चंडीगढ़ : दशकों से लोगों के दिलों में जो राम मंदिर का सपना था, वो साकार होने जा रहा है. उसी धरती पर अब राम मंदिर का निर्माण होगा, जहां भगवान राम के जन्म होने का दावा किया जाता रहा है, और इसी के साथ बाबरी मस्जिद विवाद भी समाप्त हो चुका है, लेकिन आज हम फिर बाबरी मस्जिद पर चर्चा करने जा रहे हैं, लेकिन वो बाबरी मस्जिद नहीं जिसके ढ़ाचे को अयोध्या में कार सेवकों के द्वारा गिरा दिया गया था, बल्कि उस बाबरी मस्जिद के बारे में बात करेंगे जिसे बाबर ने अयोध्या की बाबरी मस्जिद से पहले बनवाई थी.
1526 में बनवाई गई थी यह बाबरी मस्जिद
सभी को मालूम है कि 1526 ईसवीं में बाबर और इब्राहिम लोधी के बीच पानीपत में युद्ध हुआ था. जिसमें बाबर की जीत हुई थी. बाबर ने इब्राहिम लोधी से जंग जीतने पर खुशी में एक खूबसूरत मस्जिद का निर्माण करवाया था, ये मस्जिद आज भी पानीपत के कुटानी रोड पर स्थित है.
किसी जमाने में शानदार रही होगी ये मस्जिद
ईटीवी भारत की टीम हरियाणा के पानीपत स्थित बाबरी मस्जिद में पहुंची. बड़े खूबसूरत कलाकृतियों से सजी मस्जिद का प्रवेश द्वार उत्तर दिशा में बनाया गया है. लाल बालू के रंग और ईंटों से बने मुख्य द्वार के सामने बड़ा मेहराब बना हुआ है. इसकी गुंबदों पर पुष्पाकार गोलाकारी फलक बनाए गए हैं. मेन मेहराब काफी बड़ा है. भवन के पश्चिम दिशा में उप भवन भी है. प्रत्येक उप भवन में नौ दीप और नौ आले हैं. ढाई से तीन एकड़ में बनी इस आलीशान मस्जिद में अंदर दाखिल होते ही सुंदर पार्क देखने को मिलता है.
काबूली बाग मस्जिद के नाम से भी है प्रसिद्ध
आज इस मस्जिद को पानीपत में कई नामों से जाना जाता है, कोई इसे काबुली बाग मस्जिद के नाम से जनता है तो कोई बाबरी मस्जिद, तो कोई इसे उजड़े गुम्बद के नाम से जानता है, लेकिन इतिहास कहता है कि बाबर ने सबसे पहले इसी मस्जिद का निर्माण करवाया था. वो भी पानीपत मस्जिद के निर्माण के बाद सुल्तान बाबर ने 1527 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद बनवाई गई थी, जिसको 1992 में ढहा दिया गया था.
आज गुमनामी में बदहाल हो रही है मस्जिद
हालांकि, देखभाल की कमी में पौधे दम तोड़ते नजर आते हैं. गुंबदों पर पुष्पाकार गोलाकारी अब खस्ता हालत में हैं. देखभाल की कमीं की वजह से शरारती तत्वों ने यहां पर ईंटें निकालकर गुबंद के ऊपर चढने का रास्ता बना लिया. भवन का काफी हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है. मस्जिद की दीवारें टूटी हुई है, इमारत पुरानी होने की वजह से गिरने का खतरा भी हर वक्त बना रहता है. जिसके चलते इनके अंदर जाने के मुख्य मार्गो को ताला लगाकर बन्द रखा जाता है.
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