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जेएनयू फीस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने दी छात्रों को राहत, पुरानी फीस पर ही होगा रजिस्ट्रेशन

जेएनयू फीस मामले में आज दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई. न्यायमूर्ति राजीव शकधर की पीठ ने पक्षकार मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी को नोटिस जारी किए. पढ़ें पूरी खबर

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Published : Jan 24, 2020, 3:28 PM IST

Updated : Feb 18, 2020, 6:07 AM IST

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फाइल फोटो

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने छात्रावास की नियमावली में संशोधन के फैसले को चुनौती देने वाली जेएनयू छात्र संघ की याचिका पर विश्वविद्यालय से जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि नए अकादमिक वर्ष के लिए अभी तक पंजीकरण नहीं कराने वाले जेएनयू के छात्र पुरानी छात्रावास नियमावली के तहत पंजीकरण करा सकते हैं.

न्यायमूर्ति राजीव शकधर की पीठ ने मामले में पक्षकार मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी को भी नोटिस जारी किए.

जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष और छात्र संघ के अन्य पदाधिकारियों साकेत मून, सतीश चंद्र यादव और मोहम्मद दानिश ने याचिका दाखिल की थी. याचिका में पिछले साल 28 अक्टूबर को जारी आईएचए की कार्यवाही के विवरण और 24 नवंबर को गठित उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र और उसकी सिफारिशों पर सवाल उठाए गए हैं.

याचिका में मसौदा छात्रावास नियमावली रद्द करने के लिए निर्देश की मांग करते हुए आईएचए के फैसले को दुर्भावनापूर्ण, मनमाना, अवैध और छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला बताया गया है.

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याचिका में दावा किया गया है कि छात्रावास नियमावली में संशोधन जेएनयू कानून, 1966 , अध्यादेश और छात्रावास नियमावली के प्रावधानों के विपरीत है.

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने छात्रावास की नियमावली में संशोधन के फैसले को चुनौती देने वाली जेएनयू छात्र संघ की याचिका पर विश्वविद्यालय से जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि नए अकादमिक वर्ष के लिए अभी तक पंजीकरण नहीं कराने वाले जेएनयू के छात्र पुरानी छात्रावास नियमावली के तहत पंजीकरण करा सकते हैं.

न्यायमूर्ति राजीव शकधर की पीठ ने मामले में पक्षकार मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी को भी नोटिस जारी किए.

जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष और छात्र संघ के अन्य पदाधिकारियों साकेत मून, सतीश चंद्र यादव और मोहम्मद दानिश ने याचिका दाखिल की थी. याचिका में पिछले साल 28 अक्टूबर को जारी आईएचए की कार्यवाही के विवरण और 24 नवंबर को गठित उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र और उसकी सिफारिशों पर सवाल उठाए गए हैं.

याचिका में मसौदा छात्रावास नियमावली रद्द करने के लिए निर्देश की मांग करते हुए आईएचए के फैसले को दुर्भावनापूर्ण, मनमाना, अवैध और छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला बताया गया है.

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याचिका में दावा किया गया है कि छात्रावास नियमावली में संशोधन जेएनयू कानून, 1966 , अध्यादेश और छात्रावास नियमावली के प्रावधानों के विपरीत है.

Intro:नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएनयू के छात्रों को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने अब तक रजिस्ट्रेशन नहीं करा सके छात्रों को पुरानी फीस के आधार पर ही रजिस्ट्रेशन कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकने वाले छात्रों को अपना रजिस्ट्रेशन एक हफ्ते में कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि उन छात्रों से कोई लेट फीस नहीं वसूला जाएगा।



Body:जेएनयू प्रशासन को नोटिस
जस्टिस राजीव शकधर की बेंच ने जेएनयू छात्रसंघ की युनिवर्सिटी में बढ़ी हुई फ़ीस को चुनौती देनेवाली याचिका पर जेएनयू प्रशासन को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने जेएनयू प्रशासन को दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
एकेडमिक काउंसिल की बैठक में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी गई
जेएनयू छात्रसंघ की ओर से वकील अखिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि जेएनयू प्रशासन ने छात्रसंघ पदाधिकारियों को एकेडमिक काउंसिल की बैठक में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी। सिब्बल ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया के बारे में शिकायत करने के लिए शिकायत निवारण कमेटी है। युनिवर्सिटी प्रशासन अपने आप छात्र संघ के पदाधिकारियों और सदस्यों को काम करने से नहीं रोक सकता है।
छात्र संघ चुनाव की शिकायत शिकायत निवारण कमेटी के समक्ष रखें
सिब्बल ने कहा कि  हाईकोर्ट ने कई बार जेएनयू प्रशासन को कह चुका है कि अगर छात्र संघ चुनाव को लेकर उनकी कोई आपत्ति है तो शिकायत निवारण कमेटी के समक्ष रखें। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद जेएनयू प्रशासन ने शिकायत निवारण कमेटी के समक्ष कोई बात नहीं रखी। जेएनयू छात्रसंघ ने इस संबंध में कई बार जेएनयू प्रशासन से कहा कि बिना छात्रों के प्रतिनिधित्व के एकेडमिक काउंसिल की बैठक नहीं करें।
फीस बढ़ाने का विरोध
जेएनयू छात्रसंघ की ओर से अध्यक्ष आईशी घोष ने अपनी याचिका में मांग किया है कि फीस हॉस्टल बढ़ाने का फैसला निरस्त करने का दिशानिर्देश जारी किया जाए। याचिका में कहा गया है कि छात्रों को पुरानी फीस स्ट्रक्चर के मुताबिक ही जनवरी 2020 के सत्र के लिए रजिस्ट्रेशन कराने की अनुमति दी जाए। याचिका में ये भी मांग की गई है कि विंटर रजिस्ट्रेशन फीस जिन्होंने दाखिल नहीं की है उनपर लेट फीस का जुर्माना न लगाया जाए।



Conclusion:आंदोलनरत हैं छात्र
आपको बता दें कि जेएनयू छात्रसंघ पिछले दो महीनों से ज्यादा से बढ़ी हुई फीस के खिलाफ आंदोलन कर रहा है। इसे लेकर कई बार छात्रों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प भी हुई है।
Last Updated : Feb 18, 2020, 6:07 AM IST
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