इंदौर : देशभर में कोरोना महामारी से अब तक जितनी भी मौत हो रही हैं, उन सब का मार्मिक पहलू यह है कि अधिकांश मामलों में मृतकों के परिजन उनका अंतिम संस्कार भी नहीं कर पा रहे हैं, जिसके चलते यह महामारी सामाजिक त्रासदी की वजह भी बन रही है. इसी दर्द से गुजर रहा है मृतक डॉक्टर का परिवार.
डॉक्टर शत्रुघ्न पंजवानी की कोरोना से हुई मौत के बाद उनकी पत्नी अकेली रह गईं, जो खुद क्वॉरंटाइन हैं, जबकि उनके तीनों बेटे ऑस्ट्रेलिया में हैं. बेटों को जब अपने पिता की मौत की खबर तो मिली, लेकिन अंतिम संस्कार में शामिल नहीं पाए. तीनों बेटों ने अपने पिता का अंतिम संस्कार वीडियो कॉलिंग के जरिए ही देखा. मोबाइल पर हाथ जोड़कर ही अपने पिता को अंतिम प्रणाम किया.
गौरतलब है कि जनरल फिजिशियन डॉक्टर शत्रुघ्न पंजवानी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए थे, जिसके बाद उन्हें अरविंदो हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था. यहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.
कई मामले सामने आए
शहर के गुरु कृपा कॉलोनी में 48 वर्षीय शख्स की मौत हो गई थी. मृतक के परिवार में माता-पिता और भाई हैं लेकिन तीनों अंतिम संस्कार में इसलिए शामिल नहीं हो सके क्योंकि संक्रमण का खतरा था. उस शख्स का अंतिम संस्कार पूरे एहतियात के साथ नगर निगम कर्मियों ने किया था.
वहीं पलहर नगर में 65 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई थी. उनकी दो बेटियां हैं. एक लंदन में रहती है, दूसरी गंजबासौदा में. पिता के मरने की सूचना मिलने के बाद भी दोनों बेटियां उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाईं. इतना ही नहीं, उन्हें अंतिम दर्शन भी नसीब नहीं हुए.
इसके अलावा समवेत नगर में अकेली रहने वाली 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला की मौत हो गई थी, उनकी बेटी उज्जैन में रहती है. टोटल लॉकडाउन की वजह से वह भी अपने मां के अंतिम दर्शन तक नहीं कर पाई. मोहल्ले के लोगों ने ही अंतिम संस्कार कर दिया.
सामाजिक रूढ़ियां भी टूटने लगीं
इसके साथ ही यूपी के गाजियाबाद के साहिबाबाद में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के कारण बेटा अपने पिता का अंतिम संस्कार नहीं कर पाया.
साहिबाबाद के रहने वाले हरीश कुमार के पिता कुछ समय से बीमार चल रहे थे. लॉकडाउन के दौरान ये जानकारी हरीश को मिली, लेकिन पिता बिजनौर में रह रहे थे. इसलिए हरीश वहां जा नहीं पाए. कल हरीश को ये खबर मिली कि पिता का निधन हो गया है, लेकिन हरीश का कहना है कि वो लॉकडाउन का उल्लंघन नहीं करना चाहते थे. इसलिए परिवार वालों ने बिजनौर में पिता का अंतिम संस्कार कर दिया और बेटे हरीश ने वीडियो कॉलिंग के जरिए पिता को नम आंखों से अंतिम विदाई दी.