नई दिल्ली: सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दी जा रही एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली है. सिंह को 'जेड प्लस' सुरक्षा मिलती रहेगी. अधिकारियों ने आज बताया कि 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे सिंह से एसपीजी सुरक्षा वापस लेने का फैसला विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों द्वारा समीक्षा किए जाने के बाद किया गया है. यह फैसला गृह मंत्रालय है और कैबिनेट के समीक्षा बैठक में लिया गया.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एसपीजी के बदले जेड प्लस की सुरक्षा मिलेगी. इसका मतलब है कि वे सीआईएसएफ, सीआरपीएफ और एनएसजी कमांडो के घेरे में रहेंगे. लेकिन अतिविशिष्ट सुरक्षा घेरा एसपीजी अब उनकी निगरानी नहीं करेगा.
अब एसपीजी सुरक्षा केवल पीएम नरेंद्र मोदी, कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को ही मिलेगी.
भारत सरकार के इस फैसले के बाद प्रधानमंत्री मोदी के अलावा सिर्फ गांधी नेहरू परिवार के तीन सदस्य वीवीआइपी घेरे में होंगे. पार्टी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को सरकार का यह फैसला बहुत भा रहा है.
एसपीजी का इतिहास
बता दें, 1984 के आखिर में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश के प्रधानमंत्री को एसपीजी के घेरे में लाने के लिए एक कानून पास किया गया था. उस समय देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे. तब के प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जान को खतरे का ध्यान रखते हुए एसपीजी का गठन किया गया था.
हर दस साल में सुरक्षा की समीक्षा
गृह मंत्रालय और कैबिनेट सचिव की बैठक में यह तय किया गया था कि 10 साल में प्रधानमंत्री की सुरक्षा की समीक्षा की जाएगी, तब से लेकर फिर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल में एसपीजी सुरक्षा की समीक्षा की गई. यह तय किया गया इसमें ऐसे लोगों को सुरक्षा घेरे में भी रखा जाएगा जिसके ऊपर जान का खतरा हो. चाहे वह पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार ही क्यों ना हो.
मनमोहन सिंह पंजाब से, जान को खतरा....
इसी लिहाज से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को भी एसपीजी सुरक्षा मुहैया कराई गई थी. लेकिन उनकी मौत के बाद प्रधानमंत्री और नेहरू परिवार के तीन सदस्य के अलावा मनमोहन सिंह के पास एसपीजी सुरक्षा थी. माना जाता है कि वह पंजाब से थे और प्रधानमंत्री के पद पर रहे थे, इस लिहाज से उन्हें जान का खतरा था.
देवेगौड़ा को भी नहीं मिली एसपीजी सुरक्षा
अब भारत सरकार की गृह मंत्रालय ने कैबिनेट सेक्रेटरी की संयुक्त बैठक के बाद एसपीजी को लेकर सुरक्षा घेरा की समीक्षा की गई. उसमें प्रधानमंत्री को मनमोहन सिंह को इस दायरे से बाहर कर दिया गया. वह से देश में भी मनमोहन सिंह के अलावा एक पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा भी जीवित हैं. लेकिन कभी उन प्रधानमंत्रियों के ऊपर सुरक्षा घेरा नहीं रहा.
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सिर्फ गांधी परिवार को एसपीजी सुरक्षा
मनमोहन सिंह के ऊपर से सुरक्षा घेरा एसपीजी हटाए जाने के बाद कांग्रेसी पार्टी के अंदर एकदम चुप्पी है. इसे लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं की जा रही है. पार्टी के आंतरिक सूत्र मानते हैं कि सरकार का फैसला पार्टी को रास आ रहा है क्योंकि अब इसमें सिर्फ गांधी परिवार के सदस्य ही देश के अंदर प्रधानमंत्री के बराबर की सुरक्षा पा रहे हैं.