भोपाल : मध्य प्रदेश में जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए लाया गया धर्म स्वतांत्र्य कानून प्रदेश में आज से लागू हो गया है. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की स्वीकृति के बाद गृह विभाग ने शुक्रवार को यह अध्यादेश विधि एवं विधायी विभाग को भेजा था. यहां से इसे स्वीकार कर अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशन के लिए शासकीय प्रेस भेजा गया. जहां अधिसूचना के साथ ही यह कानून लागू हो गया. जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर मध्य प्रदेश सरकार के धर्म स्वातंत्र्य राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को सात जनवरी को मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंजूरी दी थी.
धर्म स्वातंत्र्य कानून में है यह प्रावधान
- धर्मांतरण और बहला-फुसलाकर शादी करने पर गैर जमानती धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया जाएगा. साथ ही 10 साल की सजा का प्रावधान होगा.
- धर्मांतरण कर शादी करने के 2 महीने पहले कलेक्टर को दोनों पक्षों की ओर से लिखित में आवेदन देना होगा.
- धर्मांतरण कर शादी करवाने वाले धर्मगुरुओं को भी सह आरोपी बनाया जाएगा और 5 साल की सजा का प्रावधान होगा.
- धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं के खिलाफ भी की जाएगी सख्त कार्रवाई.
इसलिए पड़ी कानून की जरूरत
मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर कई मामले लगातार सामने आ रहे थे. इसके अलावा कई शिकायतें भी अलग-अलग थानों में इस तरह की दर्ज की जा रही थी. जिसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने एलान किया था कि जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए मध्य प्रदेश में कड़ा कानून लाया जाएगा.
कम से कम 10 साल की सजा का प्रावधान इस कानून में होगा. लिहाजा मुख्यमंत्री के निर्देशों पर इस कानून का पूरा मसौदा तैयार किया गया और कैबिनेट से मुहर लगने के बाद इस विधेयक को विधानसभा के पटल पर रखा जाना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते विधानसभा का शीतकालीन सत्र निरस्त कर दिया गया.
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इसके बाद सरकार ने इसे लेकर अध्यादेश लाया और अब इस अध्यादेश को राज्यपाल ने भी स्वीकृति दे दी है, जिसके बाद धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश अब कानून बन गया है. माना जा रहा है कि अगले तीन-चार दिन प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह कानून लागू कर दिया जाएगा.