नई दिल्ली : भारत में यूरोपीय संघ (EU) के राजदूत उगो अस्तुतो ने मंगलवार को कहा कि संघ कश्मीर में स्थिति को लेकर चिंतित है और वहां आवाजाही की आजादी देना तथा हालात सामान्य करना बहुत महत्वपूर्ण है.
दरअसल, उगो अस्तुतो भारत में यूरोपीय संघ (EU) के नए दूत हैं. उन्होंने कश्मीर में संचार लिंक और अधिकारों की बहाली की वकालत की है.
राजदूत का पदभार संभालने के बाद मंगलवार को अस्तुतो ने नई दिल्ली में पहली बार मीडिया से बातचीत की. जम्मू-कश्मीर से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ के स्टैंड में कोई बदलाव नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि EU पांच अगस्त के बाद हुए बदलावों पर अपने पुराने पक्ष पर अटल है.
अस्तुतो ने कहा, 'हम कश्मीर में हालात को लेकर चिंतित हैं...कश्मीर में आवाजाही की आजादी और सामान्य हालात बहाल करना आवश्यक है.'
राजदूत ने यूरोपीय सांसदों की कश्मीर यात्रा पर स्पष्ट किया की भले ही सांसदों की यात्रा आधिकारिक नहीं थी पर वह वैध थी. उन्होंने यह साफ किया कि यात्रा 'यूरोपीय संघ के नीतिगत फैसलों की अभिव्यक्ति नहीं है.'
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कश्मीर को लेकर संविधान में किए बदलावों के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव को लेकर रजदूत ने नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच वार्ता पर जोर दिया.
उन्होंने कहा, हमने भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक माध्यमों से बातचीत पर जोर दिया है.
अस्तुतो ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को मुद्दों को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए. हालांकि, पाकिस्तान को उसकी धरती से गतिविधियां चलाने वाले चरमपंथियों और आतंकवादियों के खिलाफ अवश्य कार्रवाई करनी चाहिए.
नागरिकता संशोधन विधेयक के संबंध में अस्तुतो ने कहा कि समानता का सिद्धांत भारतीय संविधान में प्रतिष्ठापित है और आशा करते हैं कि उसका सम्मान किया जाएगा.
उन्होंने कहा, 'भारतीय संविधान बिना किसी भेदभाव के कानून के समक्ष बराबरी की बात करता है. हम इन सिद्धांतों को साझा करते हैं. यह सिद्धांत यूरोपीय संघ के कानून को मजबूत करते हैं...मुझे यकीन है कि इन चर्चाओं का नतीजा भारतीय संविधान द्वारा स्थापित उच्च मानकों के अनुरूप निकलेगा.'
भारत-ईयू के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) वार्ता 2013 से ठप है. इससे जूड़े सवाल पर उगो अस्तुतो ने कहा, तकनीकी स्तर पर जारी है.
उन्होंने आशा जताई कि 'निवेश संधियों पर बातचीत पहले से ही (beforehand) संपन्न हो जानी चाहिए'.
(स्मिता शर्मा)