नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भारतीय जनता पार्टी पर जोरदार हमला बोला है. उन्होंने कहा कि जब से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को 18,000 रुपये प्रतिमाह की सम्मान राशि देने की घोषणा की है, तबसे बीजेपी लगातार इसका विरोध कर रही है. केजरीवाल की गारंटी है कि यह योजना जरूर लागू होगी. भले ही बीजेपी कितना विरोध कर ले.
हरियाणा में इमामों को 16,000 रुपये प्रतिमाह
संजय सिंह ने हरियाणा सरकार का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां मौलानाओं और इमामों की सैलरी बढ़ाकर 16,000 रुपये प्रतिमाह कर दी गई है. "जब हरियाणा में इमामों को तनख्वाह दी जा सकती है, तो दिल्ली में पुजारियों और ग्रंथियों को सम्मान राशि क्यों नहीं जा सकती है. जब अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में पुजारियों और ग्रंथियों के लिए 18,000 रुपये प्रतिमाह की गारंटी दी, तो बीजेपी ने गाली-गलौज शुरू कर दी. उनके प्रवक्ता टीवी चैनलों पर सवाल उठा रहे हैं कि मौलानाओं को तनख्वाह क्यों नहीं दी जा रही.
पुजारियों-ग्रंथियों को ₹18,000 देने के विरोध में BJP‼️
— AAP (@AamAadmiParty) January 1, 2025
👉 अरविंद केजरीवाल जी पुजारियों-ग्रंथियों को हर महीने ₹18,000 सम्मान राशि देंगे, इसका BJP विरोध कर रही है
👉 अरविंद केजरीवाल जी ने कल पुजारियों और ग्रंथियों का रजिस्ट्रेशन शुरू किया तो BJP ने उन्हें गाली देना शुरू कर… pic.twitter.com/YyuYRjq3Mv
बीजेपी नफरत की राजनीति में डूबी हुई
आप नेता संजय सिंह ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह पार्टी नफरत की राजनीति में डूबी हुई है. बीजेपी के नेता पुजारियों और ग्रंथियों को सम्मान राशि देने का विरोध कर रहे हैं. यह शर्मनाक है. पूरा देश बीजेपी के चरित्र को देख रहा है. हम बीजेपी के विरोध से डरने वाले नहीं हैं. चाहे जितना विरोध कर लो, केजरीवाल जी की गारंटी 100% लागू होगी. दिल्ली के मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को 18,000 रुपये प्रतिमाह की सम्मान राशि दी जाएगी.
बीजेपी अपने राज्यों में घोषित करे सम्मान राशि
संजय सिंह ने बीजेपी को चुनौती देते हुए कहा कि आपके पास 22 राज्यों में सरकार है. अगर हिम्मत है, तो पुजारियों और ग्रंथियों को 18,000 रुपये प्रतिमाह की सम्मान राशि घोषित करो, लेकिन आप ऐसा नहीं करेंगे. संजय सिंह के इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है. आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को धार्मिक सम्मान और सामाजिक न्याय से जोड़ा है, जबकि बीजेपी ने इसे वोट बैंक की राजनीति करार दिया है. अब देखना होगा कि इस विवाद का राजनीतिक असर क्या होता है.