नई दिल्ली : सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप और उसकी रोकथाम के लिये लगाए गए 'लॉकडाउन' से देश की पहले से नरम पड़ रही अर्थव्यवस्था पर और बुरा असर पड़ा है. सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अप्रैल-जून के दौरान अथर्व्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की अब तक की सबसे बड़ी तिमाही गिरावट आयी है.
इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, 'अनुमान के अनुसार 'लॉकडाउन' से प्रभावित तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) और जीवीए (सकल मूल्य वर्धन) में गिरावट आयी है. हमने 25 प्रतिशत गिरावट का अनुमान जताया था और आंकड़ा उसी के अनुरूप है. इतना ही नहीं जब बाद में संशोधित आंकड़ा आएगा, उसमें एमएसएमई और कम संगठित क्षेत्र के आने वाले आंकड़ों से स्थिति और खराब दिख सकती है.'
उन्होंने कहा, 'संक्रमण अभी बढ़ रहा है और कुछ राज्य स्थानीय स्तर पर 'लॉकडाउन' बढ़ा रहे हैं, ऐसे में हमारा अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आएगी.'
एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च के समूह सीईओ शंकर चक्रबर्ती ने कहा, 'दूसरी तिमाही में भी जीडीपी में गिरावट आएगी लेकिन वह अपेक्षाकृत कम होगी. पुनरूद्धार की धीमी गति को देखते हुए कुल मिलाकर 2020-21 में 10 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है.'
सरकार ने कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये 25 मार्च से देशव्यापी 'लॉडाउन' लगाया. केंद्र ने 20 अप्रैल के बाद से 'लॉकडाउन' में ढील देना शुरू किया.
ज्यादातर रेटिंग एजेंसियों और अर्थशास्त्रियों ने 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी में गिरावट का अनुमान जताया था.
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार सोमवार को 78,512 नये मामले आने के साथ देश में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 36 लाख को पार कर गयी है. हालांकि इसमें 27,74,801 लोग ठीक हुए हैं.
वहीं संक्रमण के कारण 24 घंटे में 971 लोगों की मौत से मरने वालों की संख्या 64,469 पहुंच गयी है.
एक्सिस सिक्योरिटीज के मुख्य निवेश अधिकारी नवीन कुलकर्णी ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 की बचे हुए महीनों में बाजार जीडीपी में सुधार की उम्मीद कर रहा है. उन्होंने कहा कि हालांकि पुनरूद्धार इतना मजबूत नहीं होगा जो पहली तिमाही में गिरावट की भरपाई कर ले. तुलनात्मक आधार से 2021-22 में आर्थिक वृद्धि में तेजी आएगी.
डीबीएस बैंक की अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा, 'सालाना आधार पर वद्धि अनुमान के नीचे जाने के जोखिम के अलावा बाजार मूल्य पर वृद्धि दर में गिरावट से कंपनियों के लाभ पर असर पड़ेगा. साथ ही कर्ज/घाटे का स्तर बढ़ेगा. केंद्रीय बैंक चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में भी नीतिगत दर के मामले में नरम रख सकता है....'
डन एंड ब्रॉडस्ट्रीट के वैश्विक मुख्य अर्थशास्त्री अरूण सिंह ने कहा कि सरकार के वित्त को लेकर बाधा, निवेश गतिविधियों में गिरावट, कंपनी और ग्राहक दोनों स्तरों पर चूक की संभावना और दिवालियापन से 2020-21 में जीडीपी वृद्धि नीचे आएगी.'
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के अर्थशाास्त्री निखिल गुप्ता ने कहा कि यह गिरावट अनुमान से ज्यादा बड़ी रही क्यों कि इतिहास में ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं दिखी. सबका अनुमान था कि गिरावट 18 प्रतिशत के आस पर होगी पर निजी उपभोग और निवेश में क्रमश: 27% और कुल निवेश में 47.5% की गिरावट अनुमानों से डेढ़ गुना से ज्यादा रही.
एमके वेल्थ मैनेजमेंट के डॉ जोसफ थॉमस ने कहा कि यह अनुमान पहले से था कि गिराट बीस प्रतिशत के आस पास रहेगी.उन्होंने कहा कि इस समय अर्थव्यस्था के लिए मांग अभिप्रेरित वृद्धि का लौटना बहुत जरूरी है.
नाइट फ्रैंक इंडिया की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि कोविडा वायरस के प्रसार पर रोक जरूरी है तथी मजबूत सुधार हो पाएगा. उन्होंने कहा कि महामारी पर काबू पाया जाना उपभोक्ताओं के आत्मविश्वास और खर्च के लिए महत्वपूर्ण है. पोद्दार हाउसिंग के रोहित पोद्दार ने भी महामारी पर नियंत्रण को जरूरी बताया.