नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि ILI और SARI कोविड 19 महामारी के बाद सामने आ सकते हैं, ऐसे में इसकी निगरानी की जा सकती है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत में कोविड 19 के बढ़े प्रकोप को रोकने के लिए एक विस्तृत कार्यनीति और दिशा-निर्देश जारी किए हैं.
मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, निगरानी ऑपरेशन को छोटा कर दिया जाएगा यदि चार सप्ताह तक किसी सेकेंड्री प्रयोगशाला से कोविड-19 के मामलों की पुष्टि नहीं होती है, तो उस भौगोलिक क्षेत्र में निगरानी कम कर दी जाएगी.
समय की गणना अंतिम पुष्टि किए गए मरीज के समय से होगी. इसमें यह भी ध्यान रखा जाएगा कि कोरोना पॉजिटिव केस आने के बाद मरीज के संपर्क में आए लोगों को 28 दिनों तक फॉलो किया गया हो.
इन दिशानिर्देशों के अनुसार, बड़े प्रकोप की रोकथाम भौगोलिक संगरोध के माध्यम से की जाएगी. इसे भौगोलिक क्षेत्र जैसे गांव, कस्बा या शहर के आधार पर किया जाएगे.
भौगोलिक संगरोध को परिभाषित करते हुए दिशानिर्देशों में कहा गया है कि भौगोलिक संगरोध कि रणनीति भौगोलिक क्षेत्र के लोगों की आवाजाही और उनसे फैलने वाली महामारी की आशंकाओं पर निर्भर करती है.
सरल शब्दों में कहें तो दिशानिर्देशों में कहा गया है कि यह (भौगोलिक संगरोध) फैलते हुए संक्रमण की ओर ध्यान देने के बीच बनने वाली एक बाधा है.
भौगोलिक संगरोध ऐसे क्षेत्रों पर लागू हो सकता है, जहां कोविड-19 के मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हों.
दिशानिर्देशों में यह भी बताया गया है कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि अप्रभावित जिलों को भी उसी तर्ज पर प्रशिक्षित किया जाए ताकि उनके आरआरटी, डॉक्टर, नर्स, सहायक स्टाफ और गैर-स्वास्थ्य क्षेत्र संरचनाओं की मुख्य क्षमता को मजबूत किया जा सके.
आपकी जानकारी के लिए बता दें, इस समय भारत में 170 हॉटस्पॉट और 207 नॉन हॉटस्पॉट जिले हैं, जबकि देश के 400 जिले अब भी कोरोना वायरस महामारी से अप्रभावित हैं.