नई दिल्ली : फिक्की की अध्यक्ष डॉ संगीता रेड्डी ने रविवार को कहा कि कोरोना संकट से निपटने की भारत की रणनीति सफल रही है और देश की अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर आने और मजबूत होने के लिए तैयार है.
डॉ रेड्डी ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रसार की गति और इसका प्रभाव अभूतपूर्व है. महामारी को खत्म करने के लिए कोई मानक योजना नहीं थी. दुनियाभर में सरकारों के लिए जीवन और आजीविका को बचाने को लेकर संतुलन बनाने के लिए कशमकश की स्थिति थी.
भारत ने स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए कड़ाई से तालाबंदी का रास्ता अपनाया और लोगों की जान बचाने पर ध्यान केंद्रित किया. यह रणनीति सफल रही. बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए विज्ञान का विकास हुआ, चिकित्सा का बुनियादी ढांचा तैयार किया गया, पीपीई जैसी चीजों की आपूर्ति में तेजी आई और मृत्यु दर को नियंत्रण में किया गया.
कोरोना संक्रमण के नए मामलों की संख्या घटकर 50 हजार से नीचे आ गई है. यह इस बात का संकेत है कि संक्रमण के प्रसार की दर नियंत्रण में है. कोरोना पीड़ितों के ठीक होने की दर और पीड़ितों की मौत के मामले में कई अन्य देशों की तुलना में हमारे यहां का अनुपात बेहतर है. हमारा स्वास्थ्य डेटा एक स्वस्थ नियति की ओर इशारा करता है. फिर भी हमें रोक-थाम के लिए लोगों शिक्षित करना जारी रखना चाहिए और जब तक टीका के लिए तैयारी चल रही है तब तक चौकस रहना चाहिए.
डॉ रेड्डी ने कहा कि स्पष्ट तौर पर यह आजीविका के मोर्चे पर निडर होकर काम करने का समय है. हाल की मौद्रिक नीति ने भरोसा दिलाया कि अर्थव्यवस्था को बचाए रखने के लिए सरकार और नियामक सब कुछ करेंगे. उन्होंने कहा कि आइए हम अपने विकास के एजेंडे को जोरदार तरीके से आगे बढ़ाना शुरू करें.
फिक्की की अध्यक्ष ने कहा कि जैसा कि हम देख सकते हैं कि अर्थव्यवस्था में सुधार की शुरुआती अच्छी तस्वीर दिखने लगी है. वर्ष 2020 के सितंबर में विनिर्माण और सेवाओं के लिए पीएमआई क्रमशः 56.8 और 49.8 तक पहुंच गया है. ई-वे बिल की राशि में बढ़ोतरी, राजस्व में सुधार, प्रमुख वस्तुओं की माल ढुलाई में सुधार, निर्यात में सकारात्मक सुधार और सबसे उल्लेखनीय रूप से बढ़ोतरी सितंबर के जीएसटी के संग्रह में हुई है.
यह लगभग कोविड-19 से पहले के स्तर पर पहुंच गया है. ये बढ़ने वाला रुझान सराहना के लायक हैं और इसे निरंतर बनाए रखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि मांग पैदा करने पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए खपत की गारंटी देने जैसी आगे की पहल (जो फिक्की की सिफारिशों में से एक था) हर हाल में जारी रहनी चाहिए.
डॉ रेड्डी ने कहा कि भारत की स्वाभाविक आर्थिक ताकत और लचीलापन बरकरार है. सरकार की ओर से प्रगतिशील नीतियां पेश की गई हैं, बुनियादी ढांचा विकास की प्रमुख योजनाएं लागू की गई हैं, बड़े उपभोक्ता बाजार हैं ये सभी विकास के लिए महत्वपूर्ण अनुकूल माहौल की ओर इशारा करते हैं. इसके अलावा हमेशा अवसर की पहचान करने में सक्षम और पहले ही सक्रिय होकर आगे बढ़ने वाले उद्यमियों की जीवंतता, हमारे क्षमतावान और कर्मठ कामगार वर्ग, हमारे प्रतिबद्ध किसान और बेहतर भविष्य की तलाश में जुटी हमारी युवा आबादी की ऊर्जा, इस संकट से भारत की स्थिति को संभाल लेने व और मजबूत करके उभारने में सक्षम है.
