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असम में उग्रवादी समूहों को संघर्ष विराम समझौते का पालन करना चाहिए : प्रकाश सिंह

असम के आठ प्रतिबंधित संगठनों के 644 उग्रवादियों ने मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की मौजूदगी में गुरुवार को आत्मसमर्पण कर दिया. इस पर असम के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने कहा कि विद्रोही समूह और उनके सदस्यों को संघर्षग्रस्त क्षेत्र में शांति लाने के लिए संघर्ष विराम समझौते का पालन करना चाहिए. जानें क्या कुछ कहा प्रकाश सिंह ने..

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प्रकाश सिंह
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Published : Jan 23, 2020, 9:57 PM IST

Updated : Feb 18, 2020, 4:17 AM IST

नई दिल्ली : असम के आठ प्रतिबंधित संगठनों के 644 उग्रवादियों ने मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की मौजूदगी में गुरुवार को आत्मसमर्पण कर दिया. उग्रवादियों ने 177 हथियार भी पुलिस के सामने जमा करा दिए. इस पर असम व यूपी के पूर्व डीजीपी और बीएसएफ के पूर्व महानिदेशक प्रकाश सिंह ने कहा कि विद्रोही समूह और उनके सदस्यों को संघर्षग्रस्त क्षेत्र में शांति लाने के लिए संघर्ष विराम समझौते का पालन करना चाहिए.

प्रकाश सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कहा, 'सरकार और उग्रवादी समूहों को असम में हमेशा के लिए शांति बहाल करने का प्रयास करना चाहिए. मुछे लगता है कि उग्रवादी समूहों को हथियार सरकार को सौंप देने चाहिए और समझौते का पालन करना चाहिए.'

असम व यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह का बयान.

ज्ञातव्य है कि इसी महीने के शुरुआत में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) ने सरकार के साथ अपना अभियान बंद करने का त्रिपक्षीय समझौता किया था. समझौते के मुताबिक, एनडीएफबी सरगना बी.सावरैग्वरा समेत सभी उग्रवादी हिंसक गतिविधियां रोकेंगे और सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल होंगे.

त्रिपक्षीय समझौते में एनडीएफबी, केंद्र और असम की सरकारें शामिल थीं. सावरैग्वरा के साथ एनडीएफबी के कई सक्रिय सदस्य 11 जनवरी को म्यांमार से भारत आए थे.

सिंह ने कहा कि यह एक सकारात्मक विकास है. यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि इनमें बहुत से समूहों ने आत्मसमर्पण किया है क्योंकि उग्रवादी समूहों को उन क्षेत्रों में काम करना मुश्किल हो रहा था, जहां उन्होंने शरण ले रखी थी. कई समूहों ने तो म्यांमार में शरण ली थी और इससे पहले कुछ समूहों ने बंग्लादेश में शरण ले रखी थी.

प्रकाश सिंह ने कहा कि जब उन्हें बंग्लादेश में रहना मुश्किल लग रहा था तो वे भारत आए और शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए राजी हुए.

उन्होंने कहा कि इन समूहों को अपने हथियारों को सरकार को सौंप देना चाहिए. यदि वे ऐसा नहीं करते तो शांति वार्ता का कोई मतलब नहीं रह जाएगा.

ये भी पढ़ें- असम में आठ प्रतिबंधित संगठनों के 644 उग्रवादियों ने किया आत्मसमर्पण

सिंह ने कहा, 'हमने नगालैंड में देखा है. वहां पर युद्ध विराम समझौते को सख्ती से लागू नहीं किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप नगा विद्रोही लोगों को भर्ती कर रहे थे और इसके साथ-साथ पैसे भी इकट्ठा कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि खुफिया रिपोर्ट से यह भी पता चला था कि सरकार के साथ युद्ध विराम समझौते में शामिल समूह द्वारा लोगों की भर्ती और जबरन वसूली की जा रही थी.

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि सरकार उग्रवादियों की गिरफ्तारी और उनके खिलाफ कार्रवाई न करके उनकी शर्तों का पालन कर रही है.

नई दिल्ली : असम के आठ प्रतिबंधित संगठनों के 644 उग्रवादियों ने मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की मौजूदगी में गुरुवार को आत्मसमर्पण कर दिया. उग्रवादियों ने 177 हथियार भी पुलिस के सामने जमा करा दिए. इस पर असम व यूपी के पूर्व डीजीपी और बीएसएफ के पूर्व महानिदेशक प्रकाश सिंह ने कहा कि विद्रोही समूह और उनके सदस्यों को संघर्षग्रस्त क्षेत्र में शांति लाने के लिए संघर्ष विराम समझौते का पालन करना चाहिए.

प्रकाश सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कहा, 'सरकार और उग्रवादी समूहों को असम में हमेशा के लिए शांति बहाल करने का प्रयास करना चाहिए. मुछे लगता है कि उग्रवादी समूहों को हथियार सरकार को सौंप देने चाहिए और समझौते का पालन करना चाहिए.'

असम व यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह का बयान.

