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गुजरात हाई कोर्ट ने पहली बार ह्वाट्सएप से नोटिस देने की अनुमति दी - याचिकाकर्ता को ह्वाट्सएप के माध्यम से नोटिस

भारत के न्याय प्रकिया में आज ऐतिहासिक दिन रहा. लॉकडाउन के कारण उत्पन्न स्थितियों की वजह से गुजरात उच्च न्यायालय ने इतिहास में पहली बार याचिकाकर्ता को ह्वाट्सएप के माध्यम से अदालत में नोटिस देने की अनुमति दी. जानें विस्तार से...

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गुजरात उच्च न्यायालय
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Published : Apr 25, 2020, 11:27 PM IST

Updated : Apr 26, 2020, 10:11 AM IST

गांधीनगर : गुजरात उच्च न्यायालय ने इतिहास में पहली बार याचिकाकर्ता को ह्वाट्सएप के माध्यम से अदालत में नोटिस देने की अनुमति दी. दरअसल कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर देशव्यापी बंद के दौरान घर से बाहर निकलने पर पाबंदी है.

बता दें कि कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण अब कुछ समय के लिए ई-फाइलिंग के माध्यम से गुजरात उच्च न्यायालय में याचिकाएं और हलफनामे दायर किए जा रहे हैं.

अधिकांश मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की जा रही है और यहां तक ​​कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है.

गुजरात के मोरबी में एक सिरेमिक इकाई में काम करने वाले आरोपी जयेश बावरावा के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम और आईटी अधिनियम के तहत अभियुक्त के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया, क्योंकि वादी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंधित था.

निचली अदालत ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. इसके बाद उसने जमानत मांगने के लिए गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया. जस्टिस कोजाज ने नोटिस जारी किया और प्रतिवादी को ह्वाट्सएप के माध्यम से नोटिस जारी करने का आदेश दिया.

नोटिस आमतौर पर पुलिस द्वारा दिए जाते हैं, लेकिन विपरीत परिस्थितियों के कारण प्रतिवादी के वकील को व्हाट्सएप के माध्यम से अदालत के नोटिस को जारी करने की अनुमति दी गई.

गांधीनगर : गुजरात उच्च न्यायालय ने इतिहास में पहली बार याचिकाकर्ता को ह्वाट्सएप के माध्यम से अदालत में नोटिस देने की अनुमति दी. दरअसल कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर देशव्यापी बंद के दौरान घर से बाहर निकलने पर पाबंदी है.

बता दें कि कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण अब कुछ समय के लिए ई-फाइलिंग के माध्यम से गुजरात उच्च न्यायालय में याचिकाएं और हलफनामे दायर किए जा रहे हैं.

अधिकांश मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की जा रही है और यहां तक ​​कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है.

गुजरात के मोरबी में एक सिरेमिक इकाई में काम करने वाले आरोपी जयेश बावरावा के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम और आईटी अधिनियम के तहत अभियुक्त के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया, क्योंकि वादी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंधित था.

निचली अदालत ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. इसके बाद उसने जमानत मांगने के लिए गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया. जस्टिस कोजाज ने नोटिस जारी किया और प्रतिवादी को ह्वाट्सएप के माध्यम से नोटिस जारी करने का आदेश दिया.

नोटिस आमतौर पर पुलिस द्वारा दिए जाते हैं, लेकिन विपरीत परिस्थितियों के कारण प्रतिवादी के वकील को व्हाट्सएप के माध्यम से अदालत के नोटिस को जारी करने की अनुमति दी गई.

Last Updated : Apr 26, 2020, 10:11 AM IST
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