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तथ्य जो हमारी दीर्घकालिक संभावना की भविष्यवाणी करते हैं
पहला हमारे कृषि क्षेत्र की ताकत है, जिसने इस कठिन समय में भी अच्छा प्रदर्शन किया है. भारत दुनिया के लिए भोजन के कटोरे के रूप में उभर सकता है. किसान उत्पादक संगठनों को बहुत अधिक बढ़ाकर और उन्हें पर्याप्त सहायता देकर हम किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए अच्छा परिणाम पा सकते हैं. किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को हाल ही में मार्केटिंग में किए गए सुधार से बढ़ावा मिला है क्योंकि आय में वृद्धि का करीब 33 फीसद बेहतर मूल्य प्राप्त करने और उपज की कटाई के बाद कुशल प्रबंधन के माध्यम से मिलता है. कृषि क्षेत्र के लिए 2022 तक 60 अरब डॉलर के कृषि-निर्यात लक्ष्य का साथ यह अच्छा है.
दूसरा दवा, इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा, विमानन, रोबोटिक्स आदि क्षेत्रों में उच्च श्रेणी का निर्माण है, जहां हमारे प्रशिक्षित कर्मचारियों का कौशल भविष्य को तैयार कर सकता हैं.इसके साथ ही समर्पित क्लस्टर / क्षेत्र जो खुद नियंत्रित हैं वे उत्पादन के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को पूरा करेंगे. विनिर्माण क्षेत्र में 2025 तक 1 खरब (ट्रिलियन) डॉलर तक पहुंचने की क्षमता है.
तीसरा बहुमुखी सेवा क्षेत्र है जिसने कोविड-19 काल के जरिए घर से काम करने की नई राह निकाली है और काम करना सीखा है. अपने वैश्विक वितरण केंद्रों के माध्यम से आईटी क्षेत्र ने यह सुनिश्चित किया है कि महामारी के दौरान भी भारत में और दुनिया के अन्य हिस्सों में लोग अपने व्यवसाय या अपने अन्य कामकाज को जारी रख सकते हैं. विकास के अनुमान को देखते हुए भारत का आईटी क्षेत्र 2025 तक 350 अरब डॉलर को छू सकता है और बीपीएम कुल राजस्व का 50-55 अरब होने की उम्मीद है.
चौथा बुनियादी ढांचा क्षेत्र है. आज विश्व स्तर पर बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में सबसे बड़ी परियोजनाओं में से कुछ की परिकल्पना और कार्यान्वयन भारत में किया जा रहा है. नई राष्ट्रीय बुनियादी संचरना पाइपलाइन के तहत अब से 2025 के बीच 1 खरब (ट्रिलियन) डॉलर से अधिक के निवेश की जरूरत है. यह एक महत्वाकांक्षी योजना है और इसमें सरकार और निजी लोगों यानी दोनों का मिलाजुला पैसा लगना है. यह परियोजना बुनियादी ढांचे से जुड़ी 200 से अधिक क्षेत्रों को बढ़ावा देगी.
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पांचवां हमारा एमएसएमई क्षेत्र और नवाचार को बढ़ावा दे रहे स्टार्टअप हैं जो भारतीय विकास इंजन में बढ़ोतरी की एक और उड़ान है.
छठा बहुत सारे क्षेत्रों में फैलता जा रहा डिजिटलीकरण है. कोविड-19 ने क्षेत्रों में डिजिटलाइजेशन को स्थिरता दी है. जैसा कि हमने 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य तय किया है. डिजिटलीकरण इसमें 1 ट्रिलियन डॉलर के योगदान के लिए तैयार है. सरकार पहले ही एआई, एमएल, आईओटी और संबद्ध प्रौद्योगिकियों में वैल्यू अनलॉक करने की नींव रख चुकी है.
