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बैंकों का विलय : कांग्रेस बोली- लीपा-पोती बंद कर जवाब दे सरकार - कांग्रेस ने बैंक विलय पर सरकार से मांगा जवाब

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की सरकारी बैंकों के विलय की घोषणा की है. बैंकों के विलय के बाद कांग्रेस ने कहा कि सरकार लाचार अर्थव्यवस्था पर लीपा-पोती और लुका छिपी का खेल बंद करे और अर्थव्यवस्था कैसे खड़ी करनी है इस पर टिप्पणी करे.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
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Published : Aug 30, 2019, 11:51 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 10:22 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बैंकिंग सेक्टर में बड़ा कदम उठाते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकों का विलय करने की घोषणा की है. उन्होने बताया कि 2017 में कुल 27 राष्ट्रीय बैंक थे, लेकिन विलय के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 12 हो गई है. कांग्रेस ने बैंकों के विलय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा सरकार लाचार अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में असफल है इसलिए लीपा-पोती कर रही है. सरकार अर्थव्यवस्था कैसे खड़ी करेगी इस पर जवाब देना चाहिए.

बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक और विजया बैंक के विलय के बाद किसी भी प्रकार की छटनी नहीं की गई है, एक बैंक के अच्छे कार्यों को दूसरे बैंकों में भी लागू किया गया है.इंडियन बैंक और इलाहाबाद बैंक के विलय से 8.08 लाख करोड़ रुपये के कारोबार के साथ सार्वजनिक क्षेत्र का 7वां बड़ा बैंक बनेगा.

कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल

बैंक ऑफ इंडिया और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के रूप बने रहेंगे. इंडियन बैंक और इलाहाबाद बैंक के विलय से 8.08 लाख करोड़ रुपये के कारोबार के साथ सार्वजनिक क्षेत्र का 7वां बड़ा बैंक बनेगा.

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कहा कि मोदी सरकार जनता को गुमराह करने के लिए बैंकों का विलय कर रही है.

शेरगिल ने कहा, 'सरकार जहां बैंको के रिफार्म की बात करत रही है, अर्थ व्यवस्था का सच यह है कि बैंक लुट रहे हैं, खजानों में जनता का पैसा लुट रहा है.'

उन्होने कहा फायनेंस मिनिस्ट्री यह उत्तर दें कि क्यूं भजपा सरकार की निगरानी में 74 प्रतिशत बैंक धोखाधड़ी में वृद्धी हुई है.

पढ़ें- विलय के सौदे के बाद अस्तित्व में होंगे ये 12 बैंक

शेरगिल ने कहा कि सरकार बैंकों का विलय का गणित समझा रही है लेकिन जनता यह जानना चाहती है कि बैंकों में जो उसने पैसे जमा किए हैं वह सुरक्षित है या नहीं.

हालात यह हैं कि आर्थिक बदहाली के कारण जनता को डर है कि बैंकों में उसके पैसे सुरक्षित नहीं है.

सरकार को चाहिए कि जनता को यह भरोसा दिलाए की उसका पैसै सुरक्षित है और जनता को विलयऔर जीडीपी के आंकड़ों के खेल में न उलझाए.

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बैंकिंग सेक्टर में बड़ा कदम उठाते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकों का विलय करने की घोषणा की है. उन्होने बताया कि 2017 में कुल 27 राष्ट्रीय बैंक थे, लेकिन विलय के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 12 हो गई है. कांग्रेस ने बैंकों के विलय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा सरकार लाचार अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में असफल है इसलिए लीपा-पोती कर रही है. सरकार अर्थव्यवस्था कैसे खड़ी करेगी इस पर जवाब देना चाहिए.

बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक और विजया बैंक के विलय के बाद किसी भी प्रकार की छटनी नहीं की गई है, एक बैंक के अच्छे कार्यों को दूसरे बैंकों में भी लागू किया गया है.इंडियन बैंक और इलाहाबाद बैंक के विलय से 8.08 लाख करोड़ रुपये के कारोबार के साथ सार्वजनिक क्षेत्र का 7वां बड़ा बैंक बनेगा.

कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल

बैंक ऑफ इंडिया और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के रूप बने रहेंगे. इंडियन बैंक और इलाहाबाद बैंक के विलय से 8.08 लाख करोड़ रुपये के कारोबार के साथ सार्वजनिक क्षेत्र का 7वां बड़ा बैंक बनेगा.

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कहा कि मोदी सरकार जनता को गुमराह करने के लिए बैंकों का विलय कर रही है.

शेरगिल ने कहा, 'सरकार जहां बैंको के रिफार्म की बात करत रही है, अर्थ व्यवस्था का सच यह है कि बैंक लुट रहे हैं, खजानों में जनता का पैसा लुट रहा है.'

उन्होने कहा फायनेंस मिनिस्ट्री यह उत्तर दें कि क्यूं भजपा सरकार की निगरानी में 74 प्रतिशत बैंक धोखाधड़ी में वृद्धी हुई है.

पढ़ें- विलय के सौदे के बाद अस्तित्व में होंगे ये 12 बैंक

शेरगिल ने कहा कि सरकार बैंकों का विलय का गणित समझा रही है लेकिन जनता यह जानना चाहती है कि बैंकों में जो उसने पैसे जमा किए हैं वह सुरक्षित है या नहीं.

हालात यह हैं कि आर्थिक बदहाली के कारण जनता को डर है कि बैंकों में उसके पैसे सुरक्षित नहीं है.

सरकार को चाहिए कि जनता को यह भरोसा दिलाए की उसका पैसै सुरक्षित है और जनता को विलयऔर जीडीपी के आंकड़ों के खेल में न उलझाए.

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Last Updated : Sep 28, 2019, 10:22 PM IST
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