नई दिल्ली : किसान आंदोलन के मुद्दे पर संसद में चर्चाओं का दौर जारी है. मोदी सरकार लगातार बातचीत से मसले का हल निकालने की बात कह रही है. सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए किसानों के मुद्दे और कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे संगठनों का जिक्र किया.
विपक्ष से अनुरोध करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने आंदोलनरत किसानों को कृषि कानून के पक्ष में मनाने की अपील की. लेकिन साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने आंदोलन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इसमें कुछ आंदोलनजीवी लोगों का प्रवेश हो गया है, जो परजीवी हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के इन शब्दों पर किसान नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने प्रधानमंत्री मोदी के बयान को शर्मनाक बताया और कहा कि एक कॉर्पोरेटजीवी सरकार आज किसान आंदोलन और उनके नेताओं के लिये ऐसे शब्द का इस्तेमाल कर रही है. यह निराशाजनक है.
वहीं, सरकार की तरफ से बातचीत के प्रस्ताव पर किसान नेता ने कहा कि जब सरकार कोई नये प्रस्ताव के साथ किसानों के दुख दर्द को समझते हुए बातचीत के लिये तैयार होगी तो वह जरूर बातचीत में शामिल होंगे.
हन्नान मोल्लाह ने आगे जानकारी दी कि 10 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सभी किसान संगठनों की एक बैठक दिल्ली के सिंघु बॉर्डर स्थित धरना स्थल पर होगी. जिसमें आंदोलन के आगे की रूप-रेखा तैयार होगी.
राकेश टिकैत का बयान उनकी निजी राय
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि कृषि कानूनों के विरोध में 75 दिनों से ज्यादा से चल रहा आंदोलन अक्टूबर माह तक चलेगा. उसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी. टिकैत के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए हन्नान मोल्लाह ने कहा है कि यह उनका निजी विचार है. संयुक्त किसान मोर्चा इससे संबंध नहीं रखता है.
उन्होंने कहा कि सभी किसान संगठन चाहते हैं कि चर्चा से इसका कुछ हल निकले और किसान आंदोलन खत्म करें, लेकिन जब तक सरकार कुछ नई पहल नहीं करती तब तक किसान आंदोलन जारी रखने को मजबूर हैं.
यह भी पढ़ें-LIVE: उत्तराखंड ग्लेशियर हादसे में अब तक 24 की मौत, 197 लापता
सदन में किसानों के मुद्दे पर चल रही चर्चा पर उन्होंने कहा कि सरकार पुरानी बातों को दोहरा कर तीनों कृषि कानूनों की खूबियां गिनवा रही है. जबकि आंदोलन में शामिल एक भी किसान संतुष्ट नहीं है.