नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा कि, वह अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला मामले में राजीव सक्सेना के सरकारी गवाह के दर्जे को वापस लेने के अनुरोध वाली उनकी याचिका खारिज करने के उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगा.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ के समक्ष कहा कि, वह उच्च न्यायालय के आठ जून के आदेश के खिलाफ आज उच्चतम न्यायालय का रुख करेगा. उच्च न्यायालय ने सक्सेना की जमानत रद्द करने की अपील से संबंधित मामले पर सुनवाई स्थगित करने की ईडी की याचिका स्वीकार कर ली और इस मामले को 15 अक्टूबर को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया.
सुनवाई दो सप्ताह टालने का अनुरोध
ईडी की ओर से पेश अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने कहा, 'हम उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ आज एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर करने जा रहे है. जैसा कि हमने यहां कहा, उच्चतम न्यायालय में एसएलपी दायर की जाएगी. इस मामले को अगले कुछ दिन में सूचीबद्ध किया जा सकता है. हमने (उच्च) न्यायालय से मामले की सुनवाई दो सप्ताह टालने का अनुरोध किया था.'
आठ जून के आदेश को चुनौती
ईडी उच्च न्यायालय के आठ जून के आदेश को चुनौती दे रहा है, जिसमें सक्सेना का सरकारी गवाह का दर्जा वापस लेने के अनुरोध वाली उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी. उच्च न्यायालय ने कहा था कि सरकारी गवाह का दर्जा वापस लेने के लिये निचली अदालत में दायर ईडी की याचिका तर्कसंगत नहीं है, क्योंकि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 306 (4) के तहत सक्सेना का बयान दर्ज नहीं किया गया है.
सक्सेना का बयान दर्ज
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि 'आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 306 (4) के तहत सक्सेना का बयान दर्ज किये जाने के बाद ईडी दोबारा याचिका दायर कर सकता है.' ईडी ने सक्सेना के सरकारी गवाह के दर्जे को इस आधार पर वापस लेने की अपील की थी कि उसे अपराध से संबंधित सभी तथ्यों का खुलासा करना था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. दुबई में रहने वाले उद्योगपति सक्सेना को अगस्ता वेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों की खरीद में हुए 3,600 करोड़ रुपये के कथित घोटाले के सिलसिले में पिछले साल 31 जनवरी को भारत लाया गया था.
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क्या है मामला
दरअसल 2010 में एंग्लो -इतावली कंपनी अगस्ता-वैस्लैंड और भारत सरकार के बीच भारतीय वायुसेना के लिए 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टर खरीदने के लिए करार हुआ था. इसके बाद भारत सरकार ने 2014 में 3600 करोड़ रुपए के इस करार को रद्द कर दिया था. सरकार का आरोप था कि इस डील में 360 करोड़ रुपए का कमीशन लिया गया है. इस आरोप के बाद भारतीय वायुसेना को दिए जाने वाले 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की सप्लाई के करार पर भी सरकार ने रोक लगा दी थी.