नई दिल्ली : निर्भया गैंगरेप व मर्डर केस के दोषियों के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट ने गुरुवार को नया डेथ वारंट जारी किया. चारों दोषियों को 20 मार्च को सुबह 5.30 बजे फांसी दी जाएगी. दरअसल दिल्ली सरकार ने बुधवार को मामले के चारों दोषियों की फांसी के लिए नई तारीख निर्धारित करने का अनुरोध करते हुए अदालत का रुख किया था.
याचिका में कहा गया था कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका खारिज कर दी है. सभी दोषियों के पास अब किसी प्रकार का कोई भी कानून विकल्प नहीं रहा है. साथ ही सभी की याचिकाएं खारिज की जा चुकी हैं.
दिल्ली कारागार नियमावली के मुताबिक मौत की सजा का सामना कर रहे किसी दोषी की दया याचिका खारिज होने के बाद उसे फांसी देने से पहले 14 दिन का समय दिया जाता है. सभी चारों दोषियों को एक साथ फांसी दी जानी है.
वहीं दोषी पक्ष के वकील एपी सिंह ने नया डेथ वारंट जारी होने के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान आपा खो दिया. उन्होंने कहा कि आज चौथा डेथ वारंट जारी हुआ है. आप तीन बार पहले भी उन्हें फांसी की सजा सुना चुके हैं और कितनी बार उनको फांसी की सजा दोगे?
उन्होंने कहा कि जब एफआईआर एक, ट्रायल कोर्ट का फैसला एक, दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला एक और सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक तो आप कैसे अलग अलग फांसी दे सकते हो?
विकल्प की कोई गुजांइश नहीं
दरअसल याचिका में कहा गया था कि किसी भी दोषी की कोई याचिका लंबित नहीं है. सभी दोषियों ने अपने सभी कानूनी विकल्पों को आजमा लिया है, इसलिए अब कोर्ट चारो दोषियों खिलाफ नया डेथ वारंट जारी करे.
बता दें कि पिछले दो मार्च को न्यायालय ने निर्भया गैंगरेप के दोषियों की तीन मार्च को फांसी देने के आदेश पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने दोषी पवन गुप्ता की राष्ट्रपति के यहां दया याचिका लंबित होने की वजह से फांसी की सजा पर रोक लगाई थी. दो मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने पवन गुप्ता की सुधारात्मक याचिका खारिज कर दी थी, जिसके तुरंत बाद पवन गुप्ता ने राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दायर की थी.
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17 फरवरी को जारी हुआ था पिछला डेथ वारंट
गौरतलब है कि गत 17 फरवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी कर दिया था. एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी देने का आदेश जारी किया था. इसके बाद 28 फरवरी को पवन गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दायर कर फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.