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बार-बार क्यों बढ़ती हैं प्याज की कीमतें, पड़ोसी देशों में क्या है हाल

भारत में 1.20 मिलियन हेक्टेयर पर प्याज की खेती होती है. कुल 19.40 मिलियन टन प्याज का उत्पादन होता है. औसतन एक हेक्टेयर पर 16 टन प्याज की उपज होती है.

editorial on onion price hike
प्रतीकात्मक फोटो
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Published : Dec 5, 2019, 12:21 PM IST

भारत में 1.20 मिलियन हेक्टेयर पर प्याज की खेती होती है. कुल 19.40 मिलियन टन प्याज का उत्पादन होता है. औसतन एक हेक्टेयर पर 16 टन प्याज की उपज होती है.

प्याज उत्पादित करने वाले प्रमुख राज्य

महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान और तेलंगाना

खरीफ फसल के तौर पर महाराष्ट्र में 76,279 हेक्टेयर पर प्याज को बोया गया था.

कीमत (सोमवार) की बात करें, तो एक क्विंटल की कीमत 10150 रु थी.

क्यों है समस्या

जहां-जहां प्याज बोए जाते हैं, उन इलाकों में असमय बारिश हुई.

महाराष्ट्र में औसत से डेढ़ गुनी अधिक बारिश हुई. गुजरात में दोगुनी, मध्यप्रदेश और तेलंगाना में 60 से 70 फीसदी अधिक बारिश हुई.

परिणाम स्वरूप फसलों का अधिक नुकसान हुआ. महाराष्ट्र में किसानों को अधिकांश जगहों पर दोबारा से प्याज की बुआई करनी पड़ी. जहां देरी से बुआई हुई, वहां की फसलें चौपट हो गईं.

आमतौर पर अक्टूबर के पहले सप्ताह में प्याज की पहली उत्पाद बाजार में आ जाती है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है. इस बीच मांग में तेजी की वजह से कीमतें ऊपर चली गईं.

क्या है सरकार की भूमिका

नवंबर के पहले सप्ताह तक भारत ने 3467 करोड़ के प्याज का निर्यात किया था.

अब सरकार ने जनवरी तक प्याज के निर्यात पर पाबंदी लगा रखी है.

हम प्याज निर्यात करने के बजाए आयात कर रहे हैं.

मिस्र, अफगानिस्तान, तुर्की और ईरान से हम प्याज मंगा रहे हैं.

पढ़ें-विशेष लेख : प्याज के आंसू कब तक रोएं ?

पड़ोसी देशों में क्या है स्थिति

बांग्लादेश- प्याज की खेती पर तात्कालिक रोक लगने की वजह से कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है. 25 रुपये प्रति किलो की जगह पर वहां 218 रुपये प्रति किलो प्याज मिल रहे हैं.

म्यामां- यहां प्याज की कीमतों में दोगुना इजाफा देखा गया.

नेपाल- 150 रु प्रति किलो की दर से प्याज मिल रहा है. नतीजतन बिहार से प्याज की स्मलिंग की जाने लगी.

पाकिस्तान- 70 रुपये प्रति किलो

श्रीलंका- 158 रु प्रति किलो

भारत में 1.20 मिलियन हेक्टेयर पर प्याज की खेती होती है. कुल 19.40 मिलियन टन प्याज का उत्पादन होता है. औसतन एक हेक्टेयर पर 16 टन प्याज की उपज होती है.

प्याज उत्पादित करने वाले प्रमुख राज्य

महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान और तेलंगाना

खरीफ फसल के तौर पर महाराष्ट्र में 76,279 हेक्टेयर पर प्याज को बोया गया था.

कीमत (सोमवार) की बात करें, तो एक क्विंटल की कीमत 10150 रु थी.

क्यों है समस्या

जहां-जहां प्याज बोए जाते हैं, उन इलाकों में असमय बारिश हुई.

महाराष्ट्र में औसत से डेढ़ गुनी अधिक बारिश हुई. गुजरात में दोगुनी, मध्यप्रदेश और तेलंगाना में 60 से 70 फीसदी अधिक बारिश हुई.

परिणाम स्वरूप फसलों का अधिक नुकसान हुआ. महाराष्ट्र में किसानों को अधिकांश जगहों पर दोबारा से प्याज की बुआई करनी पड़ी. जहां देरी से बुआई हुई, वहां की फसलें चौपट हो गईं.

