नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने तीसरे दौर के एयरपोर्ट निजीकरण की तैयारियां शुरू कर दी है. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने ऐसे एयरपोर्ट्स की पहचान शुरू कर दी है, जिन्हें निजी कंपनियों को सौंपा जा सकता है. चुनी जाने वाली कंपनियों को ये एयरपोर्ट 50 साल के लिए दिए जाएंगे. निजीकरण की प्रकिया अप्रैल 2021 से शुरू होने की उम्मीद है. इस बार निजीकरण के लिए नुकसान के साथ ही फायदे में रहने वाले एयरपोर्ट के लिए भी बोली लगाई जाएगी.
मुनाफे और घाटे में रहने वाले हवाई अड्डे खरीदे जाएंगे
इस बारे में नागरिक उड्डयन सचिव प्रदीप सिंह खारोला ने गुरुवार को बताया कि तीसरे चरण में छह से दस हवाई अड्डों का निजीकरण किया जा सकता है. सरकार इस बार मुनाफे वाले हवाई अड्डों और घाटे में रहने वाले हवाई अड्डों को खरीदेगी. निजीकरण से यात्रियों को मिलने वाली सुविधाएं बढ़ेंगी.
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण इस साल अप्रैल से लगभग दस हवाई अड्डों के निजीकरण की प्रक्रिया का तीसरा चरण शुरू करेगा.यह जानकारी गुरुवार को नागरिक उड्डयन सचिव प्रदीप सिंह खारोला ने दी.
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600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया
इसी कड़ी में बजट 2021 में रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए 600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो पिछले साल से 35 फीसदी ज्यादा है. खारोला ने बताया कि एएआई ने अपने कैपिटल एक्सपेंडिचर को पूरा करने के लिए मार्केट से 2,100 करोड़ रुपये जुटाये हैं.
ये हवाई अड्डे हो चुके हैं निजी
खारोला ने कहा कि विशेष रूप से, अडानी समूह ने हाल ही में जयपुर, गुवाहाटी, अहमदाबाद, मंगलुरु, लखनऊ और तिरुवनंतपुरम के लिए समझौते पहले ही किये जा चुके हैं.
सरकार कर रही निगरानी
खारोला ने कहा कि वर्तमान में घरेलू उड़ानों का 60-65 फीसदी ही उपयोग हो रहा है जबकि सरकार 80 प्रतिशत की सीमा सुनिश्चित करने के लिए हवाई यातायात के स्तर की लगातार निगरानी कर रही है. हालांकि कोरोना की वजह से मार्च 2020 से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को निलंबित किया जाना जारी है, लेकिन वंदे भारत मिशन और एयर बबल व्यवस्था के माध्यम से भारत से अन्य देशों के लिए उड़ान चल रही है.