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सरकार नहीं देगी स्विस बैंक से मिले कालेधन की सूचना, गोपनीयता का हवाला

वित्त मंत्रालय ने काले धन पर आईटीआई आवेदन में पूछे गये सवालों के जवाब में दी गयी जानकारी में कहा कि स्विट्जरलैंड ने कालाधन मामलों पर जो सूचना दी है, वे गोपनीयता प्रावधान के अंतर्गत आती है. जानें पूरा मामला

वित्त मंत्री अरुण जेटली
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Published : May 17, 2019, 9:35 PM IST

नई दिल्ली: सरकार ने गोपनीयता का हवाला देते हुए स्विट्जरलैंड से कालाधन मामलों पर मिली सूचना साझा करने से मना कर दिया है. वित्त मंत्रालय ने सूचना के अधिकार कानून के तहत पूछे गये सवालों पर जवाब दिया.

मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि जारी जांच के तहत भारत और स्विट्जरलैंड मामला-दर-मामला आधार पर कालाधन पर सूचना साझा करते हैं. यह एक जारी प्रक्रिया है.

मंत्रालय से स्विट्जरलैंड से कालाधन मामलों में मिली सूचना के बारे में ब्यौरा मांगा गया था जिसमें कंपनियों तथा लोगों के नाम शामिल हैं. इसके अलावा सूचना के आधार पर की गयी कार्रवाई के बारे में भी जानकारी मांगी गयी थी.

भारत और स्विट्जरलैंड ने कर मामलों पर द्विपक्षीय प्रशासनिक सहायता (एमएएसी) पर बहुपक्षीय संधि पर हस्ताक्षर किये हैं. भारत और स्विट्जरलैंड ने 22 नवंबर 2016 को संयुक्त घोषणापत्र पर दस्तखत किये थे. इसके तहत दोनों के देशों के बीच वित्तीय लेखा का ब्यौरा साझा करने की व्यवस्था है.

पढ़ें-विदेश से धन भेजने के मामले में भारतीय अव्वल, 2018 में 79 अरब डॉलर भेजे

मंत्रालय ने कहा, 'जरूरी कानूनी व्यवस्था स्थापित की गयी है और 2019 से भारत को भारतीय निवासियों के स्विट्जरलैंड में वित्तीय खातों के बारे में वर्ष 2018 की सूचना मिलेगी. यह व्यवस्था आगे चलती रहेगी.'

उसने कहा कि यह व्यवस्था भारतीय निवासियों के स्विट्जरलैंड में बेहिसाब आय और संपत्ति का पता लगाने और उसे कर दायरे में लाने में मददगार होगी.

मंत्रालय ने यह भी कहा कि देश के भीतर और बाहर कालाधन के चलन के बारे में कोई अनुमान नहीं है.

वित्त मंत्रालय से अन्य देशों से मिली कालाधन सूचना के बारे में भी ब्यौरा उपलब्ध कराने को कहा गया था.

इसके बारे में कहा गया है कि भारत-फ्रांस दोहरा कराधान बचाव संधि के तहत फ्रांस से मिली सूचना के आधार पर कार्रवाई करने योग्य सभी 427 एचएसबीसी बैंक खातों की आकलन कार्यवाही पूरी की जा चुकी है.

पढ़ें-इलेक्टोरल बॉन्ड के बचाव में उतरे जेटली, बोले- काले धन पर लगेगी लगाम

मंत्रालय ने कहा, 'इन मामलों में करीब 8,465 करोड़ रुपये की अघोषित आय को कर के दायरे में लाया गया. यह राशि बिना किसी सूचना के विदेशी बैंक खातों में रखी गयी थी. उक्त 427 मामलों में से 162 मामलों में जानकारी छिपाने को लेकर 1,291 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया.'

नई दिल्ली: सरकार ने गोपनीयता का हवाला देते हुए स्विट्जरलैंड से कालाधन मामलों पर मिली सूचना साझा करने से मना कर दिया है. वित्त मंत्रालय ने सूचना के अधिकार कानून के तहत पूछे गये सवालों पर जवाब दिया.

मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि जारी जांच के तहत भारत और स्विट्जरलैंड मामला-दर-मामला आधार पर कालाधन पर सूचना साझा करते हैं. यह एक जारी प्रक्रिया है.

मंत्रालय से स्विट्जरलैंड से कालाधन मामलों में मिली सूचना के बारे में ब्यौरा मांगा गया था जिसमें कंपनियों तथा लोगों के नाम शामिल हैं. इसके अलावा सूचना के आधार पर की गयी कार्रवाई के बारे में भी जानकारी मांगी गयी थी.

भारत और स्विट्जरलैंड ने कर मामलों पर द्विपक्षीय प्रशासनिक सहायता (एमएएसी) पर बहुपक्षीय संधि पर हस्ताक्षर किये हैं. भारत और स्विट्जरलैंड ने 22 नवंबर 2016 को संयुक्त घोषणापत्र पर दस्तखत किये थे. इसके तहत दोनों के देशों के बीच वित्तीय लेखा का ब्यौरा साझा करने की व्यवस्था है.