ज्ञातव्य है कि इसी महीने के शुरुआत में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) ने सरकार के साथ अपना अभियान बंद करने का त्रिपक्षीय समझौता किया था. समझौते के मुताबिक, एनडीएफबी सरगना बी.सावरैग्वरा समेत सभी उग्रवादी हिंसक गतिविधियां रोकेंगे और सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल होंगे.

त्रिपक्षीय समझौते में एनडीएफबी, केंद्र और असम की सरकारें शामिल थीं. सावरैग्वरा के साथ एनडीएफबी के कई सक्रिय सदस्य 11 जनवरी को म्यांमार से भारत आए थे.

सिंह ने कहा कि यह एक सकारात्मक विकास है. यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि इनमें बहुत से समूहों ने आत्मसमर्पण किया है क्योंकि उग्रवादी समूहों को उन क्षेत्रों में काम करना मुश्किल हो रहा था, जहां उन्होंने शरण ले रखी थी. कई समूहों ने तो म्यांमार में शरण ली थी और इससे पहले कुछ समूहों ने बंग्लादेश में शरण ले रखी थी.

प्रकाश सिंह ने कहा कि जब उन्हें बंग्लादेश में रहना मुश्किल लग रहा था तो वे भारत आए और शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए राजी हुए.

उन्होंने कहा कि इन समूहों को अपने हथियारों को सरकार को सौंप देना चाहिए. यदि वे ऐसा नहीं करते तो शांति वार्ता का कोई मतलब नहीं रह जाएगा.

ये भी पढ़ें- असम में आठ प्रतिबंधित संगठनों के 644 उग्रवादियों ने किया आत्मसमर्पण

सिंह ने कहा, 'हमने नगालैंड में देखा है. वहां पर युद्ध विराम समझौते को सख्ती से लागू नहीं किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप नगा विद्रोही लोगों को भर्ती कर रहे थे और इसके साथ-साथ पैसे भी इकट्ठा कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि खुफिया रिपोर्ट से यह भी पता चला था कि सरकार के साथ युद्ध विराम समझौते में शामिल समूह द्वारा लोगों की भर्ती और जबरन वसूली की जा रही थी.

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि सरकार उग्रवादियों की गिरफ्तारी और उनके खिलाफ कार्रवाई न करके उनकी शर्तों का पालन कर रही है.

Intro:New Delhi: On the day when 644-odd militants surrendered in Assam, former Director General of Police (DGP) Prakash Singh said that the rebel groups and their members must adhere to the ceasefire agreement for bringing peace in the strife torn region.



Body:"I won't go to the extent that militant groups coming overground can bring permanent peace to the northeast. What I feel is that these groups must be disarmed and ceasefire agreement must be enforced," said Singh to ETV Bharat in an exclusive interview.

A total of 644 militants of eight banned militant groups surrendered in Assam along with 177 arms.

This development assumes much more significance as top leaders of Bodo rebel groups, National Democratic Front of Bodoland (NDFB-Saoraigwra) came overground and join the peace process.

Being the last of the Bodo rebel factions, NDFB-S waged an armed struggle for a sovereign Bodoland for years. It's leaders had recently signed an agreement for the cessation of operations.

"I do feel that this is a positive development. What is important is that lot of these groups are finding it difficult to operate from the areas they have taken shelter in. Several groups have taken shelter in Myanmar, and earlier several groups have taken shelter in Bangladesh. When they found it so difficult to stay in Bangladesh, they came ovrgound and negotiated with some kind of agreement with the government for cessation of hostilities," said Singh who had earlier served as DGP in Assam and Uttar Pradesh.

Singh had served as BSF DG too.

He said that these groups must be disarmed. If they don't surrender their weapons, there is no meaning of holding peace talks.

"We have seen in Nagaland. The term of ceasefire agreement have not been strictly enforced. The Naga rebels have been carrying out recruitment, they have been collecting money...," said Singh.

In fact, intelligence reports also suggest that many of the rebel groups presently in talks with the government are engaged in recruitment and extortion.


Conclusion:"It should not be that government is adhering their side of the agreement by not arresting and carrying out operations, but insurgents continue recruiting people and collect funds," Singh added.

It may be mentioned here that the largest Naga rebels group in Northeast, National Socialist Council of Nagalim (NSCN-Isak Muivah), also known as mother of insurgency in northeast, signed a ceasefire agreement with Government of India in 1997.

Though the signing of a final peace agreement is at the last stage, the rebel groups has been continuously recruiting cadres and regularly doing extorting business.

As many as 10 militant groups from northeast (Ulfa-pro talks, NDFB-P, KLNLF, KNO, NSCN-K among others) are presently in ceasefire and suspension of operation agreement with the government.

Significantly, the central government is also implementing a scheme for surrender cum rehabilitation of militants of northeast since 1998.

Under the scheme, one time grant of Rs 1.5 lakh, monthly stipend of Rs 3,500 each cadre, incentives for weapons etc are given to the surrenderees as a rehabilation package.

end.
Last Updated : Feb 18, 2020, 4:17 AM IST
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