वाराणसी : इस्लाम धर्म का पाक महीना रमजान खत्म हो चुका है और सोमवार को देश के अधिकतर हिस्से में ईद मनाई जा रही है. रोजे के बाद अब हर कोई ईद की खुशियां मनाने में लगा हुआ है. छोटे बच्चों से लेकर बड़े मियां तक हर शख्स ईद पर खुद को दूसरे से अलग दिखाने की चाह में बाजार में खरीदारी की. हालांकि लॉकडाउन के कारण वाराणसी शहर के दालमंडी इलाके में ऑड-इवन के मुताबिक दुकानें खोली गईं. हालांकि हर साल की तरह इस बार बाजारों में भीड़ तो नहीं थी, लेकिन लोग जरूरत के सामानों की खरीदारी के लिए जरूर निकले.
ईद में सेवइयों के साथ जहां पुरुषों की पसंद कुर्ता-पैजामा और टोपी होती है तो वहीं महिलाओं की पसंद चूड़ी और सलवार-सूट होते हैं. इन दिनों मुस्लिम भाई टोपी की खरीदारी में जुटे. हर साल की तरह वाराणसी के दालमंडी बाजार में कई तरह की टोपियों की दुकानें सजी हुई दिखाई दीं.
इस बार ईद पर पाकिस्तानी बुखारा, अरतगल गाजी टोपी, ओवैसी टोपी, मौलाना साद टोपी, बाजार में जमकर बिकीं. टोपियों की कीमत 20 रुपये से शुरू होकर 500 रुपये तक हैं. जहां सादी दिखने वाली टोपियों की कीमत 20 रुपये थी वहीं जरकारी टोपियां की, जिन पर एंब्रॉयडरी वर्क था, कीमत ज्यादा थी.
ईद के मौके पर सबसे ज्यादा खरीदारी अरतगल गाजी सीरियल में पहनी जाने वाले गाजी टोपी की हुई है. इसकी कीमत बाजार में 400 से 500 रुपये है. बच्चों की टोपी की बात करें तो पाकिस्तानी पगड़ी और इंडियन टोपी काफी बिकी. इसकी कीमत 50 रुपये से शुरू होकर के 200 रुपये तक है.
इसे भी पढ़ें- पूरे देश में आज मनाई जा रही ईद, पीएम मोदी ने दी बधाई
खरीदारों का कहना है कि पाकिस्तानी बुखारा और अरतगल गाजी टोपी थोड़ी सी अलग है और दिखने में भी खूबसूरत होती है, इसलिए लोगों ने इनकी खरीदारी अधिक की. बातचीत में ग्राहकों ने बताया कि इस बार ईद का बाजार थोड़ा सा सूना है. हम सिर्फ जरूरत का सामान लेने के लिए ही घर से बाहर निकल रहे हैं. दरअसल टोपी नमाज अदा करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है, इसलिए हम इसकी खरीदारी करने आए हैं.
वहीं दुकानदारों की मानें तो लॉकडाउन के कारण इस बार मंदी की मार सबसे ज्यादा झेलनी पड़ी और हर साल के मुकाबले 10 प्रतिशत भी माल नहीं बिका. बाहर से कोई माल नहीं आया. उनके पास जो कुछ माल था, वही बेचकर काम चलाया. उनका कहना है कि लॉकडाउन के चलते बिक्री बहुत कम हो रही है और कुछ ही लोग आकर खरीदारी कर रहे हैं.