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मंत्रालय ने कहा, 'जरूरी कानूनी व्यवस्था स्थापित की गयी है और 2019 से भारत को भारतीय निवासियों के स्विट्जरलैंड में वित्तीय खातों के बारे में वर्ष 2018 की सूचना मिलेगी. यह व्यवस्था आगे चलती रहेगी.'

उसने कहा कि यह व्यवस्था भारतीय निवासियों के स्विट्जरलैंड में बेहिसाब आय और संपत्ति का पता लगाने और उसे कर दायरे में लाने में मददगार होगी.

मंत्रालय ने यह भी कहा कि देश के भीतर और बाहर कालाधन के चलन के बारे में कोई अनुमान नहीं है.

वित्त मंत्रालय से अन्य देशों से मिली कालाधन सूचना के बारे में भी ब्यौरा उपलब्ध कराने को कहा गया था.

इसके बारे में कहा गया है कि भारत-फ्रांस दोहरा कराधान बचाव संधि के तहत फ्रांस से मिली सूचना के आधार पर कार्रवाई करने योग्य सभी 427 एचएसबीसी बैंक खातों की आकलन कार्यवाही पूरी की जा चुकी है.

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मंत्रालय ने कहा, 'इन मामलों में करीब 8,465 करोड़ रुपये की अघोषित आय को कर के दायरे में लाया गया. यह राशि बिना किसी सूचना के विदेशी बैंक खातों में रखी गयी थी. उक्त 427 मामलों में से 162 मामलों में जानकारी छिपाने को लेकर 1,291 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया.'

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BLACKMONEY
Citing confidentiality, govt declines to share black money details received from Switzerland
By Ashwini Shrivastava
          New Delhi, May 17 (PTI) The government has declined to share information on black money cases received from Switzerland, citing confidentiality.
          Replying to an RTI query, the Finance Ministry said India and Switzerland share information on black money on a case to case basis as per the investigations being carried out.
          It is an ongoing process, it added.
          "The information shared by Switzerland on black money cases is governed by confidentiality provisions," it said in reply to the RTI application filed by this PTI journalist.
          The ministry was asked to provide details of black money cases received from Switzerland, including the names of firms and individuals, besides the details of action taken on the information.
          India and Switzerland are signatories to Multilateral Convention on Mutual Administrative Assistance in Tax Matters (MAAC). Indian and Switzerland have, for automatic sharing of financial account information between the two countries, signed a joint declaration on November 22, 2016, it said.
          "The necessary legal arrangements have been put in place and from 2019 onwards, India will receive information of financial accounts held by Indian residents in Switzerland for the calender year 2018 and subsequent years," the ministry said.
          This, it said, will be useful in tracing unaccounted income and assets of Indian residents in Switzerland and bringing the same to tax.
          There is no estimation of amount of black money in circulation both inside and outside the country, the ministry said.
          The Finance Ministry was also asked to provide details of black money cases received from other countries.
          It said, based upon the information received from France under the Indo-French Double Taxation Avoidance Convention, assessment proceedings have been completed in all 427 actionable HSBC bank account cases.
          "In these cases, undisclosed income of about Rs 8,465 crore has been brought to tax on account of deposits made in the unreported foreign bank accounts. Out of the above mentioned 427 cases in which assessments have been completed, concealment penalty of about Rs 1,291 crore has been levied in 162 cases," the ministry said.
          In reply to an earlier RTI application, the Finance Ministry had declined to share copies of three reports on the quantum of black money held by Indians inside the country and abroad, saying they were being examined by a parliamentary panel and disclosing details will cause a breach of privilege of the House.
          These reports were submitted to the government more than four years ago.
          The UPA government had in 2011 commissioned the studies by the Delhi-based National Institute of Public Finance and Policy (NIPFP) and the National Council of Applied Economic Research (NCAER) and the National Institute of Financial Management (NIFM) in Faridabad.
          The study reports of the NIPFP, NCAER and NIFM were received by the government on December 30, 2013, July 18, 2014, and August 21, 2014, respectively.
          The reports and the government's response to it had been forwarded to the Lok Sabha secretariat for placing them before the Standing Committee on Finance.
          The Lok Sabha secretariat has informed that the same has been placed before the committee which will examine it, it had said while replying to the RTI application in February.
          "The issue of black money has attracted a lot of public and media attention in the recent past. So far, there are no reliable estimates of black money generated and held within and outside the country," the Finance Ministry had said while ordering the studies in 2011.
          These estimates were based on various unverifiable assumptions and approximations, it had said.
          The Terms of Reference (ToR) for the studies included the assessment or survey of unaccounted income and wealth, and profiling the nature of activities engendering money laundering both within and outside the country.
          The studies were to identify, among other issues, important sectors of the economy in which unaccounted money was generated and examine the causes and conditions that resulted in the generation. PTI AKV
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