आमतौर पर अक्टूबर के पहले सप्ताह में प्याज की पहली उत्पाद बाजार में आ जाती है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है. इस बीच मांग में तेजी की वजह से कीमतें ऊपर चली गईं.

क्या है सरकार की भूमिका

नवंबर के पहले सप्ताह तक भारत ने 3467 करोड़ के प्याज का निर्यात किया था.

अब सरकार ने जनवरी तक प्याज के निर्यात पर पाबंदी लगा रखी है.

हम प्याज निर्यात करने के बजाए आयात कर रहे हैं.

मिस्र, अफगानिस्तान, तुर्की और ईरान से हम प्याज मंगा रहे हैं.

पढ़ें-विशेष लेख : प्याज के आंसू कब तक रोएं ?

पड़ोसी देशों में क्या है स्थिति

बांग्लादेश- प्याज की खेती पर तात्कालिक रोक लगने की वजह से कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है. 25 रुपये प्रति किलो की जगह पर वहां 218 रुपये प्रति किलो प्याज मिल रहे हैं.

म्यामां- यहां प्याज की कीमतों में दोगुना इजाफा देखा गया.

नेपाल- 150 रु प्रति किलो की दर से प्याज मिल रहा है. नतीजतन बिहार से प्याज की स्मलिंग की जाने लगी.

पाकिस्तान- 70 रुपये प्रति किलो

श्रीलंका- 158 रु प्रति किलो

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बार-बार क्यों बढ़ती हैं प्याज की कीमतें और पड़ोसी देशों में क्या है हाल



भारत में 1.20 मिलियन हेक्टेयर पर प्याज की खेती होती है. कुल 19.40 मिलियन टन प्याज का उत्पादन होता है. औसतन एक हेक्टेयर पर 16 टन प्याज की उपज होती है. 

प्याज उत्पादित करने वाले प्रमुख राज्य 

महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान और तेलंगाना

खरीफ फसल के तौर पर महाराष्ट्र में 76,279 हेक्टेयर पर प्याज को बोया गया था.

कीमत (सोमवार) की बात करें, तो एक क्विंटल की कीमत 10150 रु थी. 

क्यों है समस्या

जहां-जहां प्याज बोए जाते हैं, उन इलाकों में असमय बारिश हुई. 

महाराष्ट्र में औसत से डेढ़ गुनी अधिक बारिश हुई. गुजरात में दोगुनी, मध्यप्रदेश और तेलंगाना में 60 से 70 फीसदी अधिक बारिश हुई. 

परिणाम स्वरूप फसलों का अधिक नुकसान हुआ. महाराष्ट्र में किसानों को अधिकांश जगहों पर दोबारा से प्याज की बुआई करनी पड़ी. जहां देरी से बुआई हुई, वहां की फसलें चौपट हो गईं. 

आमतौर पर अक्टूबर के पहले सप्ताह में प्याज की पहली उत्पाद बाजार में आ जाती है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है. इस बीच मांग में तेजी की वजह से कीमतें ऊपर चली गईं. 

क्या है सरकार की भूमिका

नवंबर के पहले सप्ताह तक भारत ने 3467 करोड़ के प्याज का निर्यात किया था. 

अब सरकार ने जनवरी तक प्याज के निर्यात पर पाबंदी लगा रखी है. 

हम प्याज निर्यात करने के बजाए आयात कर रहे हैं. 

मिस्र, अफगानिस्तान, तुर्की और ईरान से हम प्याज मंगा रहे हैं. 

पड़ोसी देशों में क्या है स्थिति

बांग्लादेश-  प्याज की खेती पर तात्कालिक रोक लगने की वजह से कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है.  25 रुपये प्रति किलो की जगह पर वहां 218 रुपये प्रति किलो प्याज मिल रहे हैं. 

म्यामां- यहां प्याज की कीमतों में दोगुना इजाफा देखा गया. 

नेपाल- 150 रु प्रति किलो की दर से प्याज मिल रहा है. नतीजतन बिहार से प्याज की स्मलिंग की जाने लगी. 

पाकिस्तानः 70 रुपये प्रति किलो

श्रीलंका- 158 रु प्रति किलो


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