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वाम मोर्चा कार्यकाल में भूमि सुधार हुआ, लेकिन उद्योग हुआ बर्बाद : अमर्त्य सेन - amartya sen bengali culture

जादवपुर विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यकर्म में अमर्त्य सेन ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा है, जिस तरह से बंगाल में भूमि सुधार किया गया उसका श्रेय पूरी तरह से वाम मोर्चा को जाता है.

अमर्त्य सेन ( फाइल फोटो)
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Published : Jul 6, 2019, 5:39 PM IST

कोलकाता: नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में पूर्व की वाम मोर्चा सरकार ने भूमि सुधार कार्यक्रम को अच्छी तरह से चलाया, लेकिन दूसरी ओर उद्योग पूरा तरह से बर्बाद हो गया.

शुक्रवार को जादवपुर विश्वविद्यालय में एक जन व्याख्यान में सेन ने कहा कि पश्चिम बंगाल समग्र बंगाली पहचान को बढ़ावा देने के लिहाज से बांग्लादेश से पिछड़ गया.

उन्होंने कहा कि जिस तरह से बंगाल में भूमि सुधार किया गया उसका श्रेय पूरी तरह से वाम मोर्चा को जाता है. हालांकि दूसरी ओर उद्योग बर्बाद हो गया.

पढ़ें- जनता को पीटने के लिए जयश्री राम के नारे का हो रहा इस्तेमालः अमर्त्य सेन

सेन ने कहा कि इस पर चर्चा करने की जरूरत है कि पश्चिम बंगाल संयुक्त बंगाली पहचान को आगे बढ़ाने के लिहाज से क्यों और कैसे पीछे रह गया.

अपने छात्र जीवन में मार्कसवादी सिद्धांत से प्रभावित रहे 85 वर्षीय सेन ने कहा कि केरल, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों की तुलना में भी पश्चिम बंगाल शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने में पीछे है.

इससे पहले उन्होंने अपने संबोधन के दौरान कहा था कि 'मां दुर्गा' के जयकारे की तरह 'जय श्रीराम' का नारा बंगाली संस्कृति से नहीं जुड़ा है. साथ ही कहा था कि इसका इस्तेमाल 'लोगों को पीटने के बहाने' के तौर पर किया जाता है.

कोलकाता: नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में पूर्व की वाम मोर्चा सरकार ने भूमि सुधार कार्यक्रम को अच्छी तरह से चलाया, लेकिन दूसरी ओर उद्योग पूरा तरह से बर्बाद हो गया.

शुक्रवार को जादवपुर विश्वविद्यालय में एक जन व्याख्यान में सेन ने कहा कि पश्चिम बंगाल समग्र बंगाली पहचान को बढ़ावा देने के लिहाज से बांग्लादेश से पिछड़ गया.

उन्होंने कहा कि जिस तरह से बंगाल में भूमि सुधार किया गया उसका श्रेय पूरी तरह से वाम मोर्चा को जाता है. हालांकि दूसरी ओर उद्योग बर्बाद हो गया.

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सेन ने कहा कि इस पर चर्चा करने की जरूरत है कि पश्चिम बंगाल संयुक्त बंगाली पहचान को आगे बढ़ाने के लिहाज से क्यों और कैसे पीछे रह गया.

अपने छात्र जीवन में मार्कसवादी सिद्धांत से प्रभावित रहे 85 वर्षीय सेन ने कहा कि केरल, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों की तुलना में भी पश्चिम बंगाल शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने में पीछे है.

इससे पहले उन्होंने अपने संबोधन के दौरान कहा था कि 'मां दुर्गा' के जयकारे की तरह 'जय श्रीराम' का नारा बंगाली संस्कृति से नहीं जुड़ा है. साथ ही कहा था कि इसका इस्तेमाल 'लोगों को पीटने के बहाने' के तौर पर किया जाता है.

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