नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) विक्रम सिंह ने कहा कि ड्रोन का पता लगाने के लिए अत्याधुनिक अनुसंधान केंद्र बनाने की आवश्यकता है.
गौरतलब है कि सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने बीते नौ अक्टूबर की शाम को पंजाब में एक पाकिस्तानी ड्रोन भारतीय सीमा के अंदर देखा था. इसके पहले भी कई बार सीमा पर पाकिस्तानी ड्रोन देखे जा चुके हैं.
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सरकार को केवल सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) या भारतीय वायुसेना, असम राइफल्स, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, अन्य सुरक्षा बलों को ही ड्रोन का पता लगाने के लिए नहीं छोड़ना चाहिए. बल्कि एक साथ संगठित होकर इस निमित्त एक योजना बनानी चाहिए.
हाल ही में सऊदी अरब में दो प्रमुख तेल संयंत्रों पर ड्रोन से हुए हमले का जबाव देते हुए पूर्व डीजीपी ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा उपयोग किए जा रहे ड्रोन एके-47, सैटेलाइट फोन और नकली मुद्राओं,10 किलोग्राम वजन तक के हाथियार ले जाने में सक्षम हैं. यह जमीनी स्तर पर बहुत खराब है.
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान सऊदी अरब की सरकारी तेल कम्पनी अरामको पर ड्रोन हमले से प्रेरणा लेकर कुछ वैसे ही हमले भारत पर कर सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत में पाए जाने वाले चीन के ड्रोन का यह मतलब नहीं है कि चीन पाकिस्तान को ड्रोन हमलों के लिए मदद कर रहा है.