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अहमदाबाद में कोरोना से हुई मौतों पर गुजरात हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

कोरोना महामारी से प्रभावित शहरों की सूची में अहमदाबाद तीसरे स्थान पर है. हालांकि, संक्रमित लोगों की मौत के मामले में अहमदाबाद दूसके नंबर पर है. शहर में कोरोना रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, राज्य सरकार और निगम ने अन्य अस्पतालों में भी कोविड -19 उपचार उपलब्ध कराने के लिए आदेश दिया था. हालांकि, पुराने वीएस अस्पताल में कोविड -19 उपचार उपलब्ध कराने के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है. कोरोना से हो रही मौत के मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है.

Gujarat High Court on corona deaths
गुजरात हाईकोर्ट
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Published : May 27, 2020, 12:00 PM IST

Updated : May 27, 2020, 12:41 PM IST

अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने स्वतंत्र डॉक्टरों का एक पैनल बनाने का आदेश दिया है. कोर्ट इस मामले में 29 मई को आगे की सुनवाई करेगा. गुजरात हाईकोर्ट ने अहमदाबाद सिविल अस्पताल में बड़ी संख्या में मरने वाले कोरोना रोगियों के मामले पर भी चेतावनी दी है. कोर्ट ने अस्पताल की तुलना एक कालकोठरी से की है.

गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि अहमदाबाद सिविल अस्पताल में कामकाज में समन्वय की कमी है जहां अब तक कोविड-19 के करीब 400 मरीजों की मौत हो चुकी है. न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला और न्यायमूर्ति आई जे वोरा की खंडपीठ ने कहा कि अस्पताल के प्रशासन और कामकाज पर नजर रखने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य मंत्री की है.

इससे पहले अदालत ने शनिवार को कहा था कि अहमदाबाद सिविल अस्पताल की हालत दयनीय और 'कालकोठरी' जैसी है.

उसके बाद सोमवार को सरकार ने एक तत्काल अर्जी दाखिल करके शनिवार के आदेश में की गयी कुछ टिप्पणियों पर स्पष्टीकरण मांगे जिसके बाद अदालत ने रुख नरम कर लिया.

सरकार ने अदालत द्वारा उद्धृत कुछ अनाम पत्रों का जिक्र करते हुए अपने आवेदन में कहा, 'मई 2020 के पहले सप्ताह से संबंधित पत्रों के बाद से परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है.'

दोनों न्यायाधीशों ने कहा कि उन्होंने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में कामकाज के संबंध में सभी विवादों को समाप्त करने के लिए अस्पताल का औचक दौरा किया था.

पढ़ें- प्रवासी मजदूर मामला : सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से मांगा जवाब, 28 मई को अगली सुनवाई

उच्च न्यायालय ने कहा, 'राज्य सरकार इस बात पर गर्व करती है कि अहमदाबाद का सिविल अस्पताल एशिया का सबसे बड़ा अस्पताल है, लेकिन उसे अब इसे एशिया के सर्वश्रेष्ठ अस्पतालों में शामिल करने के लिए बहुत मेहनत करनी चाहिए.'

उसने कहा, 'हम एक बार फिर दोहराते हैं कि उचित टीम वर्क और समन्वय की कमी है. अगर उचित समन्वय के साथ सामूहिक तरीके से कामकाज होगा तो हमें विश्वास है कि सिविल अस्पताल में हालात जरूर सुधरेंगे.'

अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने स्वतंत्र डॉक्टरों का एक पैनल बनाने का आदेश दिया है. कोर्ट इस मामले में 29 मई को आगे की सुनवाई करेगा. गुजरात हाईकोर्ट ने अहमदाबाद सिविल अस्पताल में बड़ी संख्या में मरने वाले कोरोना रोगियों के मामले पर भी चेतावनी दी है. कोर्ट ने अस्पताल की तुलना एक कालकोठरी से की है.

गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि अहमदाबाद सिविल अस्पताल में कामकाज में समन्वय की कमी है जहां अब तक कोविड-19 के करीब 400 मरीजों की मौत हो चुकी है. न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला और न्यायमूर्ति आई जे वोरा की खंडपीठ ने कहा कि अस्पताल के प्रशासन और कामकाज पर नजर रखने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य मंत्री की है.

इससे पहले अदालत ने शनिवार को कहा था कि अहमदाबाद सिविल अस्पताल की हालत दयनीय और 'कालकोठरी' जैसी है.

उसके बाद सोमवार को सरकार ने एक तत्काल अर्जी दाखिल करके शनिवार के आदेश में की गयी कुछ टिप्पणियों पर स्पष्टीकरण मांगे जिसके बाद अदालत ने रुख नरम कर लिया.

सरकार ने अदालत द्वारा उद्धृत कुछ अनाम पत्रों का जिक्र करते हुए अपने आवेदन में कहा, 'मई 2020 के पहले सप्ताह से संबंधित पत्रों के बाद से परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है.'

दोनों न्यायाधीशों ने कहा कि उन्होंने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में कामकाज के संबंध में सभी विवादों को समाप्त करने के लिए अस्पताल का औचक दौरा किया था.

पढ़ें- प्रवासी मजदूर मामला : सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से मांगा जवाब, 28 मई को अगली सुनवाई

उच्च न्यायालय ने कहा, 'राज्य सरकार इस बात पर गर्व करती है कि अहमदाबाद का सिविल अस्पताल एशिया का सबसे बड़ा अस्पताल है, लेकिन उसे अब इसे एशिया के सर्वश्रेष्ठ अस्पतालों में शामिल करने के लिए बहुत मेहनत करनी चाहिए.'

उसने कहा, 'हम एक बार फिर दोहराते हैं कि उचित टीम वर्क और समन्वय की कमी है. अगर उचित समन्वय के साथ सामूहिक तरीके से कामकाज होगा तो हमें विश्वास है कि सिविल अस्पताल में हालात जरूर सुधरेंगे.'

Last Updated : May 27, 2020, 12:41 PM IST
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