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अयोध्या केस मामले में SC में हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने की मध्यस्थता की पेशकश

रामजन्म भूमि विवाद ने रोचक मोड़ ले लिया है. इस मुद्दे पर हिन्दुओं और मुस्लिम पक्षकारों के द्वारा सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखा है. जानें क्या है पूरा मामला..

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Sep 16, 2019, 2:20 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 7:58 PM IST

नई दिल्लीः रामजन्म भूमि मामले की सुप्रीम कोर्ट में लगातार 6 अगस्त से सुनवाई चल रही है. फिलहाल, 23 तीनों की सुनवाई बीत चुकी है. अब दोनों पक्ष (हिंदू और मुस्लिम) इस मामले को कोर्ट के बाहर सुलझाना चाहते है.

रामजन्म भूमि विवाद को आपसी रजामंदी से सुलझाने की एक बार फिर से कोशिश की जा रही है. इस सिलसिले में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी आखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित किए मध्यस्थता पैनल अध्यक्ष जस्टिस कलीफुल्ला को पत्र लिखा है.

जानकारी के आधार पर मुस्लिम पक्षकारों में से कुछ का मानना है कि राम जन्मभूमि हिंदुओं को देने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन इसके बाद हिंदू किसी अन्य मस्जिद या ईदगाह पर दावा नहीं करें.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर इससे पहले मध्यस्थता से हल निकालने के लिए पैनल का गठन किया था. इस पैनल के द्वारा 155 दिनों तक कोशिश भी की गई थी, लेकिन इससे कोई हल नहीं निकल पाया था.

ये भी पढ़ेंः अयोध्या केस का 23वां दिन : मुस्लिम पक्षों ने नमाज पर निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज किया

इसके बाद यह सामने आया था कि कि हिंदू और मुस्लिम पार्टियां इस विवाद का समाधान निकालने में सफल नहीं रहीं है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्तता के लिए जो पैनल बनाया था उसमें तीन लोग को शामिल किया था, इसमें सुप्रीम कोर्ट के जज एफएम कलीफुल्ला, सीनियर वकील श्रीराम पंचू और श्री श्री रविशंकर का नाम था.

नई दिल्लीः रामजन्म भूमि मामले की सुप्रीम कोर्ट में लगातार 6 अगस्त से सुनवाई चल रही है. फिलहाल, 23 तीनों की सुनवाई बीत चुकी है. अब दोनों पक्ष (हिंदू और मुस्लिम) इस मामले को कोर्ट के बाहर सुलझाना चाहते है.

रामजन्म भूमि विवाद को आपसी रजामंदी से सुलझाने की एक बार फिर से कोशिश की जा रही है. इस सिलसिले में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी आखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित किए मध्यस्थता पैनल अध्यक्ष जस्टिस कलीफुल्ला को पत्र लिखा है.

जानकारी के आधार पर मुस्लिम पक्षकारों में से कुछ का मानना है कि राम जन्मभूमि हिंदुओं को देने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन इसके बाद हिंदू किसी अन्य मस्जिद या ईदगाह पर दावा नहीं करें.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर इससे पहले मध्यस्थता से हल निकालने के लिए पैनल का गठन किया था. इस पैनल के द्वारा 155 दिनों तक कोशिश भी की गई थी, लेकिन इससे कोई हल नहीं निकल पाया था.

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इसके बाद यह सामने आया था कि कि हिंदू और मुस्लिम पार्टियां इस विवाद का समाधान निकालने में सफल नहीं रहीं है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्तता के लिए जो पैनल बनाया था उसमें तीन लोग को शामिल किया था, इसमें सुप्रीम कोर्ट के जज एफएम कलीफुल्ला, सीनियर वकील श्रीराम पंचू और श्री श्री रविशंकर का नाम था.

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Last Updated : Sep 30, 2019, 7:58 PM IST
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