नई दिल्ली: भारत सरकार ने क्रिसमस से पहले दशकों से चली आ रही नगा शांति वार्ता समाप्त करने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) नगा शांति वार्ता के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए गृह मंत्रालय के साथ काम कर रहा है.
सरकार के सूत्रों ने कहा कि भारत सरकार के वार्ताकार आरएन रवि और नगा नेताओं के बीच वार्ता चल रही है. वार्ता अंतिम दौर में चल रही है.
दरअसल जुलाई में बताया गया था कि सरकार बहुत जल्द इस मुद्दे का समाधान करेगी.
हालांकि नगा नेताओं द्वारा उठाई गई मांग के अनुसार वार्ता में असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में बसे हुए इलाके के नगा शामिल नहीं होंगे इस समझौतें में शामिल नहीं होंगे.
वरिष्ठ पत्रकार दीपक दीवान ने कहा, 'भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि क्षेत्रीय सीमा पर कोई समझौता नहीं होगा. हालाँकि सरकार नगाओं के लिए एक सांस्कृतिक परिषद की घोषणा कर सकती है, जिसमें असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के नागा बसे हुए इलाके शामिल होगें.'
दीवान पिछले कई वर्षों से इंडो-नगा शांति वार्ता की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं.
नगा वर्तमान में एक अलग नगा ध्वज और संविधान की मांग कर रहे हैं.
भारत-सरकार के साथ युद्ध विराम के बाद नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (NSCN-IM) के बाद 1997 में भारत-नगा शांति वार्ता शुरू हुई.
बता दें, NSCN (IM) को पूर्वोत्तर में उग्रवाद की जननी के रूप में जाना जाता है.
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गौरतलब है कि 3 अगस्त, 2015 को संगठन और सरकार के बीच एक 'फ्रेमवर्क एग्रीमेंट' पर हस्ताक्षर हुआ, जिसने भारत नगा राजनीतिक वार्ता को बहुत महत्वपूर्ण चरण में ले लिया.
आरएन रवि को नगालैंड के राज्यपाल के रूप में नियुक्त करने के साथ उम्मीद की जा रही है कि इंडो नागा शांति वार्ता का समाधान क्रिसमस आने से पहले होगा.
उल्लेखनीय है वार्ताकार होने के नाते रवि पिछले कई वर्षों से नगा नेताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं.