नई दिल्ली : असम के आठ प्रतिबंधित संगठनों के 644 उग्रवादियों ने मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की मौजूदगी में गुरुवार को आत्मसमर्पण कर दिया. उग्रवादियों ने 177 हथियार भी पुलिस के सामने जमा करा दिए. इस पर असम व यूपी के पूर्व डीजीपी और बीएसएफ के पूर्व महानिदेशक प्रकाश सिंह ने कहा कि विद्रोही समूह और उनके सदस्यों को संघर्षग्रस्त क्षेत्र में शांति लाने के लिए संघर्ष विराम समझौते का पालन करना चाहिए.
प्रकाश सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कहा, 'सरकार और उग्रवादी समूहों को असम में हमेशा के लिए शांति बहाल करने का प्रयास करना चाहिए. मुछे लगता है कि उग्रवादी समूहों को हथियार सरकार को सौंप देने चाहिए और समझौते का पालन करना चाहिए.'
ज्ञातव्य है कि इसी महीने के शुरुआत में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) ने सरकार के साथ अपना अभियान बंद करने का त्रिपक्षीय समझौता किया था. समझौते के मुताबिक, एनडीएफबी सरगना बी.सावरैग्वरा समेत सभी उग्रवादी हिंसक गतिविधियां रोकेंगे और सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल होंगे.
त्रिपक्षीय समझौते में एनडीएफबी, केंद्र और असम की सरकारें शामिल थीं. सावरैग्वरा के साथ एनडीएफबी के कई सक्रिय सदस्य 11 जनवरी को म्यांमार से भारत आए थे.
सिंह ने कहा कि यह एक सकारात्मक विकास है. यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि इनमें बहुत से समूहों ने आत्मसमर्पण किया है क्योंकि उग्रवादी समूहों को उन क्षेत्रों में काम करना मुश्किल हो रहा था, जहां उन्होंने शरण ले रखी थी. कई समूहों ने तो म्यांमार में शरण ली थी और इससे पहले कुछ समूहों ने बंग्लादेश में शरण ले रखी थी.
प्रकाश सिंह ने कहा कि जब उन्हें बंग्लादेश में रहना मुश्किल लग रहा था तो वे भारत आए और शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए राजी हुए.
उन्होंने कहा कि इन समूहों को अपने हथियारों को सरकार को सौंप देना चाहिए. यदि वे ऐसा नहीं करते तो शांति वार्ता का कोई मतलब नहीं रह जाएगा.
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सिंह ने कहा, 'हमने नगालैंड में देखा है. वहां पर युद्ध विराम समझौते को सख्ती से लागू नहीं किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप नगा विद्रोही लोगों को भर्ती कर रहे थे और इसके साथ-साथ पैसे भी इकट्ठा कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि खुफिया रिपोर्ट से यह भी पता चला था कि सरकार के साथ युद्ध विराम समझौते में शामिल समूह द्वारा लोगों की भर्ती और जबरन वसूली की जा रही थी.
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि सरकार उग्रवादियों की गिरफ्तारी और उनके खिलाफ कार्रवाई न करके उनकी शर्तों का पालन कर रही है.