सातवां- पहचान वाले 27 सेक्टर्स को बढ़ावा देने के लिए सातवां काम किया जा रहा है. उद्योग के साथ-साथ हमारी सरकार इन क्षेत्रों के लिए पारिस्थितिकी तंत्र के हर ब्योरे की पहचान और जांच कर रही है और पहले से ही बड़े बदलावों को तेजी से शुरू कर दिया गया है, जिसका परिणाम नजदीकी से मध्यम अवधि में दिखेगा. सरकार औद्योगिक गलियारों के विकास के लिए भी तेजी से काम कर रही है. औद्योगिक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए नए और उन्नत नीतिगत ढांचे पेश किए जा रहे हैं. उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना एक ऐसा ही ढांचा है. इसके अलावा कुछ राज्य सरकारों ने निवेश को आकर्षित करने के लिए विशेष प्रोत्साहन और अनुदान योजनाओं की घोषणा की है. यह समग्र दृष्टिकोण हमारे निर्माण क्षेत्र के लिए एक प्रभावी उत्प्रेरक साबित होगा. इससे हम निर्यात में उल्लेखीय बढ़ावा मिलने की उम्मीद करते हैं.
व्यवसाय करने की लागत को कम करने लिए आठवां सुधार किया जा रहा है. यह चाहे विद्युत अधिनियम में बदलाव से हो या श्रम कानूनों के संहिताकरण या सरकार या न्यायिक सुधारों के साथ इंटरफेस के लिए प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण के माध्यम से हो , इनमें से प्रत्येक सुधार में विकास को आगे बढ़ाने और भारतीय उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनने में मदद करने की क्षमता है. हम उम्मीद करते हैं कि सरकार इस तरह के बदलावों को तेज गति से आगे बढ़ाएगी.
नौवां हमारे घरेलू बाजार का आकार है और यह कई क्षेत्रों को आगे बढ़ा सकता है. भारत का खुदरा बाजार 2019 में 0.7 ट्रिलियन डॉलर था जिसे 2025 तक 1.1- 1.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है. यह 9-11 फीसद के सीएजीआर पर बढ़ रहा है. भारत दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ता ठिकानों में से एक होगा और इसलिए हमेशा एक ऐसा बाजार रहेगा जिसे कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता है.
दसवां, हमारे स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र और शिक्षा क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है. दोनों और आगे बढ़ने के अच्छा स्रोत हो सकते हैं. हालांकि भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के 2022 तक 372 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. उच्च शिक्षा क्षेत्र में 2025 तक 35 बिलियन डॉलर तक बढ़ोतरी की उम्मीद है. घरेलू क्षमता में तेजी लाने का एक बहु-आयामी दृष्टिकोण व सामाजिक क्षेत्र के लिए परिवर्तनकारी रणनीति के लिए इन क्षेत्रों में वैश्विक पहचान बनानी होगी.
फिक्की के अध्यक्ष ने कहा कि अपने प्रयासों से हम कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई जीत सकते हैं और मजबूत बन सकते हैं. जो अभी हो रहा है उसके लिए शुरुआती परिणामों को दिखाने के लिए संख्या शुरू हो रहा आयोजन है. आएं हमलोग अपनी सामूहिक ऊर्जा और प्रतिभा को सकारात्मक रूप से व्यवस्थित करें. सभी जाति और धर्म के सभी क्षेत्रों के करीब 1.4 अरब लोग एक राष्ट्र के रूप में एक साथ बंधे हैं जो एक सकारात्मक भविष्य के लिए तैयार है. इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए. अगला दशक भारत का होगा और हमें हर हाल में एकजुट होकर इस शक्तिशाली प्रारब्ध को तैयार करना चाहिए.