नई दिल्ली: पहले चरण के मतदान से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी और पीएम मोदी के लिए अच्छी खबर नहीं कही जा सकती है. चुनाव आयोग ने पीएम नरेन्द्र मोदी की बायोपिक पर रोक लगाने के बाद नमो टीवी पर भी बैन लगा दिया है. नमो टीवी पर मोदी की रैलियों और उनसे जुड़े प्रचार दिखाए जा रहे थे.
केंद्रीय चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीवन पर आधारित बायोपिक की स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी है. इसका कारण लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता (MCC) लागू होना है. आयोग ने अपने फैसले में MCC का हवाला देते हुए पीएम मोदी की बायोपिक पर रोक लगा दी है.
बुधवार को अपने आदेश में चुनाव आयोग ने कहा कि चुनाव के दौरान ऐसी किसी फिल्म के प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी जा सकती. फिल्म की श्रेणी का जिक्र करते हुए आयोग ने कहा कि ऐसी फिल्म जो किसी राजनीतिक दल या राजनेता के चुनावी हितों का पोषण करती हो.
इस संबंध में कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए चुनाव आयोग के फैसले की प्रशंसा की. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस उम्मीद करती है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष चुनाव कराएगा.
उन्होंने कहा, 'मुझे खुशी है कि चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया और कांग्रेस पार्टी इसका स्वागत करती है.' उन्होंने भाजपा और मोदी सरकार पर हमला बोला. सुरजेवाला ने कहा, 'ये फिल्म ऐसी है जैसे कोई व्यक्ति सत्ता के नशे में धुत्त है और खुद को भारत से बड़ा समझता है.'
उन्होंने आगे कहा कि मोदी कभी टी-शर्ट के माध्यम से तो कभी मूवीज बना कर खुद का प्रचार-प्रसार करवा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराए जाना अनिवार्य है.
उल्लेखनीय है कि इस फिल्म के निर्देशक उमंग कुमार ने 11 अप्रैल को रिलीज किए जाने की बात कही थी. बता दें कि 17वीं लोकसभा के लोकसभा चुनाव सात चरण में होने वाले हैं. इसी कड़ी में पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को होगा.
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इससे पहले माकपा सहित अन्य विपक्षी दलों ने फिल्म के प्रदर्शन रोके जाने की शिकायत की थी. उनकी शिकायत के बाद आयोग ने आज बुधवार को फिल्म के प्रदर्शन पर की अनुमति देने से इनकार कर दिया.
विपक्षी दलों की शिकायत में कहा गया था कि मोदी पर आधारित बायोपिक को चुनाव के दौरान प्रदर्शित करने का मकसद भाजपा को चुनावी फायदा पहुंचाना है. इसलिये चुनाव के दौरान इसके प्रदर्शन की अनुमति देने से चुनाव आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन होगा.
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा था कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFS) से मिलने वाले प्रमाण पत्र के अभाव में फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाए जाने की मांग प्रीम्च्योर है.
क्या कहा आयोग ने
आयोग ने कहा कि आचार संहिता लागू रहने के दौरान किसी राजनीतिक दल या राजनेता की जीवनी (बायोग्राफी) या उस पर आधारित किसी फिल्म, वृत्तचित्र, पोस्टर या कोई भी प्रचार सामग्री आदि को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अथवा सिनेमा घरों में प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिये. इसमें किसी राजनीतिक दल या राजनेता की छवि को सकारात्मक या नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाली सामग्री शामिल है.
आयोग ने भविष्य में इस तरह की शिकायतों की जांच के लिये उच्चतम न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश अथवा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है. समिति उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा प्रमाणित ऐसी किसी फिल्म, जो चुनाव में राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से बनायी गयी हो, से आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों की जांच करेगी.