नई दिल्ली : देश के सबसे बड़े गैर-राजनीतिक किसान संगठन राष्ट्रीय किसान महासंघ ने वरिष्ठ वकीलों से विचार-विमर्श करने के बाद सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को कृषि कानूनों के सम्बन्ध में पत्र लिखा है. महासंघ ने कहा कि राज्य सरकारें सिर्फ बयान देने तक सीमित हैं और कृषि कानूनों के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठा रही हैं.
राष्ट्रीय किसान महासंघ ने कहा कि यदि राज्य सरकारें आने वाले समय में कृषि कानूनों के खिलाफ ठोस कानूनी कदम नहीं उठाती हैं, तो सभी मुख्यमंत्रियों का विरोध किया जाएगा. किसान महासंघ ने पत्र में स्वमीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य देने एवं एमएसपी गारंटी कानून बनाने सम्बंधित मांग भी की है.
राष्ट्रीय किसान महासंघ ने सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर मुख्य रूप से तीन मांगें सामने रखी हैं.
- पहली मांग केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को राज्य सरकारों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाए, क्योंकि यह कानून असंवैधानिक हैं और खेती संबंधी कानून बनाना राज्य सरकारों का विषय है.
- दूसरी मांग है कि राज्य सरकारें सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य स्वमीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले के अनुसार किसानों को देने सम्बंधित कानून बनाएं और उसे राष्ट्रपति के पास भेजें.
- तीसरी मांग एमएसपी की गारंटी देने के लिए कानून राज्य सरकारें बनाएं और उसे राष्ट्रपति के पास भेजने की है.
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14 अक्टूबर को दिल्ली में पंजाब के किसानों के साथ सरकार की बातचीत विफल रही थी, जिसके बाद किसानों ने कहा था कि वह अपना आंदोलन जारी रखेंगे. किसानों की मांग पर पंजाब की अमरिंदर सरकार ने कृषि कानून को रोकने के लिये विधानसभा का विशेष सत्र भी बुला लिया है.
अब राष्ट्रीय किसान महासंघ की मांग है की अन्य राज्य भी पंजाब की तर्ज पर कृषि सुधार कानून की खिलाफत के लिए विशेष विधानसभा सत्र बुलाएं.