तिरुवनंतपुरम: राज्य सरकार का ये दावा कि वह यूएई स्थित रेड क्रिसेंट के साथ जीवन मिशन परियोजना के लिए सीधे समझौते में शामिल नहीं था, लगता है झूठा साबित हो रहा है. इस सप्ताह ही बेघरों के लिए घर बनाने के लिए लाइफ मिशन और यूएई स्थित रेड क्रिसेंट के बीच समझौता ज्ञापन सामने आया है जो कुछ और ही इशारा कर रहा है.
समझौते के मुताबिक राज्य में बेघरों के लिए घर बनाने के लिए, रेड क्रिसेंट के साथ हस्ताक्षर किए गए ज्ञापन में सरकार दूसरी पार्टी है. रेड क्रिसेंट पहली पार्टी है. एमओयू में लाइफ मिशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी यू वी जोस ने सरकार की ओर से हस्ताक्षर किए हैं. ईटीवी भारत के पास एमओयू की एक प्रति है. जब लाइफ मिशन प्रोजेक्ट के अपार्टमेंट पर आरोप लगाए जा रहे थे तो सरकार ने कहा था कि वह सीधे इस प्रोजेक्ट में शामिल नहीं है. मुख्यमंत्री ने पहले कहा था कि सरकार ने केवल परियोजना के लिए भूमि प्रदान की है.
लेकिन 11 जुलाई 2019 को एमओयू के अनुसार, रेड क्रिसेंट जनरल सेक्रेटरी मुहम्मद अतीक अल फलाही और लाइफ मिशन के सीईओ यू वी जोस ने समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. एमओयू के अनुसार, 20 करोड़ रुपये का एक फंड, जिसमें आवास परिसर के निर्माण के लिए 14.5 करोड़ रुपये और एक अस्पताल के लिए 5.5 करोड़ रुपये शामिल हैं, परियोजना के लिए अनुमानित किया गया है. हालांकि एमओयू में स्पष्ट नहीं किया गया है कि अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया जाएगा या इसे वाडक्कांचेरी में बनाया जाएगा.
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने पाया कि सोने की तस्करी की प्रमुख आरोपी स्वप्ना सुरेश ने इस परियोजना में मध्यस्थता के रूप में कमीशन लिया है. दस्तावेज के मुताबिक एमओयू के अनुसार कार्यान्वित प्रत्येक परियोजना को अलग-अलग और व्यक्तिगत समझौतों की भी आवश्यकता होगी.
स्वप्ना से जुड़े मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी सभी दस्तावेजों को देख रहे हैं. विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने पिछले हफ्ते सरकार से मांग की थी कि राज्य में बेघरों के लिए घर बनाने के लिए यूएई आधारित रेड क्रिसेंट के साथ लाइफ मिशन के बीच हुए समझौते को उजागर किया जाए.