर बजाया जाता है. इसमें छह पाइप लगी है, जिसमें से छह सुर निकलते है और सरगम के सुरों की ध्वनि पैदा करते हैं. शिमला के क्राइस्ट चर्च में बजने वाली इस बेल को पहले क्रिसमस की शुरुआत पर रात 12 बजे और न्यू ईयर की शुरुआत पर रात 12 बजे बजाया जाता था. साथ ही किसी की मृत्यु होने पर शोक संदेश देने के लिए इस बेल को बजाया जाता था, लेकिन इस समय इसके बजाने में फर्क है ओर गेप में इसे बजाया जाता है.

Intro:राजधानी शिमला के ऐतिहासिक रिज़ मैदान पर स्थित क्राइस्ट चर्च में लगी ऐतिहासिक बेल की आवाज अब राजधानी शिमला में गूँजेगी। खास यह है कि 40 सालों के बाद राजधानी के लोगों ओर यहां आने वाले पर्यटकों को यह खास आवाज ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च से आती हुई सुनाई देगी। अलग-अलग सुर चर्च के अंदर लगी इस वार्निंग बेल से निकलेंगे जो हर सुनने वाले को मंत्रमुग्ध कर देंगे। क्रिसमस के दिन इस बेल को चर्च में प्रार्थना सभा से पांच मिनट पहले बजाया जाएगा ओर इसकी धुन से ना केवल रिज़ मैदान बल्कि शिमला तार घर तक गूँजेगा।


Body:बता दे कि शिमला के ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च में 150 साल पुरानी एक वार्निंग बेल है। इस बेल को जब यहां ब्रिटिश काल के इस चर्च का निर्माण किया गया तो उस समय इंग्लैंड से यहां लाया गया था। जब इस बेल को यहां लाया गया तो उसके बाद 1982 तक लगातार इसकी आवाज से ऐतिहासिक चर्च ओर राजधानी शिमला गूँजती थी,लेकिन उसके बाद इस बेल में आई तकनीकी खामियों के चलते यह बेल खराब पड़ी थी और इसे बजाया नहीं जा रहा था। बीते 40 वर्षों से ना इसे ठीक किया गया ओर ना ही इसे ठीक करने को लेकर कोई प्रयास किए गए। अब इस बेल को शिमला के ही निवासी मिस्टर विक्टर डीन ठीक कर रहे है। इन्होंने इस बेल के पूरे सिस्टम को स्टडी करने के बाद ही इसे ठीक करने का काम शुरू किया है। चर्च के फादर मोहन लाल ने कहा कि मिस्टर विक्टर डीन इस बेल ठीक कर रहे है। अपना पूरा समय उन्होंने इस काम के लिए दिया और इस बेल के जो पार्ट्स गुम हो गए थे उन्हें नए सिरे से बनाने के साथ ही जो पुराने पार्ट्स खराब हो गए थे उन्हें दोबारा से ठीक किया गया है। इसके साथ ही इसमें पेंट कर रगड़ कर नए नट बोल्ट, हैमर, वायर, रस्सा लगाया और एक या दो दिन में यह बेल पूरी तरह से ठीक हो जाएगी और चर्च में बजाई जाएगी।



Conclusion: इस बेल के कुछ पार्ट्स चंडीगढ़ से लाए गए है। तो कुछ शिमला में ही तैयार किए गए है। शिमला के ओल्ड बसस्टैंड के पास एक सरदार जी ने इस बेल के पार्ट्स देख कर लोहे को हूबहू ढांचे में डाल कर इस बेल के पार्ट्स तैयार किए है। इसके साथ ही लकड़ी का सांचा भी इस बेल के लिए नया बनाकर तैयार किया गया है। बेल को ठीक करने में जो खर्च आ रहा है उसके 40 सालों से इस बेल को ठीक करने को लेकर प्रयास नहीं हो पाए और इसे किसी ने गंभीरता से नहीं लिया यही वजह है कि इसकी आजाव चर्च ओर शिमला में नहीं सुनाई दी।

बॉक्स:
क्रिसमस से होगा बेल का आगाज

150 साल पुरानी क्रिसमस बेल को ठीक करने के बाद 25 दिसंबर को चर्च होने वाली प्रार्थना सभा से 5 मिनट पहले इस वार्निंग बेल को बजाया जाएगा। इसके बाद हर रविवार को यह बेल चर्च में बजाई जाएगी। इस बेल को चर्च में शुरू होने वाली प्रार्थना सभा से 5 मिनट पहले वार्निंग बेल बजाई जाती है जिससे कि लोगों को इस बात की जानकारी मिल सके की चर्च में प्रार्थना सभा शुरू होने वाली है। इसके साथ ही चर्च शुरू होने से पहले भी इस वार्निंग बेल को बजाया जाता है लेकिन अब क्रिसमस के बाद हर रविवार को चर्च में होने वाली प्रार्थना सभा से पहले भी इस बेल को बजाया जाएगा।

बॉक्स:

इस बेल में छह सुर है और इसे हाथों से रस्से से खींच कर बजाया जाता है। इसमें छह पाइप लगी है जिसमें से छह सुर निकलते है और सरगम के सुरों की ध्वनि पैदा करते है। शिमला के क्राइस्ट चर्च में बजने वाली इस बेल को पहले जहां क्रिसमस की शुरुवात पर रात 12 बजे, न्यू ईयर की शुरुवात पर रात 12 बजे बजाने के साथ ही प्रार्थना सभा के शुरू होने से पहले बजाया जाता था। यहां तक कि किसी की मृत्यु होने पर शोक संदेश देने के लिए इस बेल को बजाया जाता था,लेकिन इस समय इसके बजाने में फर्क है ओर गेप में इसे बजाया जाता है। पुराने समय में इस बेल की आवाज तारादेवी ओर छोटा शिमला तक आती है लेकिन अब यह शायद संभव नहीं हो पाएगा।
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